भूत के कई अर्थ होते हैं उनमें से एक है बीता हुआ काल या समय। जो लोग भूतकाल में ही जिते रहते हैं उन्हें भूत कहने में कोई हर्ज है क्या? मृत्यु के बाद नया जन्म लेने में यही एक आदत जीवात्मा को नया जन्म नहीं लेने देती है कि उसमें अभी तक आसक्ति, स्मृति और वासनाओं का मन में वास रहता हैं। जो लोग अपने इस जीवन की स्मृतियों को नहीं छोड़ना चाहते प्रकृति उन्हें दूसरा गर्भ उपलब्ध कराने में अक्षम होती है।
जानिए पितृलोक को…
कभी कभार ऐसा होता है कि कोई नया जन्म ले लेता है लेकिन उसकी पीछले जन्म की याददश्त बनी रहती है, उसे कहते हैं कि इसे पीछले जन्म की सब याद है। भूत से जुड़ी धारणा और मान्यताओं के संबंध में प्रश्नों के माध्यम से उत्तर दिए जाने का प्रयास करेंगे।
सवाल पहला : प्रेत क्या है और प्रेत किसे कहते हैं ?
जवाब : पितृ शब्द से बना है प्रेत। स्थूल शरीर छोड़ने के बाद मान्यता अनुसार जो अंतिम क्रिया और तर्पण-पिंड या श्राद्ध कर्म करने तक व्यक्ति प्रेत योनी में रहता है तो उसे प्रेत कहते हैं। तीसरे, तेरहवें, सवा माह या एक वर्ष तक वह प्रेत योनी में रहता है। एक वर्ष के भीतर वह यदि पक्का स्मृतिवान है तो जीवात्मा पितृलोक चला जाता है तब उसे पितर या पितृ कहा जाता है। लेकिन यदि नहीं गया है तो और यहीं धरती पर ही विचरण कर रहा है तो वह प्रेत या भूत बनकर ही तब तक रहता है जब तक कि उसकी आत्मा को शांति नहीं मिल जाती।
सवाल : भूत या प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति व्यक्ति का उपचार हो सकता है होता है तो कैसे?
जवाब : भूत या प्रेत बनी जीवात्मा की मानसिक शक्ति इंसानों से कहीं अधिक ताकतवर होती है। ऐसे व्यक्ति अपनी शांति के लिए या किसी से बदला लेने के लिए दूसरों के मन और मस्तिष्क पर कब्जा कर लेते हैं। ऐसे में भूत बाधा ग्रस्त व्यक्ति का आध्यात्मिक रूप से इलाज करना जरूरी होता है। इसके लिए व्यक्ति को हनुमान की शरण में जाना चाहिए या योगसाधना के द्वारा अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति को ध्यान रखना चाहिए कि वो मन, वचन और कर्म से शुद्ध और पवित्र रहे। पवित्र रहने वाले व्यक्ति के आसपास भूत नहीं फटकते हैं। ऐसे व्यक्ति को अंधकार से दूर रहकर ध्यान द्वारा मन और मस्तिष्क में सकारात्म ऊर्जा का संचार करना चाहिए। तेरस, चौदस, अमावस्य और पूर्णिमा के दिन व्यक्ति शुद्ध और निर्मर बना रहे। मंगलवार और रविवार के दिन विशेष ध्यान रखे और इस दिन अंधकार या बाहरी प्रवास से बचे।
सवाल : भूत के कितने वर्ग और प्रकार होते हैं ?
