राशि
शब्द का अर्थ विभिन्न तारों का समूह है. आकाश में तारे विशेष प्रकार की आकृति ग्रहण
करते हैं जिसके आधार पर राशियों के नाम दिये गये हैं. भारतीय ज्योतिष शास्त्र में केवल
सत्ताइस नक्षत्रों, बारह राशियों तथा नवग्रहों प्रधानता दी गई है. जब कि आकाश
मंडल में 88 राशि समूह है. इनका आपके ऊपर कोई प्रभाव नही पड़ता.
पृथ्वी की दैनिक गति के कारण सूर्य प्रतिदिन पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता
नज़र आता है. जन्म के समय जो राशि पूर्व क्षितिज पर उदय होती है उसे ही जन्म लग्न मानते
है. तथा उस दिन के ग्रहों को बारह खानों में स्थापित कर दिया जाता है.
मेष राशि – Aries Sign
मेष राशि काल चक्र की प्रथम राशि है. मेष राशि की आकृति मेढ़े के समान होती है. आकाश में शून्य से तीस अंशों तक मेष राशि का प्रसार है. मेष राशि के अंतरगत अश्विनि नक्षत्र के चारों चरण 13 अंश से 20 कला तक भरणी नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 अंश कला तक तथा कृतिका का एक चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है. यह राशि मंगल की मूल त्रिकोण राशि भी मानी जाती है.
मेष राशि काल चक्र की प्रथम राशि है. मेष राशि की आकृति मेढ़े के समान होती है. आकाश में शून्य से तीस अंशों तक मेष राशि का प्रसार है. मेष राशि के अंतरगत अश्विनि नक्षत्र के चारों चरण 13 अंश से 20 कला तक भरणी नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 अंश कला तक तथा कृतिका का एक चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है. यह राशि मंगल की मूल त्रिकोण राशि भी मानी जाती है.
इस राशि में सूर्य को उच्च का तथा शनि को नीच का माना जाता है. मेष राशि
चर स्वभाव तथा पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में मेष राशि को क्षत्रिय
वर्ण तथा तत्व में अग्नि तत्व की श्रेणी में रखा गया है. मेष राशि का बाह्य में सिर
व भीतरी अंगों में मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है. यह लाल रंग की पुरुष, क्रूर,
रात्रिबली, पृष्ठोदय, रजोगुण वाली राशि है.
वृष राशि – Tauras Sign
वृष राशि काल चक्र की द्वितीय राशि है. वृष राशि की आकृति बैल के समान होती है. आकाश में शून्य से तीस अंशों तक वृष राशि का प्रसार है. वृष राशि के अंतरगत कृतिका नक्षत्र के तीनों चरण 10 अंश से 0 कला तक
रोहिणी नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 कला तक तथा मृगशिरा के दो चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
वृष राशि काल चक्र की द्वितीय राशि है. वृष राशि की आकृति बैल के समान होती है. आकाश में शून्य से तीस अंशों तक वृष राशि का प्रसार है. वृष राशि के अंतरगत कृतिका नक्षत्र के तीनों चरण 10 अंश से 0 कला तक
रोहिणी नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 कला तक तथा मृगशिरा के दो चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
वृष राशि का स्वामी शुक्र है. चंद्रमा इस राशि में उच्च का होता है तथा
मतानुसार केतु भी उच्च का माना जाता है किन्तु राहु नीच का होता है. वृष राशि स्थिर
स्वभाव की है तथा दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में इस राशि को
वैश्य तथा पृथ्वी तत्व की क्षेणी में रखा गया है. वृष राशि का बाह्य में मुख व भीतरी
अंगों में कण्ठ, टांन्सिल्स का प्रतिनिधित्व करती है. वृष राशि – स्त्री राशि है, यह
सौम्य, पृष्ठोदय, तमोगुण वाली राशि है.
