नजर लगना, उन्माद भूतोन्माद, ग्रहों का अनिष्ट, बुरे दिन, किसी के द्वारा प्रेरित अभिचार, मानसिक उद्वेग आदि को शांत किया जा सकता है । शारीरिक रोगों के निवारण, सर्प, बिच्छू आदि का दर्शन एवं विषैले फोड़ों का समाधान भी तंत्र द्वारा होता है । छोटे बालकों पर इस विद्या का बड़ी आसानी से भला या बुरा प्रभाव डाला जा सकता है ।
तंत्र साधना द्वारा सूक्ष्म जगत में विचरण करने वाली अनेक चेतना ग्रंथियों में से किसी विशेष प्रकार की ग्रंथि को अपने लिये जाग्रत, चैतन्य, क्रियाशील एवं अनुचरी बनाया जा सकता है । देखा गया है कि कई तांत्रिकों के मसान, पिशाच, भैरव, छाया, पुरुष, से बड़ा, ब्रह्मराक्षस, वेताल, कर्ण-पिशाचनी, त्रिपुरी-सुन्दरी, कालरात्रि, दुर्गा आदि की सिद्धि होती है ।
जैसे कोई सेवक प्रत्यक्ष शरीर से किसी यहाँ नौकर रहता है और मालिक की आज्ञानुसार काम करता है, वैसे ही यह शक्तियाँ अप्रत्यक्ष शरीर से उस तंत्र-सिद्धि पुरुष के वश में होकर सदा उसके समीप उपस्थित रहती हैं और जो आज्ञा दी जाती हैं उनको वे अपनी सामर्थ्यनुसार पूरा करती हैं । इस रीति से कई बार ऐसे-ऐसे अद्भूत का किये जाते हैं कि उनके आश्चर्य से दंग हो जाना पड़ता है ।
होता यह है कि अदृश्य लोक में कुछ ”चेनता ग्रन्थियाँ” सदा विचरण करती रहती हैं । तांत्रिक साधना-विधानों द्वारा अपने योग्य गंथियों को पकड़ कर उनमें प्राण डाला जाता है । जब वह प्राणवान हो जाती हैं तब उनका सीधा आक्रमण साधक पर होता है, यदि साधक अपनी आत्मिक बलिष्ठता द्वारा उस आक्रमण को सह गया, उससे परास्त न हुआ तो प्रतिहत होकर वह ग्रन्थि उसके वशवर्ती हो जाती है और चौबीसों घण्टे के साथी आज्ञाकारी सेवक की तरह काम करती है ।
निर्जन, श्मशान आदि भयंकर प्रदेशों में ऐसी रोमांचकारी विधि-व्यवस्था का प्रयोग करना पड़ता है, जिससे साधारण मनुष्य का कलेजा दहज जाता है । उस समय में ऐसे घोर अनुभव होते हैं, जिनमें डर जाने, बीमार पड़ जाने, पागल हो जाने या मृत्यु के मुखी में चले जाने की आशंका रहती है । ऐसी साधनाएँ हर कोई नहीं कर सकता कोई करले तो सिद्धि मिलने पर उस अदृश्य शक्तियों को साध रखने की जो कष्टसाध्य शर्त्तें होती हैं उन्हें पालन नहीं कर सकता । यही कारण है, जो साहस करते हैं उसमें से कोई विरले ही साहस करते हैं और जो सफल होते हैं उनमें से कोई विरले ही अन्तकाल तक उनसे समुचित लाभ उठा पाते हैं ।
आत्माओँ के विभिन्न प्रकार भारत देश मेँ ,
१. भूत :- सामान्य भूत जिसके बारे में आप अक्सर सुनते है
२. प्रेत :- परिवार के सताए हुए बिना क्रियाकर्म के मरे आदमी
३. हाडल :- बिना नुक्सान पहुचाये प्रेतबाधित करने वाली आत्माए
४. चेतकिन :- चुडेले जो लोगो को प्रेतबाधित कर दुर्घटनाए करवाती है
