कई बार लोगों की उलझन होती है कि हमारा जन्म समय या तिथि सही ज्ञात नहीं
है। ऐसे में ज्योतिष संबंधी फलादेश कैसे किए जाएं। ज्योतिष में इसका सटीक जवाब प्रश्न
कुण्डली है। प्रश्न कुण्डली में कार्य भाव और कार्येश की भूमिका अहम होती है। कार्य
से यहां अर्थ उस विचार या इच्छा से है जिसके लिये प्रश्न कुण्डली का निर्माण किया गया
है। जैसे अगर कोई व्यक्ति यह जानना चाहता है कि क्या वह यात्रा करेगा, तो इस स्थिति
में कार्यभाव तृतीय भाव हो गया। कार्येश से अभिप्राय कुण्डली के उस भाव से है, जिससे
संबन्धित प्रश्न किया गया है। इस प्रश्न में यात्रा के विषय में कहा गया है तो तृ्तीय
भाव का स्वामी कार्येश हो गया। इस प्रकार प्रश्न कुण्डली में कार्य भाव और कार्येश
का संबन्ध प्रश्न की सफलता दर्शाता है। सप्तम भाव वह व्यक्ति या विषय वस्तु है, जिससे
संबन्धित प्रश्न किया गया है। उस व्यक्ति की स्थिति को समझने के लिये सांतवें घर का
विश्लेषण किया जाता है.
प्रश्न कुण्डली वास्तव में समय विशेष की एक कुण्डली है जो उस समय बनाई
जाती है, जिस समय जातक प्रश्न पूछता है। इस कुण्डली से जातक के प्रश्न का ही भविष्य
देखने का प्रयास किया जाता है। इस विधि में सवाल कुछ भी हो सकता है। आमतौर पर तात्कालिक
समस्या ही सवाल होती है। ऐसे में समस्या समाधान का जवाब देने के लिए प्रश्न कुण्डली
सर्वाधिक उपयुक्त तरीका है। ध्यान रखने की बात यह है, कि प्रश्न के सामने आते ही
उसकी कुण्डली बना ली जाए। इससे समय के फेर की समस्या नहीं रहती। इसके साथ ही जातक
की मूल कुण्डली भी मिल जाए और वह प्रश्न कुण्डली को इको करती हो तो समस्या का हल
ढूंढना और भी आसान हो जाता है। कई बार जातक जो मूल कुण्डली लेकर आता है, वह भी संदेह
के घेरे में होती है। ओमेन (संकेतों का विज्ञान) बताता है कि जातक का ज्योतिषी के
पास आने का समय और जातक की कुण्डली दोनों आमतौर पर एक-दूसरे के पूरक होते हैं। ऐसे
में प्रश्न कुण्डली बना लेना फलादेश के सही होने की गारंटी को बढ़ा देता है। पूर्व
में जब हाथ से कुण्डली बनाई जाती थी, तब हाथों हाथ प्रश्न कुण्डली बनाना संभव नहीं
था, लेकिन वर्तमान दौर में कंम्प्यूटर और सक्षम सॉफ्टवेयर की मदद से जब हाथों हाथ
कुण्डलियां बनाई जा रही है, तब ज्योतिषी जातक की मूल कुण्डली के साथ ही प्रश्न
कुण्डली बना लेते हैं। यह फलादेश के काम को आसान बना देता है।
छद्म प्रश्नों की समस्या
प्रश्न कुण्डली के साथ बड़ी समस्या है जातक के सवाल का सही नहीं होना।
ज्योतिष की जिन पुस्तकों में प्रश्नों के सवाल देने की विधियां दी गई हैं उन्हीं
में छद्म प्रश्नों से बचने के तरीके भी बताए गए हैं। इसका पहला नियम यह है कि ज्योतिषी
को टैस्ट करने के लिए पूछे गए सवालों का जवाब कभी मत दो। ऐसा इसलिए कि ओमेने के सिद्धांत
के अनुसार छद्म सवाल का कोई उत्तर नहीं होता। जातक का सवाल सही नहीं होने पर प्रश्न
और कुण्डली एक-दूसरे के पूरक नहीं बन पाते हैं। ऐसे में प्रश्न कुण्डली बनाने के
साथ ही ज्योतिषी को प्रश्न के स्वभाव का प्रारंभिक अनुमान भी कर लेना चाहिए। इससे
प्रश्न में बदलाव की संभावना कम होती है।
कमोबेश एक जैसे सवाल
