ज्योतिष आकलन, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा बेहद संवेदनशील


एक महीने के अंतराल में लगेंगे 3 बड़े ग्रहण, जानिए क्या पड़ेगा इसका असरएक महीने के अंतराल में लगेंगे 3 बड़े ग्रहण, जानिए क्या पड़ेगा इसका असर | ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि। शनि, मंगल और गुरु के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक बना रहेगा। भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा।
एक महीने में एक के बाद एक तीन ग्रहण से होगा सामना
जून, जुलाई के मध्य 2 चन्द्र ग्रहण तथा 1 सूर्य ग्रहण घटित होंगे। दोनों चन्द्र ग्रहण उपछाया (मान्द्य) होंगे जो क्रमशः 5-6 जून की दरमियानी रात और 5 जुलाई को होंगे, वही कंकणाकृति सूर्य ग्रहण 21 जून को होगा। 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या, मृगशीर्ष नक्षत्र, मिथुन राशि में होने वाले इस सूर्य ग्रहण 12 मिनिट से अधिक नहीं दिखाई देगा। भारत, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका के कुछ शहरो में दिखाई देगा यह ग्रहण।
अगले महीने जून में सूर्य और चंद्र ग्रहण होगा। इस साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगेंगे, जिनमें से एक 10 जनवरी को लग चुका है, ये चंद्र ग्रहण था। धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजर से ग्रहण का बहुत अधिक महत्व होता है। आइए, आज जानते हैं अगले महीने जून में लगने वाले ग्रहण के बारे में....
अगले महीने जून में सूर्य और चंद्र ग्रहण

5 जून चंद्र ग्रहण
साल 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून, शुक्रवार को है। ये चंद्र ग्रहण 5 जून में रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा और 6 जून की रात्रि 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। भारत के अलावा ये यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा।

21 जून सूर्य ग्रहण
अगले महीने जून में ही सूर्य ग्रहण भी है। 21 जून, रविवार को सूर्य ग्रहण लगेगा। ये ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा और दिन में 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। भारत में ये सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। भारत के अलावा अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में भी दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण
5 जुलाई: 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। भारत के समयानुसार ये सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरु होकर सुबह 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। ये चंद्र ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा।
30 नवंबर:30 नवबंर को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, प्रशांत महासागर, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।

सार
जनजीवन होगा अस्तव्यस्त
पश्चिमी देशों में मचेगी उथल-पुथल, 
क्या तीसरे विश्व युद्ध की नींव रखी जा सकेगी?
अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त, स्टॉक मार्केट होगा धड़ाम,

प्राकृतिक आपदाओं व नए-नए संक्रामक रोगों से भयावहता बढ़ेगी, जून-जुलाई देश-दुनिया के लिए रहेंगे भारीवैश्विक महामारी कोरोना अभी अपने शीर्ष की और बढ़ रही है, मंगल के मकर से कुम्भ राशि में प्रवेश के साथ ही मकर राशि में मंगल-शनि-गुरु की युति भंग हुई, इस युति के भंग होने के साथ ही राहत, उम्मीद का आकलन करना शुरू हो गया। लेकिन यह राहत इतनी बड़ी भी नहीं की कोरोना का पतन हो जाए। ग्रह गोचर कुछ अलग ही इशारा कर रहे हैं। 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा जो वलयाकार होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। जिस कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। इस ग्रहण की शुरुआत सुबह 9 बजकर 15 मिनट से हो जायेगी जिसका अंत दोपहर 02 बजकर 2 मिनट पर होगा। ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जायेगा।
भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा। ज्योतिष अनुसार ये ग्रहण आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। इसलिए मिथुन वालों पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा। इस ग्रहण के समय कुल 6 ग्रह वक्री होंगे जो अच्छा संकेत नहीं है। कहा जा रहा है ये ग्रहण पूरे विश्व के लिए चिंताजनक रहने वाला है।
21 जून को लगने जा रहे सूर्य ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा। इसके अलावा शनि, गुरु, शुक्र, बुध, राहु, केतु वक्री अवस्था में होंगे। इसे भी अशुभ माना जा रहा है। ग्रहण के समय इन बड़े ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि। शनि, मंगल और गुरु के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक बना रहेगा।
कैसे लगता है सूर्य ग्रहण? ग्रहण लगने के वैज्ञानिक के साथ धार्मिक कारण भी माने जाते हैं। विज्ञान अनुसार सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है तब सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुँच पातीं इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। तो वहीं धार्मिक दृष्टि से देखा जाये तो ग्रहण पापी ग्रहों राहु और केतु के कारण लगता है। एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिलाने के उदेश्य से मोहिनी रूप लेते हैं तब सभी देवता और दानव उनकी बात मानकर एक लाइन में बैठ जाते हैं। विष्णु जी देवताओं को अमृत पिलाना शुरू करते हैं तभी एक राक्षस तो भगवान विष्णु पर शक होता है जिस कारण वह दानव देवताओं के बीच में आकर बैठ जाता है। इस बात की जानकारी सूर्य और चंद्र देव भगवान विष्णु को देते हैं। तभी भगवान विष्ण अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षक का सिर धड़ अलग कर देते हैं। लेकिन उस राक्षस के मुंह में अमृत की कुछ बूंदे चली गईं थीं। जिस कारण वह अमर हो गया। उसका एक हिस्सा राहु तो दूसरा हिस्सा केतु कहलाया। तभी से राहु केतु सूर्य और चंद्र को अपना दुश्मन मानते हैं और अमावस्या के दिन वह सूर्य का तो पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं। लेकिन ये जरूरी नहीं कि हर अमावस्या या पूर्णिमा को ऐसा हो।
 शास्त्रों के अनुसार एक माह के मध्य दो या दो से अधिक ग्रहण पड़ जाए तो राजा को कष्ट, सेना में विद्रोह, गम्भीर आर्थिक समस्या, जैसी स्थिति निर्मित होती है। संहिता ग्रंथो में स्पष्ट उल्लेख है की यदि यह स्थिति आषाढ़ माह में बने तो आजीविका पर मार तथा चीन आदि देशों को नुक्सान के योग बनते हैं। तीनों ग्रहण का प्रभाव विश्व के लिए नुक्सान दायक रहेगा। चीन को लेकर वैश्विक स्तर पर कोई कठोर निर्णय पूरे विश्व को शीत युद्ध की और ले जा सकता है। कुल मिलाकर जून-जुलाई वायरस से अधिक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता, अमेरिका-चीन के मध्य मतभेदों को लेकर परेशानी का कारण बन सकता है।

