कुण्डली का सातवाँ घर

जन्मकुंडली में सप्तम स्थान से शादी का विचार किया जाता है | अब आप भी अपनी कुंडली में सप्तम स्थान को देखकर अपने विवाह और जीवन साथी के बारे में जान सकते हैं | नीचे लिखे कुछ साधारण नियम हर व्यक्ति पर लागु होते हैं | कुल १२ राशियों का सप्तम स्थान में होने पर क्या प्रभाव जीवन पर पढता है यह मेरे स्वयं के अनुभवों से संकलित किया ज्ञान है |
शुक्र यहाँ का कारक ग्रह है और शनि सप्तम भाव में बलवान हो जाता है | गुरु यहाँ निर्बल हो जाता है तो सूर्य तलाक की स्थिति उत्पन्न करता है | मंगल यदि सप्तम स्थान में हो तो मांगलिक योग तो होता ही है साथ में घर में क्लेश और नौकरी में समस्याएं उत्पन्न करता है | बुध का बल भी यहाँ क्षीण हो जाता है तथा राहू केतु पत्नी से अलगाव उत्पन्न करते हैं | राहू सप्तम में हो तो जातक अपनी पत्नी से या पत्नी जातक से दूर भागती है | यदि जीवनसाथी की कुंडली में भी राहू या केतु सप्तम स्थान में हो तो तलाक एक वर्ष के भीतर हो जाता है |
केतु के सप्तम स्थान में होने पर संबंधों में अलगाव की स्थिति जीवन भर बनी रहती है | पति पत्नी दोनों एक दुसरे को पसंद नहीं करते |
सप्तम स्थान का स्वामी यदि सप्तम में ही हो तो व्यक्ति विवाह के पश्चात उन्नति करता है और व्यक्ति का दाम्पत्य जीवन अत्यंत मधुर और शुभ फलदायी साबित होता है |
यह था सप्तम भाव में बैठे ग्रहों का फल | यदि सप्तम भाव में कोई ग्रह ही न हो तो क्या होता है ?
जानने के लिए देखिये कि सप्तम स्थान में आपकी कुंडली में कौन सी राशी या कौन सा अंक है 
१ अंक हो तो मेष राशी, २ वृषभ, ३ मिथुन, ४ कर्क, ५ सिंह, ६ कन्या, ७ तुला, ८ वृश्चिक, ९ धनु, १० मकर, ११ कुम्भ और १२ मीन
मेष और वृश्चिक राशी का स्वामी मंगल
वृषभ और तुला राशी का स्वामी शुक्र
मिथुन और कन्या का स्वामी बुध
कर्क राशी का स्वामी चन्द्र
सिंह राशी का स्वामी सूर्य
धनु मीन राशि का स्वामी गुरु और
मकर कुम्भ का स्वामी शनि होता है

सप्तम स्थान में मेष राशी स्वामी मंगल

यदि सप्तम स्थान में मेष राशि हो और मंगल जन्मकुंडली के दशम भाव में नहीं होना चाहिए अन्यथा जीवन नरक के समान बन जाएगा |
आठवें स्थान में सप्तमेश मंगल हो तो घोर मांगलिक योग उत्पन्न करता है | दहेज की समस्याएं कड़ी हो जाती है और व्यक्ति फंस जाता है | स्त्री की कुंडली में ऐसा हो तो ऐसी बीमारियाँ लग जाती हैं जिनका असर सीधा प्रजनन क्षमता पर पड़ता है |
बाकी किसी भी स्थान पर मंगल होने पर दाम्पत्य पर बुरा असर नहीं पड़ता |

सप्तम स्थान में वृषभ राशी स्वामी शुक्र

यदि सप्तम स्थान में वृषभ राशी हो तो शुक्र की सबसे खराब स्थिति ग्यारहवें स्थान में होगी | यहाँ पर बैठा शुक्र जींवन में शादी का सुख कभी नहीं होने देगा | बार बार धन की हानि होगी | मांगलिक योग से भी अधिक खतरनाक इस योग में स्त्री हो या पुरुष, कोई सुखी नहीं रह सकता
छठे स्थान में भी शुक्र का होना अशुभ ही होगा | दशम भाव का शुक्र आपके जीवन को नीरस बना देगा | जीवन से उमंग और उत्साह चला जाएगा | शादी होने के तुरंत बाद से हालात बिलकूल बदल जायेंगे | केवल एक ही बात नहीं होगी और वह है तलाक | यदि ऐसी स्थिति में राहू या केतु साथ हों तो तलाक हो जाएगा और बुध, चन्द्र या गुरु साथ हों या इन में से किसी की दृष्टि शुक्र पर पड़ जाए तो तलाक होना असंभव है | तलाक की परिस्थितियां ही नहीं बन पाएंगी | परन्तु यदि शुक्र पंचम स्थान में बैठा हो तो प्रेम होगा फिर विवाह होगा और फिर भाग्योदय | यह ग्रह स्थिति फिल्मों में सफलता दिलाने के लिए आदर्श है | बाकी के स्थानों में शुक्र का फल मिश्रित ही रहेगा |

