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Graha Laghav Book in PDF - Free Download

ग्रहलाघव खगोलविद्या का प्रसिद्ध संस्कृत ग्रन्थ है। इसके रचयिता गणेश दैवज्ञ हैं। सूर्यसिद्धान्त तथा ग्रहलाघव ही भारतीय पंचांग के आधारभूत ग्रन्थ हैं।

ग्रहलाघव में १६ अधिकार (अध्याय) हैं जिनके नाम ये हैं-

(१) मध्यमाधिकार (२) रवि-चन्द्र स्पष्टाधिकार (३) पञ्चतारा स्पष्टीकरणाधिकार (४) त्रिप्रश्नाधिकार

(५) चन्द्र ग्रहणाधिकार (६) सूर्यग्रहणाधिकार (७) मासगणाधिकार (८) ग्रहणद्वय साधनाधिकार

(९) उदयास्ताधिकार (१०) छायाधिकार (११) नक्षत्रच्छायाधिकार (१२) शृङ्गोन्नत्ति

(१३) ग्रहयुति और (१४) महापातधिकार तथा (१५) पञ्चाङ्गचन्द्रग्रहणाधिकार और (१६) उपसंहाराधिकार ।

समग्र ग्रन्थ के इन १६ अधिकारों में ग्रह गणित करने की विधियों के १९२ श्लोक मिलते हैं। किस सिद्धान्त से कौन ग्रह दृग्गणितैक्य होता हैइसे बताने के लिए मध्यमाधिकार का श्लोक १६ बड़े महत्त्व का है।

सम्प्रति इस ग्रन्थ के १४ ही अधिकार प्रसिद्ध हैंपरन्तु विश्वनाथ और मल्लारि की टीकाओं में १५ श्लोकों वाला 'पञ्चाङ्गग्रहणाधिकारनामक एक और १५वाँ अधिकार है। १४ अधिकारों में ४ ग्रहणविषयक हैं। अतः ग्रहणविषयक अन्य अधिकार की आवश्यकता न होने के कारण इसका लोप हुआ होगा। गणित को सरल करने की ओर अधिक झुकाव होने के कारण मालूम होता हैगणेश ने कहीं-कहीं जान-बूझकर सूक्ष्मत्व (परिशुद्धता) की उपेक्षा की है और इसी लिए १४ अधिकारों में चन्द्रसूर्यग्रहणविषयक दो अधिकारों के रहते हुए भी सातवें और आठवें दो और अधिकार लिखे हैंपरन्तु वस्तुतः इनका कोई प्रयोजन नहीं है। ग्रहलाघव में अन्यत्र भी कुछ श्लोक न्यूनाधिक हुए हैं।

ग्रहलाघव पर टापरग्रामस्थ गङ्गाधर की शक १५०८ की टीका है। मस्सारि की टीका शक १५२४ की और विश्वनाथ की शक १५३४ के आसपास की है। उसमें उदाहरण है। इस टीका को उदाहरण भी कहते हैं।

ग्रहलाधव की एक विशेषता यह है कि इसमें ज्या चाप का सम्बन्ध बिलकुल नहीं रखा गया है और ऐसा होने पर भी प्राचीन किसी भी करणग्रन्थ से यह कम सूक्ष्म नहीं हैयह निःसंकोच कहा जा सकता है। हमारे सिद्धान्तों में प्रति पौने चार अंश की भुजज्याएँ है अर्थात्उनमें सव २४ ज्यापिण्ड हैंपरन्तु करणग्रन्थों में बहुधा ६ (प्रत्येक १० अंश पर) अथवा इससे भी कम ज्यापिण्ड होते हैं। ग्ररहलाघव में भुजज्याओं का प्रयोग न होते हुए भी उससे लाया हुआ स्पष्ट सूर्य उन करणग्रन्थों की अपेक्षा सूक्ष्म होता है जिनमें ये है। इतना ही नहींकभी-कभी तो २४ ज्यापिण्डों वाले सिद्धान्तग्रन्थों से भी सूक्ष्म आता है। इस ग्रन्थ में गणेश ने सभी पदार्थों को सुलभ रीति से लाने का प्रयत्न किया हैइस कारण कुछ विषयों में स्थूलता तो अवश्य आ गयी हैपर अन्य करण अन्थों की भी यही स्थिति है।

उपसंहार में इन्होंने लिखा है-

पूर्व प्रौढ़तराः क्वचित् किमपि मजकुर्षनुज्यं विना,

ते तेनैव महातिगर्यकुभूदुच्छङ्गेऽधिरोहन्ति हि ।

सिद्धान्तोक्तमहाखिलं सधु कृतं हित्वा अनुज्यं मया

तद्गर्वो मयि मास्तु कि न यदहं तन्छास्त्रतो वृद्धघीः ॥

इसका तात्पर्य यह है कि प्राचीन प्रौढ़तर गणक कहीं-कहीं थोड़ा-सा ही गणितकर्म ज्याचाप के बिना कर गर्व के पर्वत के शिखर पर चढ़ गये हैं तब सिद्धान्तोक्त सब कर्म बिना ज्याचाप के करने का अभिमान मुझे क्यों न होपरन्तु वह मुझे नहीं है क्योंकि मैंने उन्हीं के ग्रन्थों द्वारा ज्ञान प्राप्त किया है।