मिथुन राशि – Gemini Sign
मिथुन राशि काल चक्र की तीसरी राशि है. मिथुन राशि की आकृति स्त्री – पुरुष का जोड़ा है. आकाश में साठ से नब्बे अंशों तक मिथुन राशि का प्रसार है. मिथुन राशि के अंतरगत मृगशिरा नक्षत्र के दो चरण 6 अंश से 40 कला तक आर्द्रा नक्षत्र के चारों चरण 20 अंश 0 कला तक तथा पुनर्वसु के तीन चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
मिथुन राशि काल चक्र की तीसरी राशि है. मिथुन राशि की आकृति स्त्री – पुरुष का जोड़ा है. आकाश में साठ से नब्बे अंशों तक मिथुन राशि का प्रसार है. मिथुन राशि के अंतरगत मृगशिरा नक्षत्र के दो चरण 6 अंश से 40 कला तक आर्द्रा नक्षत्र के चारों चरण 20 अंश 0 कला तक तथा पुनर्वसु के तीन चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
मिथुन राशि का स्वामी बुध है. मिथुन राशि में राहु उच्च का व केतु नीच
का माना जाता है
मिथुन राशि द्विस्वभाव तथा पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में मिथुन राशि को शूद्र वर्ण तथा वायु तत्व की क्षेणी में रखा गया है. मिथुन राशि का बाह्य में गला व बांहे भीतरी अंगों में फेफड़े व स्वांस
संबन्धी तंत्रों का प्रतिनिधित्व करता है. यह हरे रंग की पुरुष, क्रूर, रात्रिबली, पृष्ठोदय, सतोगुण वाली राशि है.
मिथुन राशि द्विस्वभाव तथा पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में मिथुन राशि को शूद्र वर्ण तथा वायु तत्व की क्षेणी में रखा गया है. मिथुन राशि का बाह्य में गला व बांहे भीतरी अंगों में फेफड़े व स्वांस
संबन्धी तंत्रों का प्रतिनिधित्व करता है. यह हरे रंग की पुरुष, क्रूर, रात्रिबली, पृष्ठोदय, सतोगुण वाली राशि है.
कर्क राशि – Cancer Sign
कर्क राशि काल चक्र की चतुर्थ राशि है. कर्क राशि की आकृति केकड़े के समान होती है. आकाश में नब्बे से एक सौ बीस अंशों तक कर्क राशि का प्रसार है. कर्क राशि के अंतरगत पुनर्वसु नक्षत्र का एक चरण 3 अंश से 20 कला तक पुष्य नक्षत्र के चारों चरण 16 अंश 40 कला तक तथा आश्लेषा के चारों चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
कर्क राशि काल चक्र की चतुर्थ राशि है. कर्क राशि की आकृति केकड़े के समान होती है. आकाश में नब्बे से एक सौ बीस अंशों तक कर्क राशि का प्रसार है. कर्क राशि के अंतरगत पुनर्वसु नक्षत्र का एक चरण 3 अंश से 20 कला तक पुष्य नक्षत्र के चारों चरण 16 अंश 40 कला तक तथा आश्लेषा के चारों चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है. इस राशि में गुरु उच्च का तथा मंगल
नीच का माना जाता है. कर्क राशि सौम्य स्वभाव तथा उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करती
है. वर्ण विभाजन में कर्क राशि को ब्राह्मण वर्ण तथा तत्व में जल तत्व की श्रेणी में
रखा गया है. कर्क राशि का बाह्य में छाती व भीतरी अंगों में हृदय का प्रतिनिधित्व करता
है. यह स्त्री राशि शुभ, रात्रिबली, पृष्ठोदय, रजोगुण वाली राशि है.
