ज्योतिषशास्त्र की
दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग
काफी महत्वपूर्ण होते हैं। जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब
बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और
एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा
दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है।
ज्योतिषशास्त्र की
दृष्टि में धन वैभव और सुख के लिए कुण्डली में मौजूद धनदायक योग या लक्ष्मी योग
काफी महत्वपूर्ण होते हैं। जन्म कुण्डली एवं चंद्र कुंडली में विशेष धन योग तब
बनते हैं जब जन्म व चंद्र कुंडली में यदि द्वितीय भाव का स्वामी एकादश भाव में और
एकादशेश दूसरे भाव में स्थित हो अथवा द्वितीयेश एवं एकादशेश एक साथ व नवमेश द्वारा
दृष्ट हो तो व्यक्ति धनवान होता है।
शुक्र की द्वितीय
भाव में स्थिति को धन लाभ के लिए बहुत महत्व दिया गया है,
यदि शुक्र द्वितीय भाव में हो और गुरु सातवें भाव, चतुर्थेश चौथे भाव में स्थित हो तो व्यक्ति राजा के समान जीवन जीने वाला
होता है। ऐसे योग में साधारण परिवार में जन्म लेकर भी जातक अत्यधिक संपति का मालिक
बनता है। सामान्य व्यक्ति भी इन योगों के
रहते उच्च स्थिति प्राप्त कर सकता है।
मेष लग्न के लिए
धन योग (Mesh
alagna dhana yoga)
लग्नेश मंगल
कर्मेश शनि और भाग्येश गुरु पंचम भाव में होतो धन योग बनता है।
इसी प्रकार यदि
सूर्य पंचम भाव में हो और गुरु चंद्र एकादश भाव में हों तो भी धन योग बनता है और
जातक अच्छी धन संपत्ति पाता है।
वृष लग्न के लिए
धन योग (Vrisha
lagna dhana yoga)
मिथुन में शुक्र,
मीन में बुध तथा गुरु केन्द्र में हो तो अचानक धन लाभ मिलता है। इसी
प्रकार यदि शनि और बुध दोनों दूसरे भाव में मिथुन राशि में हों तो खूब सारी धन
संपदा प्राप्त होती है।
मिथुन लग्न के लिए
धन योग ( Mithuna lagna dhana yoga)
नवम भाव में बुध
और शनि की युति अच्छा धन योग बनाती है। यदि चंद्रमा उच्च का हो तो पैतृक संपत्ति
से धन लाभ प्राप्त होता है।
कर्क लग्न के लिए
धन योग (Karka
lagna dhana yoga)
यदि कुण्डली में
शुक्र दूसरे और बारहवें भाव में हो तो जातक धनवान बनता है। अगर गुरू शत्रु भाव में
स्थित हो और केतु के साथ युति में हो तो जातक भरपूर धन और ऎश्वर्य प्राप्त करता है।
सिंह लग्न के लिए
धन योग (Simha
lagna dhana yoga)
शुक्र चंद्रमा के
साथ नवांश कुण्डली में बली अवस्था में हो तो व्यक्ति व्यापार एवं व्यवसाय द्वारा
खूब धन कमाता है। यदि शुक्र बली होकर मंगल के साथ चौथे भाव में स्थित हो तो जातक
को धन लाभ का सुख प्राप्त होता है।
कन्या लग्न के लिए
धन योग (Kanya
lagna dhana yoga)
शुक्र और केतु
दूसरे भाव में हों तो अचानक धन लाभ के योग बनते हैं। यदि कुण्डली में चंद्रमा कर्म
भाव में हो तथा बुध लग्न में हो व शुक्र दूसरे भाव स्थित हो तो जातक अच्छी संपत्ति
संपन्न बनता है।
तुला लग्न के लिए
धन योग (Tula
