क्या आपके जीवन साथी के विवाहेतर सम्बन्ध हैं

प्रिय ज्योतिष प्रेमियों , यद्यपि यह गंभीर विषय है मगर आप रोज़ मर्रा के जीवन में देखेंगे तो हमें ऐसा बहुत सुनने को मिलता है की अमुक महिला का अमुक व्यक्ति से गुप्त प्रेम सम्बन्ध है और दोनों ही विबाहित भी हो सकते हैं या कोई एक नहीं भी सकता है. यह बहुत आम चर्चा रहती है और ऐसा होता भी है ....समाज में हो रहे कई परिवर्तन इसके कारण हैं. और यह कई कारणों से हो सकता है ...पति की नपुंसकता , पत्नी का दुर्व्यवहार , समय का अभाव , आपसी समझ का अभाव , वगेरह वगेरह . हमको इसके सामाजिक और मनोवैज्ञानिक तथ्यों से कोई मतलब नहीं है अपितु इसके ज्योतिषीय कारणों की चर्चा ज़रूर करेंगे. 


श्री कृष्णमूर्ति जी ने –स्वच्छ पत्नी – के विषय में कहा है ---यदि सप्तम का उपनक्ष्त्र मंगल , शुक्र, शनि ना हो , और वह उपनक्ष्त्र स्वामी इन ग्रहों के नक्षत्र में न हो तथा ना ही इनकी राशि में हो तब यह पक्का है की महिला स्वच्छ होगी – स्वच्छ से यहाँ तात्पर्य विवाह पूर्व शारीरिक सम्बन्ध के विषय में है . kp रीडर -४ , १९९६ संस्करण , पृष्ट -१०० .

सुधि पाठक पूर्ण अवगत हैं की शुक्र काम का कारक है , मंगल उत्प्रेरक है और शनि छुपाने वाला और नैसर्गिक बुरा गृह है .
सिर्फ कृष्णमूर्ति ज्योतिष ही एकमात्र ज्योतिष है जिसे वैश्विक रूप से सफलता के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है.
आइये पहले देखते हैं की श्री बी.वी. रमन ने इस सम्बन्ध में क्या कहा है :मैं संक्षिप्त में ही बताऊंगा
यदि सप्तमेश
1)      तीसरे घर में हो बहुत ज्यादा पाप प्रभाव में हो, तब व्यक्ति के उसके भाई की पत्नी के साथ अथवा महिला के उसकी बहिन के पति के साथ सम्बन्ध हो सकते हैं किन्तु वह बहुत पाप प्रभाव में होना चहिये.
2)      चतुर्थ भाव में हो और राहू – केतु के साथ हो तब जातक की पति / पत्नी के चाल चलन पर शक किया जा सकता है.
3)      पंचम भाव में हो  और बहुत अधिक पीड़ित हो तो जातक की पत्नी किसी और के शिशु को जन्म दे सकती है.
4)      छठे भाव में हो और बहुत पीढित हो तो व्यक्ति नपुंसक भी हो सकता है , साथ ही शुक्र भी बहुत कमजोर होना चहिये तथा उसका विवाह ऐसी महिला के साथ हो सकता है जो बीमार होगी तथा व्यक्ति को विवाहित जीवन का आनंद नहीं लेने देगी.
5)      एकादश भाव में हो तो व्यक्ति के अनेक सम्बन्ध हो सकते हैं अता दो शादियाँ कर सकता है.
सप्तम भाव में गृह :
1)      सूर्य जातक नैतिक रूप से पतित हो सकता है तथा स्त्रीयों के कारण अपमानित भी हो सकता है और उसकी पत्नी का आचरण संदेहास्पद हो सकता है.
2)      चन्द्र व्यक्ति बहुत ही कामुक , ईर्ष्यालु होगा . उसकी पत्नी सुंदर होगी मगर वह दुसरे की पत्नियों में अधिक रूचि रखेगा.
3)      केतु जातक पापी आचरण वाला होगा और उसकी रूचि विधवा स्त्रीयों में होगी .
श्री कृष्णमूर्ति जी के अनुसार , उसी पुस्तक के पृष्ट ८२ से Let us see what Shree Ksk has said about plurality of partners: page-82 same book.
1)      शुक्र और यूरेनस का ख़राब द्रष्टि सम्बन्ध शादी के लिए तैयार लड़कियों से सुख के पूर्ती करवाता है .
2)      चन्द्र का शुक्र के साथ खराब सम्बन्ध दुसरे की पत्नियों से सुख दिलवाता है.
3)      शुक्र चन्द्र यूरेनस नेप्तून यदि १,२,५,७,११,में हों तो दुसरे के साथ आनंद प्राप्त करता है.शनि से गोपनीयता बनी रहती है , मंगल से इच्छा को कर्म में परिवर्तित करने की ऊर्जा आती है ,गुरु का अच्छा प्रभाव हो तो सब कुछ ठीक चलता रहता है किन्तु विपरीत प्रभाव हुआ तो शिशु का जन्म हो सकता है और सामने वाली जातक कानून का सहारा ले सकती है और व्यक्ति को बहुत नुक्सान दे सकती है.
ऐसे बहुत से गृह और नक्षत्र संयोग उनके द्वारा बताये गए जिनको आप स्वयं उस पुस्तक से पढ़ सकते हैं.
अब हम कुछ कुंडलियों को इन सबकी कसौटी पर रख कर देखते हैं :
 1)



