धर्म ग्रंथो में एकादशी को सभी तिथियों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है । इस दिन भगवान विष्णु की पूजा और किये गए जप-तप दान आदि का बहुत अधिक महत्व है। त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश जी में भगवान विष्णु जी को जगत का पालनहार अर्थात पालने वाला माना गया है और एकादशी भगवान विष्णु की सबसे प्रिय तिथि है अत: इस दिन कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए जिससे भगवान श्री हरि की पूर्ण कृपा प्राप्त हो सके । शास्त्रों के अनुसार एकादशी को कई कार्य ऐसे है जो हमें नहीं करने चाहिए , अन्यथा मनुष्य को घोर पाप का भागी बनना पड़ता है ।
अगर आपको बार-बार के अथक प्रयासों और कड़ी मेहनत के बाद भी सफलता नहीं मिल रही है तो एकादशी पर किए गए इन उपायों से आप अपने भाग्य को बदल सकते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार एकादशी के दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए यदि कुछ उपाय किए जाएं तो उनके साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है और उपाय करने वाले की हर इच्छा अवश्य पूरी होती है।
एकादशी पर इन उपायों से बदलता है भाग्य
एकादशी के दिन फूल और वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, एकादशी के दिन किसी भी प्रकार का दातुन नहीं करना चाहिए वरन दशमी की रात को ही अच्छी तरह दातुन और कुल्ला करके मुँह साफ करना चाहिए ।
एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन चावल खाने वाला पाप भागी बनता है उसके सभी पुण्य नष्ट हो जाते है ।
एकादशी के दिन जौ का सेवन भी नहीं करना चाहिए, शास्त्रों के अनुसार जौ को महर्षि मेधा के शरीर से उत्पन्न हुआ मानते है। इसलिए इस दिन इसका सेवन करना वर्जित है।
इस दिन चाहे आपने ब्रत रखा हो या नहीं लेकिन आप किसी भी दूसरे मनुष्य का दिया हुआ अन्न बिलकुल भी ग्रहण न करें, नहीं तो पूरे वर्ष भर के पुण्य नष्ट हो जाते है।
एकादशी के दिन मांस, लहसुन, प्याज, मसूर की दाल आदि तामसी वस्तुओं का सेवन कदापि नहीं करना चाहिए, इससे मन में पाप के विचार जाग्रत होते है ।
ब्रह्मवैवर्त पुराण के ब्रह्मखंड के अनुसार एकादशी के दिन सेम की फली नहीं खानी चाहिए, एकादशी के दिन इसका सेवन करने से संतान को हानि पहुँचती है ।
जो लोग एकादशी का ब्रत रखते है उन फलाहारीयों को गाजर, शलजम, गोभी, पालक, कुलफा का साग इत्यादि का सेवन नहीं करना चाहिए। वह लोग आम, अंगूर, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करें।
एकादशी के दिन भगवान विष्णु को मीठा पान चढ़ाया जाता है लेकिन इस दिन पान खाना वर्जित माना गया है। मान्यता है कि चूँकि पान खाने से मन में रजोगुण की प्रवृत्ति बढ़ती है और विचारों में सात्विकता नहीं रह पाती है अत: इस दिन पान का सेवन निषेध कहा गया है ।
एकादशी से एक दिन पहले ही संध्या से पूर्व घर में झाड़ू लगाकर घर को अच्छी तरह से साफ करे लेना चाहिए। एकादशी के दिन घर में झाड़ू नहीं लगाना चाहिए, क्योंकि इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीव मर सकते है।
एकादशी के दिन बाल, दाढ़ी, नाख़ून नहीं कटवाने चाहिए ।
एकादशी की शाम तुलसी के सामने गाय के घी का दीपक लगाए और ॐ वासुदेवाय नमः मंत्र बोलते हुए तुलसी की 11 परिक्रमा करें। इससे घर में सुख-शांति बानी रहती है और संकट नहीं आता।
एकादशी पर भगवान विष्णु की पीले फूलों से पूजा अवश्य अर्पित करें। इससे आपकी हर मनोकामना पूरी हो सकती है।
एकादशी पर भगवान विष्णु को खीर में तुलसी के पत्ते डाल कर भोग लगाएं। इससे घर में शांति बनी रहती है।
एकादशी पर पीले रंग के फल, कपडे व अनाज भगवान विष्णु को अर्पित करें। बाद ये सभी चीजें गरीबों को दान कर दें।
एकादशी पर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं। पीपल में भगवान विष्णु का वास मन जाता है। इससे कर्ज से मुक्ति मिलती है।
एकादशी पर सुहागिन स्त्रियों को अपने घर बुलाकर फलाहार करवाये व उन्हें सुहाग की सामग्री भी भेंट करें।
धन लाभ के लिए एकादशी पर भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद भगवन विष्णु की प्रतिमा का केसर मिले दूध से अभिषेक करें।
एकादशी की सुबह स्नान आदि करने के बाद श्रीमद्भागवत कथा का पाठ करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते है।
एकादशी पर तुलसी की माला से ॐ नमो वासुदेवाय नमः का जाप करें।
एकादशी पर दक्षिणावर्ती शंख की पूजा करने से भी भगवान विष्णु व माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है। इससे धन लाभ होता है।
शास्त्रों में परनिंदा अर्थात दूसरों की बुराई करने को घोर पाप माना गया है। मान्यता है की ऐसा करने से मन में दूसरों के प्रति कटु भाव आ सकते हैं, और समाज में भी अपयश मिलता है इसलिए एकादशी के दिन परनिंदा न करते हुए भगवान विष्णु की पूजा अर्चना में मन लगाना चाहिए ।
एकादशी के दिन क्रोध, हिंसा नहीं करनी चाहिए है। क्रोध और हिंसा से शरीर और मन दोनों में ही विकार आता है, इससे भगवान श्री हरि रुष्ट हो जाते है ।
शास्त्रों में चोरी करना, धोखा देना घोर पाप माना गया है। इससे व्यक्ति की इस जगत में तो समाजिक प्रतिष्ठा बुरी तरह से प्रभावित होती ही है उसे नरक का भागी भी बनना पड़ता है। इसलिए इसे एकादशी के दिन तो भूल कर भी नहीं करना चाहिए , अन्यथा उसके पूर्व के सभी पुण्य नष्ट हो जाते है ।
एकादशी के दिन अपने मन अपनी इन्द्रियों पर पूर्ण नियंत्रण रखना चाहिए । इस दिन स्त्री से समागम बिलकुल भी नहीं करना चाहिए । क्योंकि इससे भी मन में विकार उत्पन्न होता है और ध्यान भगवान भक्ति में नहीं लगता। अतः एकादशी पर स्त्रीसंग नहीं करना चाहिए।
एकादशी पर इन उपायों में से करें कोई भी एक उपाय, मनचाही इच्छा पूरी होगी
एकादशी में क्या करें क्या ना करें
Reviewed by Krishna Prasad Sarma
on
अक्टूबर 01, 2018
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