गणेश चतुर्थी पे करें गणेश जी की व्रत : हो जायें कर्ज से मुक्त

भारतीय संस्कृति के सुसंस्कारों में किसी कार्य की सफलता हेतु पहले उसके मंगला चरण या फिर पूज्य देवों के वंदना की परम्परा रही है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो। किसी कार्य को सुचारू रूप से निर्विघ्नपूर्वक सम्पन्न करने हेतु सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की वंदना व अर्चना का विधान है। इसीलिए सनातन धर्म में सर्वप्रथम श्रीगणेश की पूजा से ही किसी कार्य की शुरूआत होती है।

श्री गणेश जी का जन्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को हुआ था। इसीलिए हर साल इस दिन गणेश चतुर्थी धूमधाम से मनाई जाती है। भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव को गणेश चतुर्थी के रूप में जाना जाता है।गणेश चतुर्थी के दिन, भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। यह मान्यता है कि भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष के दौरान भगवान गणेश का जन्म हुआ था। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म मध्याह्न काल के दौरान हुआ था इसीलिए मध्याह्न के समय को गणेश पूजा के लिये ज्यादा उपयुक्त माना जाता है।

इस वर्ष इस श्रीगणेश चतुर्थी का व्रत 5 सितंबर 2016, दिन शनिवार को मनाया जाएगा इसे श्रीगणेश चतुर्थी, पत्थर चौथ और कलंक चौथ के नाम भी जाना जाता है। चतुर्थी तिथि को श्री गणपति भगवान की उत्पत्ति हुई थी इसलिए इन्हें यह तिथि अधिक प्रिय है। जो विघ्नों का नाश करने वाले और ऋद्धि-सिद्धि के दाता हैं। इसलिए इन्हें सिद्धि विनायक भगवान भी कहा जाता है।

गणेश चतुर्थी पूजा मुहूर्त:-
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ = 4/सितम्बर/2016 को 18:94 बजे
चतुर्थी तिथि समाप्त = 5/सितम्बर/2016 को 21:09 बजे

पूजा की सामग्री:-
गणेश जी की पूजा करने के लिए चौकी या पाटा, जल कलश, लाल कपड़ा, पंचामृत, रोली, मोली, लाल चन्दन, जनेऊ गंगाजल, सिन्दूर चांदी का वर्क लाल फूल या माला इत्र मोदक या लडडू धानी सुपारी लौंग, इलायची नारियल फल दूर्वा, दूब पंचमेवा घी का दीपक धूप, अगरबत्ती और कपूर की आवस्यकता होती है।

पूजन विधि:-
जो गणेश व्रत या पूजा करता है उसे मनोवांछित फल तथा श्रीगणेश प्रभु की कृपा प्राप्त होती है। भगवान गणेश की पूजा करने लिए सबसे पहले सुबह नहा धोकर शुद्ध लाल रंग के कपड़े पहने। क्योकि गणेश जी को लाल रंग प्रिय है। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा में या उत्तर दिशा में होना चाहिए। सबसे पहले गणेश जी को पंचामृत से स्नान कराएं। उसके बाद गंगा जल से स्नान कराएं। गणेश जी को चौकी पर लाल कपड़े पर बिठाएं।
ऋद्धि-सिद्धि के रूप में दो सुपारी रखें। गणेश जी को सिन्दूर लगाकर चांदी का वर्क लगाएं। लाल चन्दन का टीका लगाएं। अक्षत (चावल) लगाएं। मौली और जनेऊ अर्पित करें। लाल रंग के पुष्प या माला आदि अर्पित करें। इत्र अर्पित करें। दूर्वा अर्पित करें। नारियल चढ़ाएं। पंचमेवा चढ़ाएं। फल अर्पित करें। मोदक और लडडू आदि का भोग लगाएं। लौंग इलायची अर्पित करें। दीपक, अगरबत्ती, धूप आदि जलाएं इससे गणेश जी प्रसन्न होते हैं।
यह मंत्र पढ़ें- गणेश मन्त्र उच्चारित करें-

