शनि कर रहा है सर्वनाश


हिन्दू धर्म शास्त्रों के मुताबिक शनि सूर्य पुत्र हैं। जहां एक ओर शनि देव तपस्वीमहायोगीमहाज्ञानी व भाग्य विधाता बताए गए हैंवहीं दूसरी ओर उनका स्वभाव और दृष्टि क्रूर भी मानी गई है। उनका यह स्वरूप दण्डाधिकारी के रूप में प्रकट होता है। इसलिए वह न्याय के देवता भी पुकारे जाते हैं।
शनि के स्वभावक्रूर दृष्टि और दण्डाधिकारी होने से जुड़ी पौराणिक कथा है। जिसके मुताबिक शनि-सूर्य पिता-पुत्र होने पर भी उनके बीच शत्रुभाव है। जिसका कारण यह बताया गया है कि शनि सूर्य की पत्नी छाया की संतान थे। किंतु शनि के जन्म के समय उनका रंग-रूप देखकर सूर्य ने अपना पुत्र मानने से इंकार किया और छाया की उपेक्षा और अपमान किया।

माता का अपमान सहन न कर शनि ने घोर तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया और सूर्य से भी अधिक बलवान बनने का वर मांगा। भोलेनाथ ने भी शनि को इस वर के साथ ही नवग्रहों में सबसे ऊंचा स्थान और इंसान ही नहीं देवताओं को भी शनि की शक्ति के आगे नतमस्तक होने का वर दिया। इसके अलावा बुरे कर्मों के लिए जगत के हर प्राणी को दण्ड देने का अधिकार भी दिया।
यही कारण है कि धार्मिक मान्यताओं शनि तिरछी नजर सबलसक्षम को भी पस्त करने वाली मानी गई है। शनि की ऐसी ही क्रूर दृष्टि से कौन-कौन बदहाल हो सकता हैइसका जवाब भी शास्त्रों लिखा गया है कि -
देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगा:।
तव्या विलोकिता: सर्वे नाशं यान्ति समूलत:।।
जिसका अर्थ है – देवताअसुरमनुष्यसिद्धविद्याधर और नाग इन सभी का शनि की टेढ़ी नजर पडऩे पर नाश हो सकता है।
शनि कर रहा है सर्वनाश शनि कर रहा है सर्वनाश Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on नवंबर 17, 2019 Rating: 5

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