जवाब : वर्ग की बात करें तो प्रेत आत्माएं भी इंसानों की तरह सतोगुणी, रजोगुणी और तमोगुणी होती है। सतोगुणी आत्माएं किसी को परेशान नहीं करती और सदा शांत रहकर लोगों की मदद करती हैं। रजोगुणी आत्माओं का कोई भरोसा नहीं, वे अपनी इच्छापूर्ति के लिए संस्कार अनुसार कार्य करती है ऐसी आत्माएं किसी के भी शरीर में प्रवेश कर अपनी इच्छा की पूर्ति कर सकती है। तमोगुरु आत्माएं सदा लोगों को परेशान करती रहती है। ऐसी आत्माएं धरती पर बुराइयों का साथ देती हैं जो लोग सदा मांस भक्षण और शराब इत्यादि का सेवन करते रहते हैं उनके आसपास तमोगुणी आत्माएं रहती है।
भूतों के प्रकार : हिन्दू धर्म में गति और कर्म अनुसार मरने वाले लोगों का विभाजन किया है- भूत, प्रेत, पिशाच, कूष्मांडा, ब्रह्मराक्षस, वेताल और क्षेत्रपाल। उक्त सभी के उप भाग भी होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार 18 प्रकार के प्रेत होते हैं। भूत सबसे शुरुआती पद है या कहें कि जब कोई आम व्यक्ति मरता है तो सर्वप्रथम भूत ही बनता है।
इसी तरह जब कोई स्त्री मरती है तो उसे अलग नामों से जाना जाता है। माना गया है कि प्रसुता, स्त्री या नवयुवती मरती है तो चुड़ैल बन जाती है और जब कोई कुंवारी कन्या मरती है तो उसे देवी कहते हैं। जो स्त्री बुरे कर्मों वाली है उसे डायन या डाकिनी करते हैं। इन सभी की उत्पति अपने पापों, व्याभिचार से, अकाल मृत्यु से या श्राद्ध न होने से होती है।
सवाल : कहां रहते हैं भूत-प्रेत?
जवाब : भूत निवास के संबंध में मान्यता है कि वे सालों से सुनसान पड़े मकान में, किसी तालाब किनारे के वृक्षों पर या खंडहर में निवास करते हैं। इसके अलावा वे नकारात्मक तमोगुणी मनुष्य के शरीर पर कब्जा पर उसके पास ही रहते हैं। कुछ लोग मानते हैं कि भूत-प्रेत अंधेरे और दुर्गन्धयुक्त किसी मलिन स्थानों पर भी रहते हैं और पैसे ही पदार्थों का सेवन भी करते हैं।
सवाल : कौन बन जाता है भूत या प्रेत ?
जवाब : अतृप्त आत्माएं बनती है भूत। जो व्यक्ति भूखा, प्यासा, संभोगसुख से विरक्त, राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, वासना आदि इच्छाएं और भावनाएं लेकर मरा है अवश्य ही वह भूत बनकर भटकता है। तमोगुण प्रधान व्यक्ति भी भूत बनकर भटकते हैं। और जो व्यक्ति दुर्घटना, हत्या, आत्महत्या आदि से मरा है वह भी भूत बनकर भटकता है। ऐसे व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। जो लोग अपने स्वजनों और पितरों का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते वे उन अतृप्त आत्माओं द्वारा परेशान होते हैं।
सवाल: भूत, प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति के क्या लक्षण हैं ?
जवाब : अगल अलग प्रेत होते हैं जो व्यक्ति जिस प्रेत के वश में होता है उसके वैसे वैसे लक्षण होते हैं। सामान्य तौर पर प्रेत बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की आंखें स्थिर, अधमुंदी और लाल रहती हैं। उके नाखून काले हो जाते हैं। उसका सामान्य व्यवहार नहीं होते। स्वभाव में अत्यधिक क्रोध, जिद और उग्रता पैदा हो जाती है। शरीर से बदबूदार पसीना आता रहता है और कहीं कहीं सूजन रहती है।
सवाल : क्यों नहीं दिखाई देती प्रेत आत्माएं हम लोगों को दिखाई क्यों नहीं देतीं?
जवाब : जीवित मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से बना होता है जिसमें पृथ्वी तत्व सबसे अधिक होता है। जबकि मरने के बाद जीवात्मा सूक्ष्म शरीर में प्रवेश कर जाती है। सूक्ष्म शरीर में वायुत्व की अधिकता होती है जिससे वे दिखाई नहीं देते। केवल उनका स्पर्श और अस्तित्व महसूस होता है। इस शरीर को केवल अंधकार में देखा जा सकता है। रात के घोर अंधकार में भी देख सकने वाले कुत्तों, बिल्ली, सियार और उल्लू जैसे निशाचारी प्राणियों को ये आसानी से दिखाई देते हैं।
सवाल: किन लोगों को भूत-प्रेत परेशान नहीं कर सकते ?