ॐ वक्रतुण्ड़ महाकाय सूर्य कोटि समप्रभः। निर्विघ्नं कुरू मे देव ! सर्व कार्येषु सर्वदा।। 

शास्त्रानुसार पूजन विधि:-
श्रीगणेश भगवान को मोदक (लड्डू) अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चढ़ाना चाहिए। श्रीगणेश स्त्रोत से विशेष फल की प्राप्ति होती है। श्रीगणेश सहित प्रभु शिव व गौरी, नन्दी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोड़षोपचार विधि से करना चाहिए। व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध व गुस्सा न करें। यह हानिप्रद सिद्ध हो सकता है, श्रीगणेश का ध्यान करते हुए शुद्ध व सात्विक चित्त से प्रसन्न रहना चाहिए।

शास्त्रानुसार श्रीगणेश की पार्थिव प्रतिमा बनाकर उसे प्राणप्रति‍ष्ठित कर पूजन-अर्चन के बाद विसर्जित कर देने का आख्यान मिलता है। 5 सितंबर को प्रातः कालीन समय से ही श्रीगणेश का पूजन-अर्चन का शुभारंभ हो जाएगा। श्रीगणेशोत्सव की महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात आदि स्थानों में बड़ी ही धूम होती है।

भक्तगत यह ध्यान दें, कि किसी भी पूजा के उपरांत सभी आवाहित देवताओं की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है, किन्तु श्री लक्ष्मी और श्रीगणेश का विसर्जन नहीं किया जाता है। इसलिए श्रीगणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करें, किन्तु उन्हें अपने निवास स्थान में श्री लक्ष्मी जी सहित रहने के लिए निमंत्रित करें।

पूजा के उपरांत अपराध क्षमा प्रार्थना करें, सभी अतिथि व भक्तों का यथा व्यवहार स्वागत करें और पूजा कराने वाले ब्राह्मण को संतुष्ट कर यथा विधि पारिश्रामिक (दान) आदि दें, उन्हें प्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर दीर्घायु, आरोग्यता, सुख, समृद्धि, धन-ऐश्वर्य आदि को बढ़ाने के योग्य बनें।

इस दिन करें ये 8 उपाय मनोकामना होंगी पूरी :- 
आदि देवता शिवपुत्र श्री गणेशजी का प्राकट्य भाद्रपद की शुक्ल चतुर्थी को हुआ था। इस वर्ष सोमवार, 5 सितंबर 2016 को चतुर्थी मानी गई है। विघ्नहर्ता, बुद्धि प्रदाता, लक्ष्मी प्रदाता गणेश को प्रसन्न करने का इससे अच्छा समय दूसरा नहीं है। मनोकामना सिद्धि के लिए यह 8 प्रयोग आजमाए जा सकते हैं।

(1) श्वेतार्क- गणेश को पूर्वाभिमुख हो रक्त वस्त्र आसन प्रदान कर यथाशक्ति पंचोपचार या षोडषोपचार पूजन कर लड्डू या मोदक का नेवैद्य लगाकर ‘ॐ गं गणपतये नम:’ की 21, 51 या 108 माला कर उपलब्ध साधनों से या केवल घी से 1 माला आहुति दें।

(2) विवाह कार्य या पारिवारिक समस्या के लिए उपरोक्त तरीके से पूजन कर ‘ॐ वक्रतुंडाय हुं’ का प्रयोग करें। माला मूंगे की हो।

(3) आकर्षक वशीकरण के लिए लाल हकीक की माला का प्रयोग करें।

(4) विघ्नों को दूर करने के लिए श्वेतार्क गणपति पर ‘ॐ गं ग्लौं गणपतये विघ्न विनाशिने स्वाहा’ की 21 माला जपें।

(5) शत्रु नाश हेतु नीम की जड़ के गणपति के सामने ‘हस्ति पिशाचि लिखे स्वाहा’ का जप करें। लाल चंदन, लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं। पूजनादि कर मध्य पात्र में स्थापित कर दें तथा नित्य मंत्र जपें। शत्रु वशी हो तथा घोर से घोर उपद्रव भी शांत हो जाते हैं।