सप्तम स्थान में मिथुन राशी स्वामी बुध

यदि सप्तम भाव में मिथुन राशी हो तो बुध को देखें कहाँ स्थित है | यदि बुध चौथे भाव में है तो ऐसी स्थिति में बुध व्यक्ति को जीवनसाथी के सुख से जीवन भर वंचित रखेगा | बारहवें भाव में बैठा बुध शादी के बाद विदेश यात्रा करवाएगा परन्तु सुख नहीं मिलेगा | तीसरे स्थान में बुध प्रबल मारकेश बन जाएगा और जीवनसाथी को या स्वयं को अकाल मृत्यु का भय देगा | अष्टम स्थान में भी बुध का ऐसा ही प्रभाव होगा | दाम्पत्य सुख नहीं के बराबर होगा और तरह तरह की शारीरिक व्याधियों से जीवनसाथी ग्रस्त रहेगा | कुंडली के पंचम स्थान में बैठा बुध प्रेम तो प्रेम विवाह नहीं होने देगा | यदि ऐसी स्थिति में किसी प्रकार प्रेम विवाह हो जाए तो कुछ ही दिनों में जीवन साथी से मोह ख़त्म हो जाएगा |

सप्तम स्थान में कर्क राशी स्वामी चन्द्र

यदि सातवें घर में कर्क राशि हो तो चन्द्रमा की सबसे अच्छी स्थिति नवम भाव में होगी | यहाँ चन्द्र एक शुभ स्थान का स्वामी होकर दुसरे शुभ स्थान में होने पर विवाह के पश्चात व्यक्ति को ऊँचाइयों तक पहुंचा देगा | व्यक्ति का विवाह के बाद भाग्योदय होगा | सुन्दर व् सुशील पत्नी के साथ साथ उत्तम संतान का भी लाभ देगा |
सप्तम स्थान का स्वामी होकर चन्द्र यदि ग्यारहवें स्थान में हो तो विवाह के बाद व्यक्ति के पास बुरे समाचारों की झड़ी लग जाती है | भाग्य कदम कदम पर व्यक्ति को धोखा देता है | सट्टे या व्यापार में ऐसी हानि होती है जिसकी भरपाई पूरे जीवन में नहीं हो पाती | हाँ यदि व्यक्ति दूसरा विवाह कर ले तो इस अनिष्ट से उसका बचाव संभव है |

सप्तम स्थान में सिंह राशी स्वामी सूर्य

सप्तम स्थान विवाह, व्यापार, ससुराल और जीवनसाथी का होता है | यदि इस स्थान में सिंह राशि हो तो सूर्य स्वामी होगा | अब सूर्य की स्थिति कुंडली में कहाँ कहाँ अच्छी होगी और कहाँ खराब यह मैं आपको बतलाता हूँ |
सप्तम स्थान का स्वामी सूर्य यदि नवम स्थान में हो तो इसे व्यक्ति का दुर्भाग्य समझना चाहिए | निस्संदेह तलाक हो जाएगा | यदि बुध साथ हो तो एक साल के भीतर पति पत्नी अलग हो जायेंगे | किसी शुभ ग्रह की दृष्टि से तलाक की अवधि बढ़ जायेगी परन्तु तलाक का यह एक प्रबल योग है | बारहवें, चौथे, आठवें सूर्य के होने पर भी तलाक संभव है | इस के अतिरिक्त अन्य स्थानों पर सूर्य का प्रभाव शुभ ही रहेगा |

सप्तम स्थान में कन्या राशी स्वामी बुध

सप्तम स्थान में कन्या राशि के होने से बुध स्वामी होता है | सप्तमेश बुध यदि लग्न में हो तो व्यक्ति को विवाह नहीं करवाना चाहिए | विवाह व्यक्ति के लिए मारक बन जाएगा और व्यक्ति की मृत्यु का कारण उसकी ससुराल, पत्नी, व्यापार में घाटा या कोई नजदीकी मित्र बनता है | बुध की स्थिति जिस स्थान में होगी उसके लिए ऐसा बुध मारक बन जाएगा | उदाहरण के तौर पर यदि बुध चौथे स्थान में होगा तो यहाँ उसकी पहली राशी मिथुन होगी | अपनी राशि में होने के बावजूद व्यक्ति की माँ की मृत्यु विवाह के पश्चात शीघ ही हो जायेगी क्योकि यहाँ बुध दो केन्द्रों का स्वामी होकर मारक है और मारकेश यदि चौथे यानी माता के स्थान में होगा तो माता को कष्ट होना स्वाभाविक ही है |
कुण्डली का सातवाँ घर कुण्डली का सातवाँ घर Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on दिसंबर 24, 2018 Rating: 5

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