गणेश का यह कथन कि मैने सिद्धान्तोक्त सब विषय ग्रहलाघव में दिये हैंसत्य है और इसी कारण ग्ररहलाघव सिद्धान्तरहस्य कहा जाता है। बहुत से करणग्रन्थ हैंजिनमें अधिक ऐसे हैं जिनमें केवल ग्रहस्पष्टीकरण मात्र है। करणकुतूहल आदि केवल तीन-चार करण ऐसे हैं जिनके सिद्धातों से अधिकांश कर्म किये जा सकते हैंपर उनमें ग्रहलाघव जितना पूर्ण कोई नहीं है। इस पर शक १५०८ की गङ्गाधर कीशक १५२४ की मल्लारि कीऔर लगभग शक १५३४ की विश्वनाथ की टीका है। कुछ और भी टीकाएं हैं। शक १६०५ में लिखी हुई ग्रहलाघव की एक पुस्तक प्राप्त हुई है जिससे ज्ञात होता है कि इसके बनने के थोड़े ही दिनों बाद दूर-दूर तक इसका प्रचार हो गया था। सम्प्रति सम्पूर्ण महाराष्ट्रगुजरात और कर्नाटक के अधिकांश भागों में इसी द्वारा गणित किया जाता है। काशीग्वालियरइन्दौर इत्यादि प्रान्त के दक्षिणी लोग इसी से गणित करते हैं। अन्य प्रान्तों में भी इसका पर्याप्त प्रचार है। अत्यन्त सरल गणितपद्धतियुक्त तथा सिद्धान्त की सभी आवश्यकताओं को पूर्ण करने वाले इस ग्रन्थ का सर्वत्र शीघ्र ही प्रचलित हो जाना और इसके कारण प्राचीन करणग्रन्थों का दब जाना बिलकुल स्वाभाविक है।

ग्रहकौतुकगणेश के पिता केशव की रचना है। ग्रहलाघव में केशव और गणेश दोनों के अनुभवों का उपयोग होने के कारण ग्रहकौतुक की अपेक्षा उसे अधिक प्रत्ययद होना चाहिए। कहीं-कहीं ग्रहकौतुक की गणित करने की पद्धति ग्रहलाघव की अपेक्षा सरल है पर कुछ बातों में ग्रहलाघव की पद्धति अधिक सुविधाजनक है। लगता है इसी कारण ग्रहकौतुक का लोप और ग्रहलाघव का प्रचार हुआ। सब बातों का विचार करने से गणेश की अपेक्षा केशव की योग्यता अधिक मालूम होती हैंपर ग्रहलाघव की योग्यता ग्रहकौतुक की अपेक्षा अधिक हैक्योंकि उसमें पिता-पुत्र दोनों के अनुभव एकत्र हो गये हैं।

ग्रहलाघव - श्री वेङ्कटेश्वर स्टीम प्रेस, मुम्बइ से प्रकाशित (डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक् करें)

Graha Laghav Book in PDF - Free Download Graha Laghav Book in PDF - Free Download Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on अक्तूबर 05, 2022 Rating: 5

5 जून को कितने बजे लगेगा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse Timing)

ज्योतिष के लिहाज से जून महीना बहुत खास है। कोरोना संकट के बीच एक साथ 2 ग्रहण लगने जा रहे हैं। 5 जून को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगेगा जबकि 21 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण।

ज्योतिष के लिहाज से जून महीना बहुत खास है। कोरोना संकट के बीच एक साथ 2 ग्रहण लगने जा रहे हैं। 5 जून को इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण लगेगा जबकि 21 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण। करीब 58 साल बाद ऐसा योग बना है जब शनि ग्रह के मकर राशि में वक्री रहते हुए एक साथ चंद्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण लगने जा रहे हैं। 1962 में भी ऐसा ही संयोग बना था। जब 17 जुलाई को चंद्रग्रहण और 31 जुलाई को सूर्य ग्रहण लगा था । इस बार खास बात यह भी है कि मकर राशि में ही शनि के साथ-साथ देव गुरु बृहस्पति भी वक्री हैं और इन दोनों की मकर राशि में ही वक्री युति में चंद्र व सूर्य ग्रहण लगने जा रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र में एक ही महीने में 2 ग्रहण लगने को बहुत शुभ नहीं माना जाता।
वैसे भी ग्रहण का पृथ्वी से एक लंबा नाता है । एक और जहां तकरीबन हर साल ग्रहण लगते ही हैं, वहीं जिस साल में 4 या उससे अधिक ग्रहण लगें, उस साल को ज्योतिष में अनिष्ट कारक भी माना जाता है। प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ लोगों को महामारियों के प्रकोप से भी जूझना पड़ता है।
वर्ष 2020 एक ऐसा साल है जो 6 ग्रहण का साक्षी बनने जा रहा है। 10 जनवरी को इस साल का पहला चंद्र ग्रहण लग चुका है, 5 जून को दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा, 21 जून को इस साल का पहला सूर्य ग्रहण लगेगा। 5 जुलाई व 30 नवंबर को फिर से चंद्र ग्रहण लगेंगे और 14 दिसंबर को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यानी इस साल चार चंद्रग्रहण और दो सूर्य ग्रहण। यह कोई बहुत शुभ योग नहीं है।
चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) एक खगोलिय घटना है। जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में संरेखित होते हैं तो हम पृथ्वी की स्थिति के आधार पर सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण देखते हैं। चंद्र ग्रहण उस वक्त लगता है जब पूरा चांद निकला हुआ हो और पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाए। इस तरह सूर्य की किरणों को सीधे चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं। यह तभी होता है जब पृथ्वी, सूर्य और चंद्रमा दोनों के बीच आ जाए।
5 जून को होने वाला चंद्रग्रहण उपछाया होगा। इसका अर्थ है कि चांद, पृथ्वी की हल्की छाया से होकर गुजरेगा।