५. मुमिई :- मुंबई के कुछ घरो में प्रचलित प्रेत
६. विरिकस :- घने लाल कोहरे में छिपी और अजीबोगरीब आवाजे निकलने वाला
७. मोहिनी या परेतिन : - प्यार में धोका खाने वाली आत्माएँ
८. शाकिनी :- शादी के कुछ दिनों बाद दुर्घटना से मरने वाली औरत की आत्मा | कम खतरनाक
९. डाकिनी :- मोहिनी और शाकिनी का मिला जुला रूप | किन्ही कारणों से हुई मौत से बनी आत्मा
१०. कुट्टी चेतन :- बच्चे की आत्मा जिसपर तांत्रिको का नियंत्रण होता है
११. ब्रह्मोदोइत्यास :- बंगाल में प्रचलित | शापित ब्राह्मणों की आत्माएँ
१२. सकोंधोकतास :- बंगाल में प्रचलित | रेल दुर्घटना में मरे लोगो की सर कटी आत्मा
१३. निशि :- बंगाल में प्रचलित | अँधेरे में रास्ता दिखाने वाली आत्मा
१४. कोल्ली देवा :- कर्नाटक में प्रचलित | जंगलो में हाथो में टोर्च लिए घुमती आत्माएँ
१५. कल्लुर्टी ,:- कर्नाटक में प्रचलित | आधुनिक रीती रिवाजो से मरे लोगो की आत्मा
१६. किचचिन :- बिहार में प्रचलित | हवस की भूखी आत्मा
१७. पनडुब्बा :- बिहार में प्रचलित | नदी में डूबकर मरे लोगो की आत्मा
१८.चुड़ैल :- उत्तरी भारत में प्रचलित | राहगीरों को मारकर बरगद के पेड़ पर लटकाने वाली आत्मा
१९. बुरा डंगोरिया :- आसाम में प्रचलित | सफ़ेद कपडे और पगड़ी पहने घोड़े पसर सवार आत्मा
२०. बाक :- आसाम में प्रचलित | झीलों के पास घुमती आत्माएँ
२१. खबीस :- पाकिस्तान ,गल्फ देशो और यूरोप में प्रचलित | जिन्न परिवार से ताल्लुक रखने वाली आत्मा
२२. घोडा पाक :- आसाम में प्रचलित | घोड़े के खुर जैसे पैर बाकी मनुष्य
२३. बीरा :- आसाम में प्रचलित परिवार को खो देने वाली आत्माएँ
२४. जोखिनी :- आसाम में प्रचलित पुरुषो को मारने वाली आत्मा
२५. पुवाली भूत :- आसाम में प्रचलित छोटे घर के सामनो को चुराने वाली आत्माएँ
२६. रक्सा :- छतीसगढ़ मे प्रचलित कुँवारे मरने वालो की खतरनाक आत्मा ,
२८. मसान :- छतीसगढ़ की प्रचलित पाँच छै सौ साल पुरानी प्रेत आत्मा नरबलि लेते हैँ , जिस घर मेँ निवास करेँ पुरे परिवार को धीरे धीरे मार डालते हैँ ,
२८. चटिया मटिया :- छतीसगढ़ मेँ प्रचलित बौने भुत जो बचपन मेँ खत्म हो जाते हैँ वो बनते हैँ बच्चो को नुकसान नहीँ पहुँचाते । आँखे बल्ब की तरह हाथ पैर उल्टे काले रंग के ,, मक्खी के स्पीड मेँ भागने वाले चोरी करने वाली आत्मा ,
२९. बैताल :- पीपल पेड़ मेँ निवास करते हैँ एकदम सफेद रंग वाले ,, खतरनाक आत्मा
३०. चकवा या भुलनभेर :- रास्ता भटकाने वाली आत्मा महाराष्ट्र ,एमपी आदि मेँ पाया जाता हैँ,
३१. उदु :- तलाब या नहर मेँ पाये जाने वाली आत्मा जो आदमियोँ को पुरा खा जाऐँ , छतीसगढ़ मेँ प्रचलित
३२. गल्लारा :- अकाल मरे लोगो की आत्मा धमाचौकडी मचाने वाली आत्मा छतीसगढ़ मेँ प्रचलित