सिंह राशि – Leo Sign
सिंह राशि काल चक्र की पंचम राशि है. सिंह राशि की आकृति शेर के समान होती है. आकाश में 120 से 150 अंशों तक सिंह राशि का प्रसार है. सिंह राशि के अंतरगत मघा नक्षत्र के चारों चरण 13 अंश से 20 कला तक
पूर्वीफाल्गुनी नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा उत्तराफाल्गुनी का एक चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
सिंह राशि काल चक्र की पंचम राशि है. सिंह राशि की आकृति शेर के समान होती है. आकाश में 120 से 150 अंशों तक सिंह राशि का प्रसार है. सिंह राशि के अंतरगत मघा नक्षत्र के चारों चरण 13 अंश से 20 कला तक
पूर्वीफाल्गुनी नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा उत्तराफाल्गुनी का एक चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
सिंह राशि का स्वामी सूर्य है. सिंह राशि क्रूर स्वभाव तथा पूर्व दिशा
का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में सिंह राशि को क्षत्रिय वर्ण तथा तत्व में
अग्नि तत्व की श्रेणी में रखा गया है. सिंह राशि का बाह्य में पेट व भीतरी अंगों में
पाचन तंत्र का प्रतिनिधित्व करता है. यह पीत रंग की पुरुष राशि, क्रूर, दिवाबली, शीर्षोदय,
तमोगुण वाली राशि है.
कन्या राशि – Virgo Sign
कन्या राशि काल चक्र की छठी राशि है. कन्या राशि की आकृति कन्या के समान होती है. आकाश में 150 से 180 अंशों तक कन्या राशि का प्रसार है. कन्या राशि के अंतरगत उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के तीन चरण 10 अंश से 0 कला तक हस्त नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 कला तक तथा चित्रा के दो चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
कन्या राशि काल चक्र की छठी राशि है. कन्या राशि की आकृति कन्या के समान होती है. आकाश में 150 से 180 अंशों तक कन्या राशि का प्रसार है. कन्या राशि के अंतरगत उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के तीन चरण 10 अंश से 0 कला तक हस्त नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 कला तक तथा चित्रा के दो चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
कन्या राशि का स्वामी बुध है. यह राशि बुध की ही मूल त्रिकोण राशि भी
मानी जाती है. इस राशि में बुध उच्च का तथा शुक्र नीच का माना जाता है. कन्या राशि
शुभ्स् स्वभाव तथा दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में कन्या
राशि को वैश्य वर्ण तथा तत्व में पृथ्वी तत्व की श्रेणी में रखा गया है. कन्या राशि
का बाह्य में कमर व भीतरी अंगों में आंते, पेट के भीतर का निचला हिस्से का प्रतिनिधित्व
करता है. यह चितकबरे रंग की स्त्री, शुभ, दिन में बली, शीर्षोदय, सतोगुण वाली राशि
है.
तुला राशि – Libra Sign
तुला राशि काल चक्र की सातवी राशि है. तुला राशि की आकृति तराजू के समान होती है. आकाश में 180 से 210 अंशों तक तुला राशि का प्रसार है. तुला राशि के अंतरगत चित्रा नक्षत्र के दो चरण 6 अंश से 40 कला तक स्वाति नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 अंश तक तथा विशाखा के तीन चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
तुला राशि काल चक्र की सातवी राशि है. तुला राशि की आकृति तराजू के समान होती है. आकाश में 180 से 210 अंशों तक तुला राशि का प्रसार है. तुला राशि के अंतरगत चित्रा नक्षत्र के दो चरण 6 अंश से 40 कला तक स्वाति नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 अंश तक तथा विशाखा के तीन चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
तुला राशि का स्वामी शुक्र है. इस राशि में शनि उच्च का तथा सूर्य नीच
का माना जाता है. तुला राशि चर स्वभाव तथा पश्चिम दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण
विभाजन में तुला राशि को शूद्र वर्ण तथा तत्व में वायु तत्व की क्षेणी में रखा गया
है. तुला राशि का बाह्य में पेडू, जनेन्द्रियाँ व भीतरी अंगों में गुर्दे का प्रतिनिधित्व
करता है. यह चितकबरे रंग की पुरुष, क्रूर, दिन में बली, शीर्षोदय, रजोगुण वाली राशि
है.