5 जून को कितने बजे लगेगा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse Timing)
 ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 5 जून को है। इस दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण 3 घंटे और 18 मिनट का होगा। यह चंद्र ग्रहण 5 जून को रात को 11.15 शुरू होगा और 6 जून को सुबह के12.54 बजे तक अपने अधिकतम ग्रहण पर पहुंचेगा। उपछाया चंद्र ग्रहण 6 जून सुबह 2.34 पर खत्म हो जाएगा।  एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग इस ग्रहण को देख सकते हैं। हालांकि, उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण लोगों के बीच सामान्य चांद और ग्रहण वाले चांद के बीच अंतर करना मुश्किल होगा।  इस ग्रहण को पूरे भारत में देखा जा सकेगा लेकिन इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा कहीं से कटेगा नहीं यानी चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। यह अपने पूर्ण आकार में आसमान में चलते नजर आएंगे। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छवि मलिन हो जाएगी। यानी चांद कुछ मटमैला सा दिखेगा। इसकी वजह यह है कि यह वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं है यह एक उपछाया चंद्रग्रहण है।

कोरोना वायरस महामारी की चुनौती के बीच चंद्रग्रहण भी लगने वाला है। ज्येष्ठ मास की पूर्णिमा तिथि 5 जून को है। इस दिन लगने वाला चंद्र ग्रहण 3 घंटे और 18 मिनट का होगा। यह चंद्र ग्रहण 5 जून को रात को 11.15 शुरू होगा और 6 जून को सुबह के12.54 बजे तक अपने अधिकतम ग्रहण पर पहुंचेगा। उपछाया चंद्र ग्रहण 6 जून सुबह 2.34 पर खत्म हो जाएगा। 

पूरे भारत में दिखेगा ग्रहण
एशिया, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के लोग इस ग्रहण को देख सकते हैं। हालांकि, उपछाया चंद्र ग्रहण होने के कारण लोगों के बीच सामान्य चांद और ग्रहण वाले चांद के बीच अंतर करना मुश्किल होगा।  इस ग्रहण को पूरे भारत में देखा जा सकेगा लेकिन इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा कहीं से कटेगा नहीं यानी चंद्रमा के आकार में कोई परिवर्तन नहीं आएगा। यह अपने पूर्ण आकार में आसमान में चलते नजर आएंगे। इस ग्रहण के दौरान चंद्रमा की छवि मलिन हो जाएगी। यानी चांद कुछ मटमैला सा दिखेगा। इसकी वजह यह है कि यह वास्तविक चंद्रग्रहण नहीं है यह एक उपछाया चंद्रग्रहण है। इससे पहले 10 जनवरी को ऐसा ही चंद्रग्रहण लगा था।
21 जून 2020 को सूर्य ग्रहण पड़ने जा रहा है। ज्‍योतिषीय दृष्‍टि से इसका असर बहुत अच्‍छा नहीं मिलने जा रहा है। पहले से ही नाजुक दौर से गुजर रही अर्थव्यवस्था में और गिरावट आने के संकेत हैं। मृत्युदर और बढ़ोतरी हो सकती है। तूफान और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएं भी आ सकती हैं।
यह सूर्य ग्रहण मृगशिरा नक्षत्र और मिथुन राशि में होगा। जिनका जन्म नक्षत्र मृगशिरा और जन्म राशि या जन्म लग्न मिथुन है। उनके लिए यह विशेष अरिष्ट फल प्रदान करने वाला होगा। सूर्य ग्रहण प्रात: 9:26 बजे से अपराह्न 3:28 तक रहेगा। भारत में यह ग्रहण प्रात:10 बजे से 14:30 बजे तक अर्थात साढ़े चार घंटे रहेगा। इस ग्रहण के दौरान सूर्य 94 फीसदी ग्रसित हो जाएगा। दिन में अन्धेरा जा जाएगा। कुछ जगह तारे भी दिखाई दे सकते हैं।

ग्रहण का सूतक:
सूर्य ग्रहण का सूतक 20 जून को रात्रि 10:20 से आरंभ हो जाएगा। सूतक काल में बालक, वृद्ध एवं रोगी को छोड़कर अन्य किसी को भोजन नहीं करना चाहिए। इस अवधि में खाद्य पदार्थो में तुलसी दल या कुशा रखनी चाहिए।गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। ग्रहण काल में सोना और देर तक नहीं बैठना चाहिए। चाकू, छुरी से सब्जी,फल आदि काटना भी निषिद्ध माना गया है।