जवाब : जो व्यक्ति ईश्वर की प्रार्थना करता रहता है उसके चेहरे पर तेज नजर आता है। हजारों देवी-देवताओं की पूजा-पाठ से श्रेष्ठ है ईश आराधना। इसके अलावा योग साधना, ध्यान साधना करने वालों लोगों से भूत दूर ही रहते हैं क्योंकि ऐसे व्यक्तियों का आभा मण्डल विराट हो जाता है जिससे डरकर भूत भाग जाते हैं। अभा मंडल कमजोर है तो भूत ऐसे व्यक्ति पर आसानी से कब्जा पर लेते हैं। इसके अलावा वे लोग जो शारीरिक और मानसिक स्तर से मजबूत हैं उन्हें भी भूत परेशान नहीं कर सकते। मन में ईश्वर और खुद के प्रति विश्वास और दृढ़ता होना जरूरी है। भूत बाधा केवल कमजोर मन और शरीर वाले प्राणियों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों तथा कमजोर दिमाग वाले व्यक्तियों को परेशान करते हैं।
सवाल : क्या भूत प्रेत के फोटो खिंच सकते हैं ?
जवाब : आजकल अमेरिका और रूस में ऐसे कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरण और कैमरे हैं जिनके बल पर किसी भी सूक्ष्म से सूक्ष्म चीज को कैमरे में कैद किया जा सकता है। दूसरी और कभी-कभार भूत अपनी शक्ति के बल पर प्रकाट हो जाते हैं ऐसे समय उनका फोटो खिंचा जा सकता है।
सवाल : क्या भूत-प्रेतों को वश में करने की कोई विधि है ?
जवाब : भूत-प्रेतों को वश में करने का बहुत से लोग दावा करते हैं। इसके लिए उनके अनुसार भूतों से संबंधित विशेष मंत्र साधनाओं की जाती है लेकिन ऐसी आत्माएं अपना स्वार्थ साधन न होने पर वश में करने वाले का ही अहित भी कर देती हैं। भूत-प्रेतों की साधना करके उन्हें अपने वश में करने के क्या भयानक परिणाम हो सकते हैं। जो व्यक्ति भूत-प्रेतों को वश में करता है वे भूत-प्रेत उस व्यक्ति के शरीर और मन के शक्ति संपन्न रहने तक ही उसके अनुसार कार्य करते हैं। शरीर और मन के कमजोर होते ही वे उस व्यक्ति की दुर्गति आरंभ कर देते हैं।
भूत -प्रेत ,वायव्य बाधाओं और तांत्रिक अभिचार से बचाव के उपाय
भूत-प्रेत ,वायव्य बाधाएं अथवा तांत्रिक अभिचार व्यक्ति की शारीरिक क्षमता के साथ ही आर्थिक क्षमता पर भी प्रभाव डालते हैं ,इनके कारण पारिवारिक ,दाम्पत्य सम्बन्धी और संतान सम्बन्धी समस्याएं भी हो सकती हैं ,कभी कभी ये गंभीर रोग भी उत्पन्न करते है और मृत्यु का कारण बन जाते है अथवा दुर्घटनाएं करा कर व्यक्ति की मृत्यु के कारण बनते हैं ,कभी कभी इनके कारण शरीर की स्थिति में परिवर्तन हो जाता है और व्यक्ति विकलांग हो सकता है ,मूक-बधिर जैसा हो सकता है ,दौरे आ सकते हैं ,गूम-सुम हो सकता है ,सोचने -समझने अथवा चलने-फिरने में अक्षम हो सकता है ,कुछ शक्तियां व्यक्ति को गलत कार्यों के लिए प्रेरित करती हैं ,अथवा सीधे व्यक्ति के साथ गलत कार्य करती हैं ,कभी-कभी कोई आत्मा किसी महिला के साथ जुड़कर उसका शारीरिक शोषण कर सकती है ,यह व्यक्ति में मांस-मदिरा की और रूचि उत्पन्न कर सकते हैं ,गलत कार्य करवा सकते हैं ,जबकि व्यक्ति ऐसा नहीं चाहता पर उसके शरीर पर उसका नियंत्रण नहीं रहता .