सप्तम का उपनक्ष्त्र स्वामी बुध है जो की शुक्र की राशि में है और मंगल तथा सूर्य से जुड़ा हुआ है.सप्तमेश चंद्र राहू – केतु के अक्ष पर है और शुक्र से युति कर रहा है. इस जातक के कई विवाह पूर्व तथा पश्चात सम्बन्ध हैं . इनका एक बहुत लम्बा प्रणय सम्बन्ध भी था जो विफल हो गया.चंद्रमा शनि के नक्षत्र में है , शुक्र मंगल की राही में है , बुध राहू के नक्षत्र में है जो शुक्र से युति कर रहा है.अतः श्री कृष्णमूर्ति और रमन जी की बात इस कुंडली पर पूर्ण सत्य है.
2)

सप्तमेश सूर्य है तथा शनि के नक्षत्र में है और मंगल की राशी में है. वह बुध के साथ है. शुक्र पर शनि और मंगल दोनों की द्रष्टि है तथा वक्री गुरु की द्रष्टि है. इस जातक के द्वारा एक महिला गर्भवती हुई और पुलिस में चली गयी. इसका तलाक हुआ क्योंकि इसके जिससे शादी हुई थी उसका पहले से ही कहीं प्रेम सम्बन्ध था. और फिर इसकी दूसरी शादी हुई.
3)
सप्तम का उपनक्ष्त्र स्वामी स्वयं मंगल है , वह सूर्य के नक्षत्र में है जो शुक्र से युति कर रहा है. शनि की मंगल पर द्रष्टि है. सप्तमेश राहू – केतु अक्ष पर है.इनका अभी एक विवाहेतर सम्बन्ध चल रहा है .
4)
इस जातक का सप्तमेश शुक्र लाभ में है और मंगल से युति कर रहा है और शनि तथा गुरु से द्रष्ट है.इसका एक विजातीय प्रणय हुआ जो विवाह में बदला और अब यह दुसरे में असक्त है.अधिक जानकारी नहीं है.
5)


इनका सप्तम भाव का उपनक्ष्त्र स्वामी राहू है जो सूर्य के नक्षत्र और शुक्र के उपनक्ष्त्र में है और द्विस्वभाव राशि में है. सूर्य पर शनि की द्रष्टि है.सूर्य शुक्र के नक्षत्र में है जो की सीधा सप्तम भाव को देख रहा है .जातक के कई महिलाओं से विवाह पश्चात शारीरिक सम्बन्ध हैं.
वैसे तो मैं और भी कुण्डलियाँ प्रस्तुत कर सकता हूँ मगर बात इतने ही साफ़ होनी चहिये. तो आपने देखा की हमारे महान ज्योतिषियों श्री रमन और श्री कृष्णमूर्ति जी कितने सटीक हैं , ज्योतिष में संदेह की कोई जगह नहीं होती विशेषकर कृष्णमूर्ति पद्धति में जो की सबसे वैज्ञानिक और तार्किक है.

यह कुंडलियाँ समाज के अलग अलग तबके के स्त्री पुरुषों की हैं और इनके बारे में कोई भी डिटेल मैं प्रदान नहीं कर पाउँगा. यदि आपके पति या पत्नी ऐसे हैं तो आपको उनको ऐसा अनैतिक कृत्य करने से रोकना चहिये.
क्या आपके जीवन साथी के विवाहेतर सम्बन्ध हैं क्या आपके जीवन साथी के विवाहेतर सम्बन्ध हैं Reviewed by Krishna Prasad Sarma on अक्टूबर 02, 2018 Rating: 5

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