ग्रहण का फल:
मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि वालों को शुभ है जबकि वृषभ, तुला, धनु, और कुंभ राशि वालों को मध्यम लाभ देगा। कर्क, वृश्चिक और मीन राशि वालों को अशुभ फल देगा। इसमें वृश्चिक राशि वालों को विशेष ध्यान रखना होगा। कंकण आकृति ग्रहण होने के साथ ही यह ग्रहण रविवार को होने से चूड़ामणि योग भी बना रहा है। इसमें स्नान, दान, जप और हवन करना कोटि गुना महत्व देगा।
5 जून को कितने बजे लगेगा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse Timing) 5 जून को कितने बजे लगेगा चंद्र ग्रहण (Lunar Eclipse Timing) Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on जून 03, 2020 Rating: 5

June 2020 Monthly Rashifal, (June Monthly Horoscope), मासिक राशिफल जून 2020

यह इस वर्ष का छठा महीना है, यानी जून की शुरुआत के साथ, व्यापार, व्यापार और नौकरी पेशा, हर वर्ग में लाभ और उन्नति कई गुना होने लगती है। आखिरकार, यह महीना व्यवसाय वर्ष के लिए लेखांकन का महीना है और नए व्यवसाय वर्ष की शुरुआत है। इस महीने में कई ग्रहों की स्थिति भी बदल सकती है। नंबर और ग्रहों के मेल का आपके जीवन पर क्या प्रभाव हो सकता है, आइए जानते हैं कैसे ..?

यहाँ जून 2020 के लिए आपकी मासिक राशिफल है:

मेष : जून का यह महीना आपके लिए मिश्रित फल लेकर आएगा आप अपने परिवार में शांति और खुशी पाएंगे, जिसमें आप महिलाओं के योगदान और लाभों का अनुभव कर सकते हैं। आप अपने भाई-बहनों के साथ कुछ मुद्दों का अनुभव करेंगे। नौकरी पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा क्योंकि भ्रम और स्पष्टता की कमी होने की संभावना है। आप तीर्थ यात्रा पर जा सकते हैं। आप अपने जीवनसाथी के साथ वैवाहिक बंधन का आनंद लेंगे, और आप एक करीबी रिश्ता साझा करेंगे। जीवनसाथी के साथ आपका अच्छा समय व्यतीत हो सकता है
आपको नौकरी से संबंधित अच्छे परिणाम मिलेंगे। यदि आप एक व्यवसाय चलाते हैं, तो आपको व्यवसाय में और अधिक प्रयास करने होंगे। छात्रों के दृष्टिकोण से, यह महीना आपके लिए बहुत उपयोगी रहने वाला है, आपको अपनी शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। आपके परिवार में कोई अच्छा कार्यक्रम हो सकता है। यह महीना प्यार करने वाले जोड़ों के लिए न तो अधिक अनुकूल है और न ही अधिक प्रतिकूल। अपने वैवाहिक जीवन के बारे में बात करें ताकि महीने का पहला भाग ज्यादा बेहतर हो और इस दौरान आपके वैवाहिक जीवन में खुशियाँ बढ़ेंगी। आर्थिक दृष्टिकोण से भी यह महीना आपके लिए काफी अच्छा रहने वाला है।
उपाय- प्रतिदिन सूर्य नमस्कार करें और प्रतिदिन आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ भी करें।

वृष : इस माह वृष राशि के जातकों की आय में अधिक लाभ नहीं होगा। आपका पारिवारिक जीवन बहुत अच्छा रहने वाला है आपके बच्चे अच्छा प्रदर्शन करेंगे। घर के माहौल के साथ-साथ परिवार के सदस्यों से भी सहयोग मिलेगा। बाहरी यात्राओं के दौरान बड़े खर्च से सावधान रहें। आप कुछ लोगों को नाराज़ कर सकते हैं और दुश्मन बना सकते हैं। आप अच्छी वित्तीय स्थिति में होंगे छात्रों के लिए यह अच्छी अवधि है। आप अपने निरंतर परिश्रम और बुद्धिमत्ता से भारी लाभ प्राप्त करेंगे जो आपको अपनी शैक्षिक गतिविधियों में आगे ले जाएगा।
वृषभ राशि के जातकों का स्वामी शुक्र के स्वामित्व में इस माह चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। यदि आप पारिवारिक जीवन में अच्छे परिणाम प्राप्त करना चाहते हैं, तो सब कुछ सोच समझकर कहें। इस माह भाग्य आपके साथ रहेगा और इसलिए आपको कार्य और शिक्षा के क्षेत्र में शुभ फल प्राप्त होंगे। जो लोग वांछित स्थान पर स्थानांतरित होना चाहते थे, उनकी इच्छा इस महीने पूरी हो सकती है। इस राशि के लोगों की लव लाइफ की बात करें तो इस महीने आप अपने प्रेमी या प्रेमिका पर अपने शब्दों से अपनी पकड़ मजबूत कर सकते हैं। अगर आप विवाहित हैं तो जीवनसाथी का सहयोग इस महीने आपको कई मुश्किलों से बचा सकता है। आपके सन्तान इस महीने शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन करेंगे ताकि समाज में आपका सम्मान बढ़ सके। इस माह आर्थिक पक्ष भी मजबूत रहेगा। आप पैसे बचाने में सक्षम होंगे।
उपाय- प्रतिदिन माता सरस्वती या माता राधा या तारा जी की पूजा करें और अपने दोनों हाथों से गाय माता को हरा चारा, हरी सब्जियाँ और गेहूँ का आटा खिलाएँ।