(6) शक्ति विनायक गणपति : इनकी आराधना करने से व्यक्ति सर्वशक्तिमान होकर उभरता है। उसे जीवन में कोई कमी महसूस नहीं होती है। कुम्हार के चॉक की मिट्टी से अंगूठे के बराबर मूर्ति बनाकर उपरोक्त तरीके से पूजन करें तथा 101 माला ‘ॐ ह्रीं ग्रीं ह्रीं’ की जप कर हवन करें। नित्य 11 माला करें तथा चमत्कार स्वयं देख लें।

(7) लक्ष्मी विनायक गणेश : इनका भी प्रयोग उपरोक्त तरीके से कर निम्न मंत्र जपें- ‘ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये वरवरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।’  444 तर्पण नित्य करने से गणेशजी की कृपा शीघ्र प्राप्त होती है।

8) आधुनिक यु्ग में महत्वाकांक्षाओं के चलते मनुष्य शीघ्र ही कर्ज के जाल में फंस जाता है। लाख कोशिश करने पर भी उससे निकल नहीं पाता। दैवकृपा ही इस कष्ट से मुक्ति दिला सकती है। निम्न मंत्र की 108 माला गणेश चतुर्थी पर कर यथाशक्ति हवन कर नित्य 1 माला करें, शीघ्र ही इस जंजाल से मुक्ति मिलेगी। नीचे ऋण हर्ता मंत्र का उल्लेख है । इस मंत्र का नियमित जाप करना चाहिए। इससे गणेश जी प्रसन्न होते है और साधक का ऋण चुकता होताहै। कहा जाता है कि जिसके घर में एक बार भी इस मंत्र काउच्चारण हो जाता है है उसके घर में कभी भी ऋण या दरिद्रतानहीं आ सकती।

मंत्र :-
ॐ श्री गणेश ऋण छिन्धि वरेण्य हुं नमः फट ।

विधि : किसी योग्य ब्राह्मण से गणेश प्राण-प्रतिष्ठित करवाले।(विशेष नोट : कर्ज मुक्ति हेतु मंगल गणेश (मूंगा गणेश) प्रतिमा उत्तम फलदायी होती हैं।) यदि कर्ज से हैं परेशान तो मास की किसी भी चतुर्थी या मंगलवार के दिन प्रातःकाल स्नानआदि नित्यकर्म से शीघ्र निवृत्त होकर। भगवान गणेश की प्राण-प्रतिष्ठित मंत्र सिद्ध गणेश प्रतिमा स्थापित करें। उस मूर्ति का पंचोपचार या षोड़शोपचार पूजन-आरती आदि से विधि-वत पूजन करें।
                   **  गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं।
                   **  यदि संभव हो तो गणेशजी का मंत्र बोलते हुए 21 दुर्वा दल चढ़ाएं।
                   **  श्री गणेशजी को लड्डुओं का भोग लगाएं।
                  ** स्थापना वाले दिन ब्राह्मण भोजन कराएं और ब्राह्मणों को दक्षिणा प्रदान करने के पश्चात् संध्या के समय स्वयं भोजन ग्रहण करें, यदि ब्राह्मणों को भोजन करवाना संभव न हो तो उसके निमित्त दान किसी भी मंदिर मे कर सकते हैं।
                **  स्थापना के पश्चयात प्रतिदिन गणेशजी की मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाएं और ऋण मुक्ति हेतु मूंगे की माला से गणेश मंत्र की 1, 3, 5, 7, 11 जप करें।

इस तरह पूजन करने से भगवान श्रीगणेश अति प्रसन्न होते हैं और जल्द ही कर्ज मुक्ति के मार्ग प्रसस्थ होने लेगते हैं।
गणेश चतुर्थी पे करें गणेश जी की व्रत : हो जायें कर्ज से मुक्त गणेश चतुर्थी पे करें गणेश जी की व्रत : हो जायें कर्ज से मुक्त Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on सितंबर 29, 2018 Rating: 5

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