जानिए सावन/श्रावण माह का धार्मिक महत्व


हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह से प्रारंभ होने वाले वर्ष का पांचवा महीना जो ईस्वी कलेंडर के जुलाई या अगस्त माह में पड़ता हैश्रावण माह कहलाता है। इसे वर्षा ऋतु का महीना भी कहा जाता है क्यों कि इस समय भारत में काफ़ी वर्षा होती है। सावन का महीना रिमझिम फुहारों और हरियाली से मन को आनंदित कर देता है। भारत में इसी महीने की पूर्णिमा को मनाया जाता है रक्षाबंधन के त्योहार के रूप में..

श्रावण पूर्णिमा को दक्षिण भारत में नारयली पूर्णिमा व अवनी अवित्तममध्य भारत में कजरी पूनमउत्तर भारत में रक्षा बंधन और गुजरात में पवित्रोपना के रूप में मनाया जाता है। हमारे त्योहारों की यही विविधता ही तो भारत की विशिष्टता की पहचान है।

सावन के महीने का महत्त्व:-

श्रावण यह हिंदी कैलेंडर में पांचवे स्थान पर आता हैं। यह वर्षा ऋतू में प्रारंभ होता है। शिव जिनको श्रावण का देवता कहा जाता हैं उन्हें इस माह में भिन्न-भिन्न तरीकों से पूजा जाता हैं। पुरे माह धार्मिक उत्सव होते हैं शिव उपासनाव्रतपवित्र नदियों में स्नान एवम शिव अभिषेक का महत्व हैं। विशेष तौर पर सावन सोमवार को पूजा जाता हैं। कई महिलायें पूरा सावन महीना सूर्योदय के पूर्व स्नान कर उपवास रखती हैं। कुवारी कन्या अच्छे वर के लिए इस माह में उपवास एवम शिव की पूजा करती हैं। विवाहित स्त्री पति के लिए मंगल कामना करती हैं। भारत देश में पुरे उत्साह के साथ सावन महोत्सव मनाया जाता हैं।
सावन एक पवित्र माह:-
हिन्दू परिवारों में सावन को बेहद पवित्र और महत्वपूर्ण महीने के तौर पर देखा जाता है। इसकी महत्ता इसी बात से समझी जा सकती है कि सावन के माह में मांसाहार पूरी तरह त्याज्य होता है और शाकाहार को ही उपयुक्त माना गया है। इसके अलावा मदिरा पान भी निषेध माना गया है।

लेकिन ऐसा क्या है जो सावन के माह को इतना विशिष्ट बनाता है ?

कुछ ऐसी बातें हैं जो आज हम आपको बता रहे है आखिर क्यों सावन का महीना इतना खास होता है..

1.) हरियाली तीज:-
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को श्रावणी तीज कहते हैं। जनमानस में यह हरियाली तीज के नाम से जानी जाती है। यह मुख्यत: स्त्रियों का त्योहार है। इस समय जब प्रकृति चारों तरफ हरियाली की चादर सी बिछा देती है तो प्रकृति की इस छटा को देखकर मन पुलकित होकर नाच उठता है। जगह-जगह झूले पड़ते हैं। स्त्रियों के समूह गीत गा-गाकर झूला झूलते हैं। हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की तृतीय को हस्त नक्षत्र के दिन होता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती महिला गौरी शंकर की पूजा करती है।
2.) श्रावण/ सावन के सोमवार का व्रत:-
सोमवार का स्वामी भगवान शिव को माना जाता हैं। पुरे वर्ष में सोमवार को शिव भक्ति के लिए उत्तम माना जाता हैं। अत : शिव प्रिय होने के कारण श्रावण के सोमवार का महत्व अधिक बढ़ जाता हैं। श्रावण में पाँच अथवा चार सोमवार आते हैं जिनमे पूर्ण व्रत रखा जाता हैं । संध्या काल में पूजा के बाद भोजन ग्रहण किया जाता हैं। शिव जी की पूजा का समय प्रदोषकाल में की जाती हैं।

यह महीना बारिशों का होता हैजिससे कि पानी का जल स्तर बढ़ जाता है। मूसलाधार बारिश नुकसान पहुंचा सकती है इसलिए शिव पर जल चढ़ाकर उन्हें शांत किया जाता है । महाराष्ट्र में जल स्तर को सामान्य रखने की एक अनोखी प्रथा विद्यमान है। वे सावन के महीने में समुद्र में जाकर नारियल अर्पण करते हैं ताकि किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं पहुंच पाए।

3.) काँवर यात्रा:-
श्रावण में काँवर यात्रा का बहुत अधिक महत्व हैं। इसमें लोग भगवा वस्त्र धारण करके पवित्र नदियों के जल को एक काँवर में बाँधकर पैदल चलकर शिवलिंग पर उस जल को चढ़ाते हैं। काँवर एक बाँस का बना होता हैं जिसमे दोनों तरफ छोटी सी मटकी होती हैं जिसमे जल भरा होता हैं और उस बाँस को फूलों एवम घुन्घुरों से सजाया जाता हैं। साथ ही बोल बम” का नारा लिए कई काँवर यात्री श्रृद्धा पूर्वक पद यात्रा कर पवित्र जल को शिवलिंग पर अर्पण करते हैं।
यह कार्य पुरुषों द्वारा किया जाता हैं। अतः श्रावण का यह महीना स्त्री एवम पुरुषों दोनों के द्वारा अपने- अपने तरीकों द्वारा मनाया जाता हैं। भगवान शिव के भक्त कावड़ ले जाकर गंगा का पानी शिव की प्रतिमा पर अर्पित कर उन्हें प्रसन्न करने का प्रयत्न करते हैं। इसके अलावा सावन माह के प्रत्येक सोमवार को भगवान शिव पर जल चढ़ाना शुभ और फलदायी माना जाता है।
जानिए सावन/श्रावण माह का धार्मिक महत्व जानिए सावन/श्रावण माह का धार्मिक महत्व Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on जुलाई 14, 2018 Rating: 5

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