मिथुन: मिथुन राशिफल जीवन के पथ को पार करने के लिए यह महीना बहुत मुश्किल साबित हो सकता है। यह महीना आपको शारीरिक और मानसिक रूप से परेशान कर सकता है। अपने स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान दें। आपको ऐसे कई मुद्दों का सामना करना पड़ सकता है। कोई भी निर्णय लेने से पहले आपको सावधानी से सोचने की जरूरत है। आपको दुश्मनों से सावधान रहना होगा क्योंकि वे परेशानी पैदा कर सकते हैं। मौद्रिक दृष्टि से यह महीना एक सुखद महीना नहीं है क्योंकि आप भारी खर्च कर सकते हैं। बच्चों की जरूरतों के कारण नकदी का प्रवाह अधिक होगा। कोई अनावश्यक खर्च रोकें। धन दूसरों के साथ प्रतिद्वंद्विता पैदा कर सकता है, और यह अप्रिय हो सकता है। आप मनोरंजक दोस्तों पर खर्च करेंगे और अपने खर्च करने की आदतों में उदार रहेंगे।
इस महीने आपके निर्णय लेने की क्षमता बढ़ेगी। इस माह में आपको मनचाहे परिणाम मिल सकते हैं। पारिवारिक जीवन में आपकी स्थिति में सुधार होगा और परिवार के सदस्यों के बीच सामंजस्य की स्थिति को देखकर आपको खुशी होगी। दाम्पत्य जीवन में कुछ परेशानियाँ इस महीने आ सकती हैं। हालाँकि, अपनी चतुराई से आप अपने जीवनसाथी के विचारों को जान लेंगे और फिर उन्हें हल करने का प्रयास करेंगे। आपको इस महीने यात्रा करने से बचना चाहिए। इस राशि के छात्रों के लिए यह महीना बहुत अच्छा रहेगा। अगर आप शिक्षा के लिए विदेश जाने की सोच रहे हैं, तो इस महीने आपका सपना सच हो सकता है। काम या पढ़ाई के लिए आपका लवमेट इस महीने आपसे दूर हो सकता है। हालांकि संचार के माध्यम से आप अपने लवमेट के साथ लगातार संपर्क में रहेंगे। दांपत्य जीवन में कुछ परेशानियाँ आ सकती हैं, इसलिए सावधान रहें।
उपाय - सूर्य देव की आराधना करें और रोज सुबह उठकर सूर्य नमस्कार करें। इसके अलावा शनिवार को छाया दान करें और गरीबों या विकलांगों को मुफ्त दवाइयां वितरित करें।

कर्क : यह महीना आपके लिए बहुत तनावपूर्ण हो सकता है। आपको अपने काम को लेकर बहुत सावधान रहना होगा आप किसी भी स्थिति का सामना कर सकते हैं और इससे उबर सकते हैं। आप छोटी यात्राएं कर सकते हैं पारिवारिक मामलों में सतर्क रहें क्योंकि यह महीना आपके लिए अनुकूल नहीं है। परिवार के सदस्यों के बीच मतभेद होने की संभावना है। आप अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें। छात्रों के दिमाग शिक्षा से संबंधित सभी अनुभवों के लिए खुले रहेंगे और ज्ञान का स्वागत एक खिड़की के रूप में करेंगे जिसके माध्यम से ज्ञान और अन्य संबंधित शिक्षा प्राप्त की जाएगी। आप अपनी पढ़ाई में चमकेंगे और अपने माता-पिता को खुश करेंगे।
कर्क राशि में जन्मे लोगों को जून के महीने में स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देना होगा। कुछ परिस्थितियाँ इस महीने आपके पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, जब आय और व्यय की बात आती है, तो आपको दोनों स्तरों पर उनके बारे में सोचना होगा। आपका पारिवारिक जीवन अच्छा रहेगा। संतान की ओर से माह की शुरुआती समस्याओं के बाद स्थितियाँ बेहतर होने लगेंगी और संतान अच्छा करेगी। जून आपकी छोटी यात्राओं का योग है। परिवार के सदस्य इस महीने आपके साथ खड़े नज़र आएंगे, जो आपको सबसे बड़ी समस्याओं को हल करने में भी मदद करेगा। आपका मानसिक तनाव कुछ हद तक कम हो जाएगा और आप खुलकर अपने परिवार और अन्य परिस्थितियों पर विचार करेंगे। आप इस महीने को ज्ञान के साथ बेहतर तरीके से आगे बढ़ाएंगे।
उपाय - शनिवार की शाम को पीपल के पेड़ की जड़ में सरसों और तिल के तेल का दीपक जलाएं और पेड़ की सात परिक्रमा करें।