lagna dhana yoga)
कुण्डली में दूसरे
भाव में शुक्र और केतु हों तो जातक को खूब धन संपत्ति प्राप्त होती है। अगर मंगल,
शुक्र, शनि और राहु बारहवें भाव में होंतो
व्यक्ति को अतुल्य धन मिलता है।
वृश्चिक लग्न के
लिए धन योग (Vrishchika lagna dhana yoga)
कुण्डली में बुध
और गुरू पांचवें भाव में स्थित हो तथा चंद्रमा एकादश भाव में हो तो व्यक्ति
करोड़पति बनता है।
यदि चंद्रमा,
गुरू और केतु दसवें स्थान में होंतो जातक धनवान व भाग्यवान बनता है।
धनु लग्न के लिए
धन योग (Dhanu
lagna dhana yoga)
कुण्डली में
चंद्रमा आठवें भाव में स्थित हो और सूर्य, शुक्र
तथा शनि कर्क राशि में स्थित हों तो जातक को बहुत सारी संपत्ति प्राप्त होती है।
यदि गुरू बुध लग्न मेषों तथा सूर्य व शुक्र दुसरे भाव में तथा मंगल और राहु छठे
भाव मे हों तो अच्छा धन लाभ प्राप्त होता है।
मकर लग्न के लिए
धन योग (Makar
lagna dhana yoga)
जातक की कुण्डली
में चंद्रमा और मंगल एक साथ केन्द्र के भावों में हो या त्रिकोण भाव में स्थित हों
तो जातक धनी बनता है। धनेश तुला राशि में और मंगल उच्च का स्थित हो व्यक्ति
करोड़पति बनता है।
कुंभ लग्न के लिए
धन योग (Kumbha
lagna dhana yoga)
कर्म भाव अर्थात
दसवें भाव में चंद्र और शनि की युति व्यक्ति को धनवान बनाती है। यदि शनि लग्न में
हो और मंगल छठे भाव में हो तो जातक ऎश्वर्य से युक्त होता है।
मीन लग्न के लिए
धन योग (Meena
lagna dhana yoga)
कुण्डली के दूसरे
भाव में चंद्रमा और पांचवें भाव में मंगल हो तो अच्छे धन लाभ का योग होता है। यदि
गुरु छठे भाव में शुक्र आठवें भाव में शनि बारहवें भाव और चंद्रमा एकादशेश हो तो
जातक कुबेर के समान धन पाता है।
कुछ अन्य धन योग (More
dhana yogas)
यह तो बात हुई
लग्न द्वारा धन लाभ के योगों की अब हम कुछ अन्य धन योगों के विषय में चर्चा करेंगे
जो इस प्रकार बनते हैं।
मेष या कर्क राशि
में स्थित बुध व्यक्ति को धनवान बनाता है, जब गुरु
नवे और ग्यारहवें और सूर्य पांचवे भाव में बैठा हो तब व्यक्ति धनवान होता है।
जब चंद्रमा और
गुरु या चंद्रमा और शुक्र पांचवे भाव में बैठ जाए तो व्यक्ति को अमीर बनाता है।
सूर्य का छठे और
ग्यारहवें भाव में होना व्यक्ति को अपार धन दिलाता है।
यदि सातवें भाव
में मंगल या शनि बैठे हों और ग्यारहवें भाव में शनि या मंगल या राहू बैठा हो तो
व्यक्ति धनवान बनता है।
मंगल चौथे भाव,
सूर्य पांचवे भाव में और गुरु ग्यारहवे या पांचवे भाव में होने पर
व्यक्ति को पैतृक संपत्ति से लाभ मिलता है
आपकी लग्न क्या है?
यदि आपको अपनी लग्न ज्ञात करनी है तो निम्न लिंक पर क्लिक करने अपनी
लग्न पता कर सकते हैं।
ज्योतिषसाथी कृष्णप्रसाद कोइराला
ज्योतिषसाथी कृष्णप्रसाद कोइराला
कैसे बनाएं धनसम्पत्ति और वैभव
Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला
on
जून 30, 2019
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