श्राद्ध पक्ष में पितृ का आशीष कैसे पाएं


पितृ हमारे वंश को बढ़ाते हैपितृ पूजन करने से परिवार में सुख-शांतिधन-धान्ययशवैभवलक्ष्मी हमेशा बनी रहती है। संतान का सुख भी पितृ ही प्रदान करते हैं।

शास्त्रों में पितृ को पितृदेव कहा जाता है। पितृ पूजन प्रत्येक घर के शुभ कार्य में प्रथम किया जाता है। जो कि नांदी श्राद्ध के रूप में किया जाता है। भाद्रपद पूर्णिमा से आश्विन (क्वांरकी अमावस्या तक के समय को शास्त्रों में पितृपक्ष बताया है। इन 16 दिनों में जो पुत्र अपने पितामाता अथवा अपने वंश के पितरों का पूजन (तर्पणपितृयज्ञधूपश्राद्धकरता है। वह अवश्य ही उनका आशीर्वाद प्राप्त करता है।

इन 16 दिनों में जिनको पितृदोष है वह अवश्य त्रि-पिंडी श्राद्ध अथवा नारायण बली का पूजन किसी तीर्थस्थल पर कराएं। काक भोजन कराएंतो उनके पितृ सद्गति को प्राप्त होबैकुंठ में स्थान पाते हैं।

इन दिनों में किया गया श्राद्ध अनन्य कोटि यज्ञ के बराबर फल देने वाला होता है।

माता-पितामही चैव तथैव प्रपितामही।
पिता-पितामहश्चैव तथैव प्रतितामह:।।
माता महस्तत्पिता  प्रमातामहकादय:
ऐते भवन्तु सुप्रीताप्रयच्छतु  मंगलम।।

अपने पिता-पितामहमातामातामहीपितामहीमाता के पितामातृ पक्षपत्नी के पिताअपने भाईबहनसखागुरुगुरुमाता का श्राद्ध मंत्रों का उच्चारण कर विधिवत संपन्न करें। ब्राह्मण का जोड़ा यानी पति-पत्नी को भोजन कराएं। पितृ अवश्य आपको आशीर्वाद प्रदान करेंगे।

पितृ पक्ष में मन चित्त से पितरों का पूजन करें।

पितृभ्यस्वधायिभ्यस्वधानम:
पितामहैभ्यस्वाधायिभ्यस्वधा:नम:
प्रपितामहेभ्यस्वाधायिभ्यस्वधा:नम:
अक्षन्पितरो मीम-दन्त पितेरोतीतृपन्त
पितरपितरशुध्वम्।
ये चेह पितरों ये  नेह याश्च विधयाश्च  प्रव्रिध।
त्वं वेत्थ यति ते जातवेद:
स्वधाभिर्यज्ञसुकृत जुषस्व।

इन यजुर्वेद के मंत्रों का उच्चारण कर पितरों की प्रार्थना करें वे अवश्य मनोरथ पूर्ण करेंगे।
श्राद्ध पक्ष में पितृ का आशीष कैसे पाएं श्राद्ध पक्ष में पितृ का आशीष कैसे पाएं Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on नवंबर 17, 2019 Rating: 5

कोई टिप्पणी नहीं:

ads 728x90 B
Blogger द्वारा संचालित.