सिंह: सिंह राशि वालों के लिए यह महीना बहुत अच्छा महीना रहने वाला है। आपकी मेहनत रंग लाएगी। आपके उन लोगों से संपर्क हो सकते हैं जो आपसे बहुत दूर रहते हैं गृहकार्य में आपको ध्यान देना होता है लेकिन साथ ही साथ आपको बहुत धैर्य रखने की आवश्यकता होती है। आप अपने परिवार को लेकर चिंतित हो सकते हैं। आपको स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान देने की आवश्यकता होगी। सिंह राशि वाले कुछ लोग जॉब ट्रांसफर की उम्मीद कर सकते हैं। छात्रों के अध्ययन के लिए यह महीना सामान्य रहेगा। अपने दोस्तों और सहकर्मियों के साथ अच्छे संबंध विकसित करके उनका समर्थन प्राप्त करें।
सिंह राशि वालों को जून के महीने में कुछ नई योजनाओं में निवेश करने का मौका मिल सकता है। आपकी परियोजनाएं, जो लंबे समय से रुकी हुई थीं, उन्हें फिर से शुरू करने का मौका मिलेगा, जिससे आपके वित्तीय बोझ में थोड़ी कमी आएगी और आपकी आय के रास्ते खुलेंगे। इसके अलावा, आपको परिवार के सदस्यों का समर्थन भी मिलेगा। इस महीने ससुराल वालों से किसी बात को लेकर मनमुटाव हो सकता है। इसलिए बेहतर होगा कि बहस को आगे न बढ़ने दें। कानूनी मामलों में निर्णय आपके पक्ष में हो सकता है और छोटी दूरी की यात्राएँ अनुकूल रहेंगी। यदि आप विदेश जाने की कोशिश कर रहे हैं, तो इस संबंध में समझदारी से खर्च करें क्योंकि परिणाम आने में थोड़ा अधिक समय लग सकता है। आपको इस महीने अपने स्वास्थ्य के प्रति गंभीर रहने की सलाह दी जाती है।
उपाय - सूर्य देव की स्तुति करें और मंगलवार को हनुमान मंदिर जाएं और हनुमान जी को चोला चढ़ाएं। साथ ही गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें।

कन्या: यह महीना आपके लिए बहुत सारी सकारात्मकता लेकर आया है अपने व्यवसाय को तेज़ी से बढ़ाने के लिए आपको लाभ मिलता है। कुछ लोगों को वाहन खरीदने में रुचि हो सकती है। आप और आपका परिवार अच्छा स्वास्थ्य बनाए रखेंगे, लेकिन आपकी माँ और जीवनसाथी के स्वास्थ्य की चिंता बनी रहेगी। आप अभी और फिर कुछ निराशा का अनुभव करेंगे। प्रेमियों को गलतफहमी के कारण एक कठिन समय होगा। आपको कभी भी बिना सोचे-समझे कोई भी निर्णय नहीं लेना चाहिए अन्यथा आप एक बाधा बन सकते हैं। आप अपने फिटनेस स्तर को प्रभावी ढंग से बनाए रखते हैं। आपके स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाला कोई अनावश्यक तनाव नहीं होगा। यह महीना छात्रों के लिए बहुत अच्छा है क्योंकि आपका दिमाग खुला है और अपनी पढ़ाई पूरी लगन से करें। आपके माता-पिता आपके शैक्षिक प्रयासों में हुई प्रगति से खुश होंगे।
जून में कन्या राशि के लोग अपने व्यवहार कुशलता के कारण कई काम बड़ी आसानी से कर पाएंगे। बुध इस महीने राहु के साथ एकजुट हो रहा है जिसके कारण आपका दिमाग कंप्यूटर की तरह तेज चलेगा और आप कार्यस्थल में हर काम चुटकी में कर पाएंगे। पारिवारिक जीवन में आपकी स्थिति थोड़ी तनावपूर्ण हो सकती है। आपको संतान को लेकर भी थोड़ा गंभीर रहना होगा। छठी इंद्री मंगल आपको पूर्ण रूप से मदद करेगी, जिससे आपके छिपे हुए विरोधी आपसे जीतने में सक्षम नहीं होंगे, लेकिन महीने के उत्तरार्ध में आप विरोधियों से थोड़ा सावधान रहें तो बेहतर होगा। इस महीने आपको भाग्य का पूरा सहयोग मिलेगा। इस महीने आप जो भी यात्राएं करेंगे वह सुखद और फलदायक होगी। परिवार में भाई-बहनों के साथ अच्छे संबंध बनाए रखें। व्यापार में आप अपने काम पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इसके लिए आपको अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस महीने आपको अपने काम का बोध कराने के लिए विशेष ध्यान रखना होगा।
उपाय - बुधवार की शाम को काले तिलों का दान करें और अपने इष्ट देवता या देवता की पूजा करें।

तुला: तुला राशि यह तुला राशि के लोगों के लिए एक खुशहाल महीना है। आप अपने छोटे भाई-बहनों के भाग्य से खुश होंगे। धन की प्राप्ति अच्छी होगी। व्यवसाय थोड़ा सुस्त हो सकता है, फिर भी आप लाभ प्राप्त करेंगे यह रोजगार का अच्छा समय हो सकता है आपके दांपत्य जीवन में बहुत आनंद और संतुष्टि रहेगी। जीवनसाथी के साथ आपके मधुर संबंध बनेंगे। आप अपने कार्यस्थल पर भारी लाभ ला सकते हैं। आपके वरिष्ठ आपकी ईमानदारी की सराहना करेंगे। यह महीना आपको काफी सफलता प्रदान करता है। आप अधिक सक्रिय महसूस करेंगे और फिट रहेंगे। यह महीना छात्रों का पक्ष नहीं ले रहा है। वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको अतिरिक्त प्रयास करने और कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता हो सकती है।
आपकी राशि का स्वामी सूर्य अष्टम भाव में सूर्य के साथ बैठा है, इसलिए इस महीने तुला राशि वालों को अपने स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा सावधान रहना चाहिए। ग्रहों की स्थिति के कारण आपके कुछ पुराने रहस्य भी सामने आ सकते हैं, जिससे आपकी मानहानि हो सकती है। यदि आप इस महीने कोई गलती करते हैं, तो इसे स्वीकार करने से न शर्माएँ, क्योंकि ऐसा करना आपके पक्ष में होगा। इस महीने आप किसी पवित्र मंदिर की यात्रा भी कर सकते हैं। जून में लंबी दूरी की यात्राएँ आपको रोमांच से भर देंगी और आपको दीर्घकालिक लाभ देंगी। आप इस दौरान अपने घर की मरम्मत भी करवा सकते हैं। पंचम भाव का मंगल विद्यार्थियों की शिक्षा में व्यवधान लेकर आ सकता है। पारिवारिक जीवन की बात करें तो शनि और बृहस्पति का योग आपके लिए मिश्रित परिणाम लेकर आएगा।
उपाय - गौ माता की नियमित रूप से सेवा करें और उन्हें गुड़ और आटा खिलाएँ। इसके अलावा गुड़, चना और लाल मसूर की दाल का दान करें।