ज्योतिष कार्यालय चलाने वाले लोग जानते हैं कि एक दिन में एक ही प्रकार
की समस्याओं वाले लोग अधिक आते हैं। इसका कारण यह है कि गोचर में ग्रहों की जो स्थिति
होती है उससे पीडि़त होने वाले लोगों का स्वभाव भी एक जैसा ही होगा। इसका अर्थ यह
नहीं है कि समान राशि या कुण्डली वाले लोगों को एक जैसी समस्याएं होगी बल्कि ग्रह
योगों की समान स्थिति से समान स्वभाव की समस्याएं सामने आएंगी। मेरा अनुभव बताता
है कि जिस दिन गोचर में चंद्रमा और शनि की युति होगी, तो उस दिन मानसिक समस्याओं से
घिरे लोग अधिक आएंगे। हां, मानसिक समस्याओं का प्रकार लग्न और अन्य ग्रहों के कारण
बदल जाता। कोई सिजोफ्रीनिया से पीडि़त हो सकता है तो कोई क्रोनिक डिप्रेशन का मरीज
हो सकता है। किसी को दिमागी सुस्ती की समस्या हो सकती है तो कोई साइको-सोमेटिक डिजीज
से ग्रस्त हो सकता है। इस तरह प्रश्न कुण्डली से एक ओर जातक का विश्लेषण आसान हो
जाता है तो दूसरी ओर भूतकाल स्पष्ट करने के बजाय भविष्य कथन में अधिक ध्यान लगाया
जा सकता है।
जन्म समय की समस्या का समाधान
पिछले कुछ सालों में अस्पतालों में शिशु जन्म की स्थितियां बढ़ने के कारण
जन्म समय कमोबेश सही मिलने लगे हैं। पर अब भी जन्म समय को लेकर कई तरह की उलझनें
बनी हुई है। आमतौर पर शिशु के गर्भ से बाहर आने को ही जन्म समय माना जाता है। इसके
अलावा माता से नाल के कटने या पहली सांस लेने का भी जन्म समय लेने के मत ज्योतिष
में देखने को मिलते हैं। सही जन्म समय को लेकर हमेशा उहापोह की स्थिति बनी रहती है।
ऐसे में प्रश्न कुण्डली ऐसा जवाब है जिससे जन्म तिथि और जन्म समय के बिना फलादेश
किया जा सकता है। सामान्यता: प्रश्न कुण्डली की आयु वार्षिक मानी गई है। प्रश्न कुण्डली
में लग्न समय निश्चित होता है। प्रश्न कर्ता की चिन्ताओं की जानकारी चन्द्रमा से देखी
जा सकती है। प्रश्न कुण्डली में लग्न भाव में बली चन्द्र की स्थिति निवास चिन्ता, दूसरे
भाव में धन, तीसरे भाव में घर से दूर रहने की चिन्ता, चौथे भाव में मकान/ पानी से संबधित
परेशानी, पांचवे भाव में संतान, छठे भाव में ऋण, सांतवेंभाव में विवाह या साझेदारी,
आंठवें भाव में पैतृक संम्पति में या अप्रयाशित लाभ, नवम भाव में चन्द्र लम्बी दूरी
की यात्रा, दशम भाव में आजीविका, एकादश भाव में आय वृ्द्धि / पदोन्नति, द्वादश भाव
में बली चन्द्र विदेश यात्रा से जुडी चिन्ताएं होने का संकेत देता है.
प्रश्न कुण्डली के फायदे
1. जन्म समय का फेर नहीं होता
2.
अगर आपको पास सॉफ्टवेयर है तो
यह हाथों-हाथ तैयार हो जाती है
3.
सही सवालों के जवाब स्पष्ट
मिलते सकते हैं
4.
हर तरह के सवाल का जवाब दिया
जा सकता है, बशर्ते सवाल सही हो।
5.
जिन लोगों को जन्म समय नहीं
हैं, उनके अलावा जिन लोगों की गलत कुण्डली बनी हुई है वे भी अपनी चिंताओं का सही जवाब
ले सकते हैं।
6.
भविष्य कथन के बजाय मौजूदा समस्याओं
से संबंधित कई सवालों के सटीक जवाब मिलते हैं
7. पूर्ण भविष्य कथन के बजाय ऐसे सवाल जिनके हां या ना में उत्तर होते
हैं उनके अपेक्षाकृत सटीक जवाब मिलते हैं।
प्रश्न कुण्डली
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
on
जून 30, 2019
Rating:
कोई टिप्पणी नहीं: