कैसे पता करें कि आप पर पितृ दोष है? और उसके निवारण का उपाय क्या है?
आइए पहले जानते हैं पितृ दोष के लक्षण :-
१. घर में कलह का होना।
२. बड़े परेशानी से पैसा आना, धन कमाने में नाको चने चबाना पड़ जाता है !
३. घर के लोग जब सब एक साथ होंगे तो कुछ तर्क कुतर्क करते रहेंगे लेकिन जैसे ही दूर जायेंगे तो सब ठीक हो जायेगा।
४. सब कुछ ठीक होने के बाद भी चीज़े गड़बड़ होंगी (ऐसा लगेगा ये सिर्फ मेरे साथ ही क्यों हो रहा है)!
५. नौकरी व्यापर मेन तरक्की रुक जाती है !
६. बनते हुए काम बिगड़ जायेंगे किसी प्रकार से मनुष्य मेहनत कर भी ले तो बिना रुके या अटके काम पूरा हो ही नहीं पता है ऐसी ऐसी बधाये आयेंगी कि मनुष्य सोच भी नहीं सकता।
७. घर के सब सदस्य आपस में झगड़ते रहेंगे और मजबूत पितृ दोष वंश का बढ़ना रोकदेगा।
८. घर मे सूनापन लगेगा , बीमारी लगी रहेगी घर के लोगो को पेड़ पौधे जानवर मर जायेंगे और घर की दीवारों पे पेड़ उगने लगेंगे।
९. इस दोष से प्रभावित व्यक्ति को अपनी योग्यता अनुसार नौकरी या तरक्की नहीं मिल पाती है वो पूरे जीवन संघर्ष करते रह जाते है और बाधाये उनका पीछा नहीं छोड़ती बनते बनते काम बिगड़ जाता है ऐसे में लोग चुगली करने लगते हैं।
मनुष्य को इसके उपाय कर अवश्य लेने चाहिए और जीतना हो सके उतना अधिक कर ले।
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अब हैं कुछ उपाय जो करने चाहिए-
१. प्रतिदिन पूर्वजो को जल दे पहले सूर्य को जल दे फिर पितरो को जल दे , दक्षिण दिशा में मुँह कर के पितरो को जल दें।
२. पितरो से क्षमा माँग ले वैसे भी किसी गलती के लिए किसी से क्षमा मांग लेने से बृहस्पति मजबूत होता है और की स्किल्स आ जाती है जिन भी लोगो का बृहस्पति मजबूत होता है उन्हें समाज से सम्मान मिलने लगता है।
३. किसी गुरु या गुरु सामान व्यक्ति के सान्निध्य में रहे यदि उनसे सम्बन्ध ख़राब हो गया हो तो पुनःसम्बन्ध जोड़ ले।
४. गुप्त दान करें (इसका अर्थ ये नहीं की अयोग्य व्यक्ति को ही दान कर के चले आऐं)।
५. मंदिर निर्माण के लिए पैसा दे एक ईंट भी दान में गिनी जाएगी – किसी मंदिर जहाँ किसी नाराजगी की वजह से जाना बंद कर दिया हो वहां जाना पुनः शुरू कर दे।
६. एकादशी और द्वादशी को पितरो का ध्यान करे ध्यान में पितरो को याद करें उनसे क्षमा मांगे।
७. हर अमावस्या को पितृ दोष का उपाय कर लिया जाये तो अछा रहता है यदि ये ना हो सके तो कम से कम साल में एक बार जो पितृ पक्ष वाली अमावस्या होती है उसमें अवश्य कर लिया करे !
८. पीपल का या केले का पेड़ लगाये (केले का पेड़ घर में नहीं लगाये ) गाय कुत्ते कौवे का ग्रास निकलने के बाद शाम को दिया जलाये पूर्वजो के लिए- कुष्ठ रोगियों कि सेवा करे, घर कि महिलाओ का सम्मान करे।
९. त्रयोदशी को पितरो से क्षमा मांगे शिव जी की भी पूजा करे।
१०. सौ गायो को एक साथ एक ही दिन में चारा खिलाये वर्ष में एक बार ऐसा करे!
११. अमावस्या के दिन परिवार के सभी लोग नारियल प्रवाहित कर दे जल में (नदी में)।
१२. एकादशी को चावल या हल का दान करे आज कल के समय में हल का दान नहीं हो पता लेकिन जितना हो जाये उतना ही कर ले !
१३. श्री मद भागवत पुराण पढ़ के उसका फल पितरो को दे दे और भगवान से प्रार्थना करे कि पितरो को मुक्ति दे दे वैकुण्ठ दे दें।
१४. गीता पाठ का फल पितरो को दे दे उनके (पितरो के) नाम से पूजा ईत्यादि कर दें।
१५. पितरो के नाम से मंदिर में गुरु के स्थान पे दान करे सेवा करे मंदिर जैसे मंदिर कि साफ सफाई सेवा करें।
पितृदोष के लक्षण और उपाय
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
on
अप्रैल 24, 2019
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