वृश्चिक: जून आपके लिए एक चुनौतीपूर्ण महीना है। चुनौतियों के लिए तैयार रहें और साथ ही आपके धैर्य और दृढ़ संकल्प का परीक्षण किया जा सकता है। घर का माहौल शांतिपूर्ण नहीं रहेगा जीवनसाथी आपके ख़र्चों में वृद्धि करेगा और आपको समझदारी से स्थिति को संभालना पड़ सकता है। आप में से कुछ लोग जल्द ही शादी कर सकते हैं। व्यक्तिगत चीजों पर इस महीने आप कुछ अधिक खर्च करने की संभावना है। यह आपके लिए एक परीक्षण का समय है। जिम्मेदारियां आप पर हो सकती हैं। आप अपने स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं दे पाएंगे। इस राशि के छात्रों को कड़ी मेहनत करनी चाहिए और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। पूरा ध्यान देने की कोशिश करें और ईमानदार प्रयासों का लाभ उठाएं। आप अपने माता-पिता को गौरवान्वित करेंगे।
वृश्चिक राशि में जन्मे जून के महीने में खुद पर भरोसा रखें। इस महीने आप आत्मविश्वास के साथ जो भी करेंगे उसमें आपको सफलता मिलेगी। छोटी समस्याओं के अलावा, कोई भी बड़ी समस्या इस दौरान आपको परेशान नहीं करेगी और आपका स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। आपके अंदर आलस्य की वृद्धि हो सकती है, जिससे आपके महत्वपूर्ण कार्यों में देरी होगी और आपको नुकसान उठाना पड़ सकता है। आपको माँ के स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा। इस महीने होने वाली छोटी यात्राओं के दौरान पूरी तरह से तैयार रहें। यह महीना आमतौर पर प्यार करने वाले जोड़े के लिए अच्छा रहेगा। विवाहित लोगों के लिए, सप्तम भाव में बैठा शुक्र पूरी तरह से तैयार दिखेगा। आपको सलाह दी जाती है कि महीने के पहले भाग में बहुत सावधानी से गाड़ी चलाएं और किसी से वाहन न माँगें। यदि आप इसे छात्रों के दृष्टिकोण से देखते हैं, तो आपकी पढ़ाई में आपकी निष्ठा बढ़ेगी और आप अपना ध्यान एकाग्र कर अपने शिक्षण पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
उपाय - बंदरों को गुड़ और चना या चूरमा खिलाएँ और माथे पर केसर का तिलक लगाएँ।

धनु: धनु राशि वालों के लिए यह अच्छा महीना है। काम पर चिंता करने का कोई कारण नहीं है क्योंकि उसी समय आपको सफल होने का सबसे अच्छा मौका मिलेगा आपके भाग्य के ताले से आपके सभी व्यवहारों को लाभ होने की संभावना है। आप में से कुछ यात्राएँ कर सकते हैं। जहां आपके स्वास्थ्य के लिए चिंता है, उचित सावधानी बरतें। स्वास्थ्य संबंधी कोई गंभीर समस्या होने की संभावना नहीं है। शादीशुदा लोगों का जीवन खुशहाल रहेगा पेशेवरों को अपने श्रम का फल अवश्य मिलेगा आप समय में एक सकारात्मक परिणाम देखेंगे। आपको बहुत प्रयास करना होगा और अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना होगा। आप अपनी मेहनत और प्रयासों का लाभ प्राप्त करेंगे।
धनु राशि के जातक वर्तमान में साढ़े साती के प्रभाव में हैं, जिसके कारण आपके परिवार में कुछ समस्याएं हो सकती हैं, और आपको मानसिक तनाव का सामना करना पड़ सकता है। आपको इस दौरान धन के मामले में अच्छी सफलता मिलेगी और आप धन कमाने में सक्षम होंगे। आपकी राशि का स्वामी वक्री अवस्था में है, जिसके कारण आपको अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखना होगा और अपने खान-पान पर भी नियंत्रण रखना होगा। आपको इस महीने अत्यधिक भोग की आदत से बचना चाहिए और संयमित व्यवहार करना चाहिए। आपको सलाह दी जाती है कि व्यर्थ में किसी और की लड़ाई में शामिल न हों, इससे समस्या बढ़ सकती है। आपको महीने के उत्तरार्द्ध में कानून के खिलाफ कुछ भी नहीं करना चाहिए, अन्यथा आप मुसीबत में पड़ सकते हैं। कुल मिलाकर यह महीना आपके लिए बेहतर रहेगा और संतान को भी बेहतर परिणाम मिलेंगे।
उपाय - शनिवार को छाया पात्र का दान करें। आपको पीपल का पेड़ लगाना चाहिए