वृश्चिक राशि – Scorpio Sign
वृश्चिक राशि के अंतरगत विशाखा नक्षत्र का एक चरण 13 अंश से 20 कला तक अनुराधा नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा ज्येष्ठा के चारों चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है. राहु इस राशि में उच्च का तथा केतु नीच का माना जाता है.
वृश्चिक राशि के अंतरगत विशाखा नक्षत्र का एक चरण 13 अंश से 20 कला तक अनुराधा नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा ज्येष्ठा के चारों चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है.
वृश्चिक राशि का स्वामी मंगल है. राहु इस राशि में उच्च का तथा केतु नीच का माना जाता है.
वृश्चिक राशि सौम्य स्वभाव तथा उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करती है.
वर्ण विभाजन में वृश्चिक राशि को ब्राह्मण वर्ण तथा जल तत्व की क्षेणी में रखा गया
है. वृश्चिक राशि का बाह्य में गुदा व भीतरी अंगों में मूत्रेंद्रिय, जनेन्द्रिय का
प्रतिनिधित्व करता है. यह स्वर्ण रंग की स्त्री राशि, सौम्य, दिवाबली, शीर्षोदय, तमोगुण
वाली राशि है.
धनु राशि – Sagittarius Sign
धनु राशि काल चक्र की नवम राशि है. आकाश में 240 अंशो से 270 अंशों तक धनु राशि का प्रसार है. धनु राशि के अंतरगत मूला नक्षत्र के चारों चरण 13 अंश से 20 कला तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा उत्तराषाढ़ा का एक चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. धनु राशि की आकृति हाथ में धनुष बाण लिए ऊपरी भाग मनुष्य जैसा निचला घोडे़ जैसा है.
धनु राशि काल चक्र की नवम राशि है. आकाश में 240 अंशो से 270 अंशों तक धनु राशि का प्रसार है. धनु राशि के अंतरगत मूला नक्षत्र के चारों चरण 13 अंश से 20 कला तक पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा उत्तराषाढ़ा का एक चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. धनु राशि की आकृति हाथ में धनुष बाण लिए ऊपरी भाग मनुष्य जैसा निचला घोडे़ जैसा है.
धनु राशि का स्वामी गुरु है. राहु इस राशि में उच्च का तथा केतु नीच
का माना जाता है. धनु राशि क्रूर स्वभाव तथा पूर्व दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण
विभाजन में धनु राशि को क्षत्रिय वर्ण तथा तत्व में अग्नि तत्व की श्रेणी में रखा गया
है. धनु राशि का बाह्य में जाँघे, कूल्हे व भीतरी अंगों में स्नायु मण्डल व रक्त वाहक
नसो का प्रतिनिधित्व करता है. यह पीत रंग की पुरुष, क्रूर, रात्रिबली, पृष्ठोदय, सदगुण
वाली राशि है.
मकर राशि – Capricorn Sign
मकर राशि काल चक्र की दशम राशि है. आकाश में 270 अंशो से 300 अंशों तक मकर राशि का प्रसार है.
मकर राशि के अंतरगत उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण 10 अंश से 0 कला तक श्रवण नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 कला तक तथा धनिष्ठा के दो चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. मकर राशि की आकृति ऊपर का भाग सींग वाले बकरे की तरह व निचला भाग मगरमच्छ जैसा होता है.
मकर राशि काल चक्र की दशम राशि है. आकाश में 270 अंशो से 300 अंशों तक मकर राशि का प्रसार है.
मकर राशि के अंतरगत उत्तराषाढ़ा नक्षत्र के तीन चरण 10 अंश से 0 कला तक श्रवण नक्षत्र के चारों चरण 23 अंश 20 कला तक तथा धनिष्ठा के दो चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. मकर राशि की आकृति ऊपर का भाग सींग वाले बकरे की तरह व निचला भाग मगरमच्छ जैसा होता है.