३३. भंवेरी :- नदी मेँ पायी जाने वाली आत्मा जो पानी मेँ डुब कर मरते हैँ पानी मेँ भंवर उठाकर नाव या आदमी को डूबा देने वाली आत्मा ,, छतीसगढ़ मेँ प्रचलित
३४. गरूवा परेत :- बिमारी या ट्रेन से कटकर मरने वाले गांयो और बैलो की आत्मा जो कुछ समय के लिए सिर कटे रूप मेँ घुमते दिखतेँ हैँ नुकसान नही पहुचातेँ ! छतीसगढ मेँ प्रचलित
३५. हंडा :- धरती मेँ गडे खजानोँ मेँ जब जीव पड़ जाता हैँ याने प्रेत का कब्जा तो उसे हंडा परेत कहते हैँ , ये जिनके घर मेँ रहते हैँ वे हमेशा अमीर रहते हैँ , हंडा का अर्थ हैँ कुंभ , जिसके अंदर हीरे सोने आदि भरे रहते हैँ ,, जो लालच वश हंडा को चुराने का प्रयास करेँ उसे ये खा जाते हैँ , ये चलते भी हैँ ! छतीसगढ़ मेँ प्रचलित…
आत्मा का शरीर से स्पर्श हो जाता है अथवा प्रेतात्मा आदि का साया पड़ जाता है तो व्यक्ति तुरंत अस्वस्थ हो जाता है। वह पागलों जैसी हरकतें कर सकता है, ज्वर से पीड़ित हो सकता है, उसका खाना-पीना छूट सकता है। इन सब कारणों का निदान चिकित्सकों के पास नहीं होता, इनका उपचार सिर्फ टोटकों द्वारा ही संभव होता है।
यह टोटका निम्न प्रकार से किया जाता है-
* सबसे पहले गाय के गोबर का कंडा व जली लकड़ी की राख को पानी से भिगोकर एक लड्डू बनाएँ।
* इसके बाद इसमें एक सिक्का गाड़ दें।
* फिर उस पर काजल और रोली की सात बिंदी लगा दें।
* तत्पश्चात्लोहे की एक कील उसमें गाड़ दें।
* अब उस लड्डू को अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतारकर चुपचाप नजदीक के किसी चौराहे पर रख आएँ।
* आते-जाते समय किसी से बातचीत न करें तथा पीछे मुड़कर भी न देखें। इस क्रिया से रोगी बहुत जल्दी स्वस्थ हो जाएगा।
दूसरा प्रयोग :
* झाडू व धान कूटने वाला मूसल अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से उतारकर उसके सिरहाने रख दें।
* अपने बाएँ पैर का जूता अस्वस्थ व्यक्ति के ऊपर से सात बार उतारकर (घुमाकर) प्रत्येक बार उल्टा जूता जमीन पर पीटें।
* सात ही बार वह जूता उस व्यक्ति को सुँघाएँ, इस प्रक्रिया से भी अस्वस्थ व्यक्ति ठीक हो जाएगा।
किसी भटकती आत्मा की लाग
* यदि किसी व्यक्ति को किसी भटकती आत्मा (शाकिनी, प्रेतनी) की लाग हो गई हो तो गंधक, गुग्गुल, लाख, लोबान, हाथी दाँत, सर्प की केंचुली व पीड़ित व्यक्ति के सिर का एक बाल लेकर सबको मिलाकर व पीसकर जलाएँ तथा उसका धुआँ रोगी को दें। इससे व्यक्ति पर से लाग हट जाती है।…
तन्त्र साधना TANTRA
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
on
नवंबर 27, 2018
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नवंबर 27, 2018
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