भगवान श्री गणेश का एक दांत टुटा हुआ है और इसकी कारन एक दन्त होने के कारण इन्हे एकदंत गणेश कहा जाता है | पर किसने तोडा इनका यह दांत आइये जाने अलग अलग कथाओं के माध्यम से |
भगवान श्री गणेश को हम एकदंत भी कहते है क्योकि गौर से देखने पर इनकी प्रतिमा या फोटो में इनका एक दन्त आधा टुटा हुआ दिखाई देगा |
हमारे धर्म ग्रन्थ इसके पीछे अलग अलग कथाये बताते है | आइये जाने कौन कौनसी कथाये है गणेशजी के एकदंत होने के पीछे :
कथा 1 : परशुराम जी अपने परशे से तोडा गणेश जी का एक दांत :
एक बार विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत पर आये | शिव पुत्र गणेश जी ने उन्हें रोक दिया और मिलने की अनुमति नही दी | इस बात पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और उन्होंने श्री गणेश को युद्ध के लिए चुनौती दी दी | श्री गणेश भी पीछे हटने वालो में से नही थे | दोनों के बीच घोर युद्ध हुआ | इसी युद्ध में परशुरामजी के फरसे से उनका एक दांत टूट गया |
कथा 2 : कार्ति%केय ने ही तोडा उनका दांत :
भविष्य पुराण में एक कथा आती है जिसमे कार्तिhकेय ने श्री गणेश का दन्त तोडा | हम सभी जानते है की गणेशजी अपने बाल अवस्था में अति नटखट हुआ करते थे | एक बार उनकी शरारते बढती गयी और उन्होंने अपने ज्येष्ठ भाई कार्ति केय को परेशान करना शुरू कर दिया | इन सब हरकतों से परेशान होकर एक बार कार्तिककेयजी ने उनपर हमला कर दिया और भगवान श्री गणेश को अपना एक दांत गंवाना पड़ा | कुछ फोटो में गणेशजी के हाथ में यही दांत दिखाई देता है |
कथा 3 : वेदव्यास जी की महाभारत लिखने के लिए खुद ने तोडा अपना दांत :
एक अन्य कथा के अनुसार महर्षि् वेदव्यास जी को महाभारत लिखने के लिए बुद्धिमान किसी लेखक की जरुरत थी | उन्होंने इस कार्य के लिए भगवान श्री गणेश को चुना | श्री गणेश इस कार्य के लिए मान तो गये पर उन्होंने एक शर्त अपनी भी रखी की वेदव्यास जी महाभारत लिखाते समय बोलना बंद नही करेंगे | तब श्री गणेश जी ने अपने एक दांत को तोड़कर उसकी कलम बना ली वेद व्यास जी के वचनों पर महाभारत लिखी |
कथा 4 : एक असुर का वध करने के लिए गणेशजी ने लिया अपने दांत का सहारा
गजमुखासुर नामक एक महाबलशाली असुर हुआ जिसने अपनी घोर तपस्या से यह वरदान प्राप्त कर दिया की उसे कोई अस्त्र शास्त्र मार नही सकता | यह वरदान पाकर उसने तीनो लोको में अपना सिक्का जमा लिया | सब उससे भय खाने लगे | तब उसका वध करने के लिए सभी ने भगवान श्री गणेश को मनाया | गजानंद ने गजमुखासुर को युद्ध के ललकारा और अपना एक दांत तोड़कर हाथ में पकड़ लिया | गजमुखासुर को अपनी मृत्यु नजर आने लगी | वह मूषक रूप धारण करके युद्ध से भागने लगा | गणेशजी ने उसे पकड़ लिया और अपना वाहन बना लिया |
हमारे धर्म ग्रन्थ इसके पीछे अलग अलग कथाये बताते है | आइये जाने कौन कौनसी कथाये है गणेशजी के एकदंत होने के पीछे :
कथा 1 : परशुराम जी अपने परशे से तोडा गणेश जी का एक दांत :
एक बार विष्णु के अवतार भगवान परशुराम जी शिवजी से मिलने कैलाश पर्वत पर आये | शिव पुत्र गणेश जी ने उन्हें रोक दिया और मिलने की अनुमति नही दी | इस बात पर परशुराम जी क्रोधित हो उठे और उन्होंने श्री गणेश को युद्ध के लिए चुनौती दी दी | श्री गणेश भी पीछे हटने वालो में से नही थे | दोनों के बीच घोर युद्ध हुआ | इसी युद्ध में परशुरामजी के फरसे से उनका एक दांत टूट गया |
कथा 2 : कार्ति%केय ने ही तोडा उनका दांत :
भविष्य पुराण में एक कथा आती है जिसमे कार्तिhकेय ने श्री गणेश का दन्त तोडा | हम सभी जानते है की गणेशजी अपने बाल अवस्था में अति नटखट हुआ करते थे | एक बार उनकी शरारते बढती गयी और उन्होंने अपने ज्येष्ठ भाई कार्ति केय को परेशान करना शुरू कर दिया | इन सब हरकतों से परेशान होकर एक बार कार्तिककेयजी ने उनपर हमला कर दिया और भगवान श्री गणेश को अपना एक दांत गंवाना पड़ा | कुछ फोटो में गणेशजी के हाथ में यही दांत दिखाई देता है |
कथा 3 : वेदव्यास जी की महाभारत लिखने के लिए खुद ने तोडा अपना दांत :
एक अन्य कथा के अनुसार महर्षि् वेदव्यास जी को महाभारत लिखने के लिए बुद्धिमान किसी लेखक की जरुरत थी | उन्होंने इस कार्य के लिए भगवान श्री गणेश को चुना | श्री गणेश इस कार्य के लिए मान तो गये पर उन्होंने एक शर्त अपनी भी रखी की वेदव्यास जी महाभारत लिखाते समय बोलना बंद नही करेंगे | तब श्री गणेश जी ने अपने एक दांत को तोड़कर उसकी कलम बना ली वेद व्यास जी के वचनों पर महाभारत लिखी |
कथा 4 : एक असुर का वध करने के लिए गणेशजी ने लिया अपने दांत का सहारा
गजमुखासुर नामक एक महाबलशाली असुर हुआ जिसने अपनी घोर तपस्या से यह वरदान प्राप्त कर दिया की उसे कोई अस्त्र शास्त्र मार नही सकता | यह वरदान पाकर उसने तीनो लोको में अपना सिक्का जमा लिया | सब उससे भय खाने लगे | तब उसका वध करने के लिए सभी ने भगवान श्री गणेश को मनाया | गजानंद ने गजमुखासुर को युद्ध के ललकारा और अपना एक दांत तोड़कर हाथ में पकड़ लिया | गजमुखासुर को अपनी मृत्यु नजर आने लगी | वह मूषक रूप धारण करके युद्ध से भागने लगा | गणेशजी ने उसे पकड़ लिया और अपना वाहन बना लिया |
क्यों कहलाते है भगवान् श्री गणेश एकदंत, कथा - किसने तोडा इनका एक दांत
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
on
सितंबर 29, 2018
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