इनके प्रभाव से व्यक्ति गलत निर्णय ले सकता है ,लड़ाई-झगडे कर सकता है ,आदि आदि । यदि लगे की व्यक्ति पर किसी आत्मा आदि का प्रभाव है अथवा किसी अभिचार की आशंका हो ,घर में घुसने पर सर भारी हो जाए ,तनाव लगे ,मानसिक विक्षुब्धता हो ,कलह अनावश्यक हो ,हर काम बिगड़ने लगे ,उन्नति रुक जाए ,व्यक्ति विशेष के पसीने से दुर्गन्धयुक्त पसीना आये ,सर चकराए,सर गर्म रहे ,बडबडाये ,आँखे तिरछी हों ,आवेश आये ,उछले-कूड़े-गिरे,आकास की और मुह करके बातें करे ,अचानक इतना बल आ जाए की कई लोगो से मुकाबला कर सके ,शरीर पीला होता जाए ,दिन प्रतिदिन दुर्बल होता जाए ,स्त्री जातक कपडे फाड़ने लगे ,बहुत सात्विक हो जाए या तामसिक हो उग्र रहने लगे अचानक से ,किसी प्रकार का आवेश आने लगे ,बाल बिखेरे झूमे ,व्यक्ति को बुरे सपने आये ,अचानक भय लगे ,छ्या आदि दिखे ,लगे कोई साथ है ,बुरे शकुन दिखे ,बीमारी हो पर कारण पता न लगे ,दुर्घटनाये हो ,बार बार गलतियाँ होने लगें ,तामसिक व्यवहार हो जाए ,उग्रता बढ़ जाए ,कहीं मन न लगे ,एकांत पसंद होने लगे ,अधिक सफाई या गन्दगी अचानक पसंद आने लगे ,कार्य-व्यवहार अस्त-व्यस्त हो जाए ,अचानक व्यवसाय में हानि हो या व्यवसाय रुक जाए ,परिवार में बीमारियाँ बढ़ जाएँ तो यह समस्या हो सकती है ,बच्चे का बहुत रोना ,नोचना ,दांत किटकिटाना,,घर पर पत्थर या हड्डी आदि बरसना ,अचानक आग लग्न जबकि कारण पता न चले तो भी ऐसा हो सकता है ,,यद्यपि इनमे से कुछ ग्रह स्थितियों के कारण भी हो सकता है ,पर लगे की ऐसा है तो किसी योग्य व्यक्ति से संपर्क करना बेहतर होता है । भूत-प्रेत-चुड़ैल जैसी समस्याओं से व्यक्ति अथवा परिवार के सहयोग से मुक्ति पायी जा सकती है ,किन्तु उच्च स्तर की शक्तियां सक्षम व्यक्ति ही हटा सकता है ,कुछ शक्तियां ऐसी होती हैं की अच्छे अच्छे साधक के छक्के छुडा देती हैं और उनके तक के लिए जान के खतरे बन जाती है ,ऐसे में केवल श्मशान साधक अथवा बेहद उच्च स्तर का साधक ही उन्हें हटा या मना सकता है ,किन्तु यहाँ समस्या यह आती है की इस स्तर का साधक सब जगह मिलता नहीं ,उसे सांसारिक लोगों से मतलब नहीं होता या सांसारिक कार्यों में रूचि नहीं होती ,पैसे आदि का उसके लिए महत्व नहीं होता या यदि वह सात्विक है तो इन आत्माओं के चक्कर में पना नहीं चाहता ,क्योकि इसमें उसकी उस शक्ति का खर्च होता है जो वह अपनी मुक्ति के लिए अर्जन कर रहा होता है । भूत-प्रेत चुड़ैल जैसी समस्याओं को कौवा तंत्र के प्रयोग से हटाया जा सकता है किन्तु यह जानकार साधक ही कर सकता है ,प्रेत अथवा पिशाच-पिशाचिनी साधक भी इन्हें हटा सकता है ,अच्छा तांत्रिक भी इन्हें हटा सकता है ,देवी साधक,हनुमान-भैरव साधक इन्हें हटा सकता है ,किन्तु उच्च शक्तिया केवल उच्च साधक ही हटा सकता है,इन्हें देवी[दुर्गा-काली-बगला आदि महाविद्या ]साधक ,भैरव-हनुमान साधक ,श्मशान साधक ,अघोर साधक ,रूद्र साधक हटा सकता है । बजरंग बाण का पाठ ,सुदर्शन कवच ,दुर्गा कवच,काली सहस्त्रनाम ,बगला सहस्त्रनाम ,काली कवच, बगला कवच, आदि के पाठ से इनके प्रभाव पर अंकुश लगता है ,उग्र शक्तियों की आराधना इनके प्रभाव को रोकती है ,,