कब होगा कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का स्पर्श-मध्य और मोक्ष
आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक के अनुसार यह ग्रहण उत्तरी राजस्थान, पंजाब, उत्तरी हरियाणा, उत्तराखंड के कुछ भागों में कंकणाकृति तथा शेष भारत में खंड ग्रास के रूप में दिखाई देगा, इंदौर तथा उज्जैन में ग्रहण का स्पर्श (प्रारंभ) प्रातः 10.10., मध्य 11.51 और मोक्ष (समाप्ति) दोपहर 01.42 पर होगा। ग्रहण का सूतक दिनांक 20 जून को रात्री 10.10. पर प्रारंभ होगा। 
विभिन्न राशियों पर ग्रहण का प्रभाव
मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि हेतु यह ग्रहण शुभ है।
वहीं मिथुन, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लिए यह ग्रहण अशुभ है।
वृषभ, तुला, धनु और कुम्भ राशि हेतु मिश्रित रहेगा यह ग्रहण।
एक के बाद एक ग्रह होंगे वक्री
ग्रह वक्री दिनांक राशि
गुरु 14 मई से 12 सितम्बर मकर
शनि 11 मई  से 29 सितम्बर मकर
बुध 18 जून से 11 जुलाई मिथुन
शुक्र 13 मई से 24 जून वृष
राहु-केतु यह वक्री ही रहते हैं मिथुन तथा धनु
आने वाले कुछ समय में एक के बाद एक पांच ग्रह अपनी चाल बदल कर वक्री होकर देश-विदेश में अपना कहर बरपा सकते हैं। राहू मिथुन राशि में वक्री है, वही 11 मई को शनि तथा 14 मई को गुरु मकर राशि में वक्री होंगे। वही 13 मई से शुक्र भी इन वृषभ राशि में वक्री होंगे वही इन चारो वक्री ग्रहों के साथ आग में घी का कार्य करने के लिए बुध 18 जून से मिथुन राशि में वक्री होंगे।
क्या होता है वक्री ग्रहों का प्रभाव
भारद्वाज ज्योतिष एवं आध्यात्मिक शोध संस्थान के प्रमुख आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया की संहिता ग्रंथानुसार यदि कोई ग्रह अपनी नैसर्गिक गति से विपरीत उल्टी तरफ बड़ते है तो उसे वक्री कहा जाता है। हालांकि राहू केतू की नैसर्गिक चाल वक्र ही है। पंडित शर्मा ने बताया की आने वाले जून-जुलाई काफी कष्टकारी हो सकते है। पांच ग्रहों का वक्री होना जनजीवन को अस्तव्यस्त कर सकता है। दो प्रमुख ग्रह शनि और गुरु का एक साथ मकर राशि में वक्री होना, पश्चिमी देशो में उथल पुथल मचा सकता है। मकर राशि शनि की स्वराशी है और गुरु की नीच राशि है। दोनों ग्रहों की आपसी द्वन्द की भेट चढ़ सकती है विश्व की अर्थ व्यवस्था। स्टॉक मार्केट में रिकार्ड गिरावट देखने को मिल सकती हैं। पांचो ग्रह तीन राशि को प्रभावित कर सकते है, वृषभ, मिथुन और मकर राशि होंगी प्रभावित। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है वर्षेश बुध का अपनी राशि मिथुन में वक्री होना, वायु तत्व राशि मिथुन में बुध का वक्री होने से संक्रामकता अपने चरम स्तर पर पहुंच सकती है। प्राकृतिक आपदा और संक्रामक बिमारी के बढ़ने के संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

ज्योतिष आकलन, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा बेहद संवेदनशील ज्योतिष आकलन, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा बेहद संवेदनशील Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on मई 21, 2020 Rating: 5

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