मकर राशि का स्वामी शनि है. मंगल इस राशि में उच्च का तथा बृहस्पति नीच
का माना जाता है. मकर राशि सौम्य स्वभाव तथा दक्षिण दिशा का प्रतिनिधित्व करती है.
वर्ण विभाजन में मकर राशि को वैश्य वर्ण तथा पृथ्वी तत्व की क्षेणी में रखा गया है.
मकर राशि का बाह्य में घुटने व भीतरी अंगों में हड्डियां तथा जोड़ों का प्रतिनिधित्व
करता है. यह स्त्री राशि, सौम्य, रात्रिबली, पृष्ठोदय, रजोगुण वाली राशि है.
कुम्भ राशि – Aquarius Sign
कुम्भ राशि काल चक्र की एकादशवीं राशि है. आकाश में 300 अंशों से 330 अंशों तक कुम्भ राशि का प्रसार है. कुम्भ राशि के अंतरगत धनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण 6 अंश से 40 कला तक शतभिषा नक्षत्र के चारों चरण 20 अंश 0 कला तक तथा पूर्वाभाद्रपद के तीन चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. कुम्भ राशि की आकृति घड़े के आकार के समान होती है.
कुम्भ राशि काल चक्र की एकादशवीं राशि है. आकाश में 300 अंशों से 330 अंशों तक कुम्भ राशि का प्रसार है. कुम्भ राशि के अंतरगत धनिष्ठा नक्षत्र के दो चरण 6 अंश से 40 कला तक शतभिषा नक्षत्र के चारों चरण 20 अंश 0 कला तक तथा पूर्वाभाद्रपद के तीन चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. कुम्भ राशि की आकृति घड़े के आकार के समान होती है.
कुम्भ राशि का स्वामी शनि है. कुम्भ राशि क्रूर स्वभाव तथा पश्चिम दिशा
का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण विभाजन में कुम्भ राशि को शूद्र वर्ण तथा तत्व में वायु
तत्व की श्रेणी में रखा गया है. कुम्भ राशि का बाह्य में पिंडलियाँ व भीतरी अंगों में
रक्त तथा रक्त प्रवाह तंत्रो का प्रतिनिधित्व करता है. यह नीला रंग की पुरुष, क्रूर,
दिवाबली, शीर्षोदय, तमोगुण वाली राशि है.
मीन राशि – Pisces Sign
मीन राशि काल चक्र की बारहवीं राशि है. आकाश में 330 से 360 अंशों तक मीन राशि का प्रसार है. मीन राशि के अंतर्गत पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का एक चरण 13 अंश से 20 कला तक उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा रेवती के चारों चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. मीन राशि की आकृति दो मछलियाँ जिनकी पूँक्षे एक- दूसरे से विपरीत दिशा में हैं
मीन राशि काल चक्र की बारहवीं राशि है. आकाश में 330 से 360 अंशों तक मीन राशि का प्रसार है. मीन राशि के अंतर्गत पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र का एक चरण 13 अंश से 20 कला तक उत्तराभाद्रपद नक्षत्र के चारों चरण 26 अंश 40 कला तक तथा रेवती के चारों चरण 30 अंश और शून्य कला तक प्रसार होता है. मीन राशि की आकृति दो मछलियाँ जिनकी पूँक्षे एक- दूसरे से विपरीत दिशा में हैं
मीन राशि का स्वामी गुरु है. शुक्र इस राशि में उच्च का तथा बुध नीच
का माना जाता है. मीन राशि सौम्य स्वभाव तथा उत्तर दिशा का प्रतिनिधित्व करती है. वर्ण
विभाजन में मीन राशि को ब्राह्मण वर्ण तथा तत्व में जल तत्व की श्रेणी में रखा गया
है. मीन राशि का बाह्य में पैर व का प्रतिनिधित्व करता है. यह भूरे रंग की स्त्री,
सौम्य, रात्रिबली, उभयोदय, सतोगुण वाली राशि है.
राशि क्या है
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
on
जून 30, 2019
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