भूत-प्रेत बाधा,किये कराये को निष्प्रभावी करने के लिए अथवा रोकने के लिए वनस्पति और पशु-पक्षी तंत्र में नीली अपराजिता जी जड़ ,नागदौन की जड़ ,हत्थाजोड़ी,तगर ,मेहंदी ,काली हल्दी ,समुद्रफल ,सियार सिंगी ,श्वेतार्क गणपति ,श्वेतार्क की जड़ ,कौवा ,गोरोचन,लौंग,भालू का नाख़ून ,शेर का नाख़ून ,भालू के बाल ,गैंडे की खाल ,उल्लू के नाख़ून ,सूअर के दांत ,रुद्राक्ष ,गंध्मासी की जड़,जटामांसी की जड़ ,तेलिया कंद ,काली कनेर की जड़ ,वच ,शंखपुष्पी ,संग इ मिक्नातीस ,लाल पलाश की जड़, चिरचिटा की जड़ आदि का भी प्रयोग किया जाता है |
भूत-प्रेत से कुछ सुरक्षात्मक उपाय पर ध्यान देने से बचाव रहता है ,,कभी भी भरी दोपहर में ,काली रात में अथवा रात में सुनसान स्थान पर ,श्मशान-कब्र-चौरी-नदी किनारे ,बड़े वृक्ष ,बांस की कोठी आदि के आसपास अकेले जाने से बचना चाहिए ,गले में कोई ताबीज आदि पहनना चाहिए विशेषकर बच्चों ,गर्भवती महिलाओं और कुँवारी कन्याओं को ,घर में गंगाजल और अभिमंत्रित जल का छिडकाव कभी कभी कर देना चाहिए ,गूगल-लोबान की धूनी देनी चाहिए ,तांत्रिक अभिचार का भय हो तो घर में योग्य व्यक्ति से कील लगवा देनी चाहिए ,,स्थान हो तो घर के दरवाजे पर श्वेतार्क का पौधा लगाना चाहिए ,शमी का पौधा लगाना चाहिए ,पूजा स्थान में शंख रखना चाहिए और संभव हो तो घर में शंख ध्वनि करनी चाहिए ,
अकसर भूत-प्रेत ,वायव्य बाधा या अभिचार आदि का भय उन परिवारों पर अधिक होता है जहां पित्र दोष हो अथवा जहां कुल देवता की पूजा न होती हो अथवा कुलदेवता नाराज हो अथवा ईष्ट मजबूत न हों ,,कुल देवता परिवार की रक्षा इस प्रकार की समस्याओं से करते हैं ,यदि यह नाराज हों तो सुरक्षा नहीं करते अथवा यह कमजोर हों तो सुरक्षा कर नहीं पाते ,परिणामतः कोई भी समस्या बिना रुकावट घर में प्रवेश कर जाती है ,,इसीतरह अगर पित्र दोष है तो वे जो समस्या उत्पन्न करते हैं वह तो होगा ही साथ में जैसे आपमें मित्रता होती है ,इन आत्माओं में भी मित्रता हो सकती है ,अतः पितरों के साथ उनके मित्र भी आपके परिवार के आसपास आ जाते हैं जबकि ये आपके परिवार से सम्बंधित नहीं होते और इनका कोई लगाव परिवार से नहीं होता ,अतः ये अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति परिवार से करने का प्रयास कर सकते हैं ,अर्थात यह परिवार के लिए अधिक कष्टकारक हो जाते हैं ,अतः यथा संभव पित्र दोष से मुक्ति पाने का उपाय करना चाहिए और कुलदेवता आदि की पूजा नियमानुसार जरुर करनी चाहिए ,,इसी प्रकार यदि आपके ईष्ट कमजोर हैं या ईष्ट नहीं हैं या आप नास्तिक हैं तो भी कोई समस्या प्रभावी शीघ्र हो जाती है ।
भूत-प्रेत से जुड़े दस सवाल और उनके उत्तर BHUT PRET
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
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नवंबर 27, 2018
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