मकर: यह महीना आपके लिए खुशखबरी लेकर आने वाला है। व्यावसायिक मामलों में आपको बहुत सावधान रहने की आवश्यकता होगी। परिवार में किसी भी टकराव से बचने के लिए, ध्यान रखें कि पारिवारिक मामले जुड़ने के लिए बाध्य हैं। आपके स्वास्थ्य को बिगड़ने से रोकने के साथ ही स्वास्थ्य संबंधी चिंताएँ भी हो सकती हैं। आप अपने भाई-बहनों से समर्थन की उम्मीद कर सकते हैं। आपके मातृ पक्ष से आर्थिक लाभ हो सकता है। यात्रा आपके लिए बहुत फायदेमंद रहने वाली है। स्वास्थ्य सदस्यों के साथ-साथ थकान और सिरदर्द के लक्षण भी हो सकते हैं। छात्रों को अपनी शिक्षा पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है।
मकर राशि के जातकों को जून के दूसरे भाग में यात्रा पर जाने का मौका मिलेगा। दूसरी ओर, आपका मन भी जीवन के साथ गहरा संबंध रखेगा। इस महीने बहुत से लोग आपको आवश्यक कार्यों के लिए लोगों को सलाह दे सकते हैं, जिससे आपका मूल्य बढ़ जाएगा। जून में मकर राशि में जन्म लेने वाले लोग जो कानून से संबंधित कोई भी काम करते हैं उन्हें बेहतरीन परिणाम मिल सकते हैं। इस माह आप अपने कार्यक्षेत्र को लेकर बहुत गंभीर रहेंगे और यह आपके पक्ष में जाएगा। यदि आप अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हैं, तो यह महीने के पहले भाग में होगा। आप वित्तीय मामलों में बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं। अगर हम प्रेम जीवन के बारे में बात करते हैं, तो पंचमेश शुक्र की उपस्थिति आपको इस महीने प्यार में पागल कर सकती है।
उपाय - गुरुवार और शनिवार को पीपल के पेड़ को जल देना चाहिए और उसे बिना छुए पूजा करनी चाहिए।
कुंभ राशि: इस माह आपको बहुत सी सावधानियों का सामना करना पड़ेगा। जून का यह महीना आपके लिए भाग्यशाली महीना नहीं है। कई बाधाएं हो सकती हैं जिनका आपको सामना करना पड़ सकता है और आपके भाग्य में कोई वृद्धि नहीं है। व्यावसायिक निर्णय सामने रखें क्योंकि वे सभी लाभदायक नहीं हो सकते हैं। अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखने की आवश्यकता है प्रेमी बहुत परेशानियों का सामना कर सकता है। आपको बहुत सोच समझकर कदम उठाने होंगे। परिवार में बहुत सी गलतफहमियाँ हो सकती हैं जो तनावपूर्ण संबंधों को जन्म दे सकती हैं। आपको माता-पिता या परिवार के किसी वरिष्ठ सदस्य के बिगड़ते स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है। यह आपको सफलता की राह पर ले जाने में मदद कर सकता है।
कुंभ राशि के लोगों को इस महीने बहुत फायदा होगा, लेकिन आपको बहुत ज्यादा सोचने की आदत से बचना होगा, क्योंकि यह कुछ स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है। पारिवारिक जीवन की बात करें तो यह जून में हमेशा की तरह जारी रहेगा। इस बीच आपको संतान से जुड़ी कोई अच्छी खबर मिल सकती है। इस महीने आपके ख़र्चे बहुत अधिक होंगे, जिन्हें आपको नियंत्रित करने की आवश्यकता होगी। जून में आपकी राशि में मंगल आपको प्रभावी बनाने के साथ-साथ आपको गुस्सा भी दिलाएगा। इसलिए थोड़ा सावधान रहने की सलाह दी जाती है। इस दौरान कुंभ राशि वालों को वाहन प्राप्ति के अच्छे योग बनेंगे। छात्रों की बात करें तो कुंभ राशि के छात्र इस महीने काफी अच्छा प्रदर्शन करेंगे।
उपाय - भगवान भैरव नाथ की पूजा करें और रविवार को भैरव मंदिर जाएं और दो अमर और दूध चढ़ाएं।

मीन राशि: यह महीना आपके लिए बहुत अच्छा रहने वाला है। करियर के लिहाज से आपको बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे जितना संभव हो उतना समय घर पर बिताएं और विवाहित जीवन का आनंद लें। आपकी सामाजिक और व्यावसायिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। अपनी सेहत का ख्याल रखें। अपनी माँ के स्वास्थ्य पर ध्यान दें क्योंकि इससे चिंता हो सकती है। आप सहकर्मियों, मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार के सदस्यों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखते हैं। आप तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं। छात्रों को सावधान रहने की जरूरत है। आपको अपनी शिक्षा को बहुत ध्यान से सुनना होगा। यह आपके परिणामों को बहुत प्रभावित कर सकता है।
मीन राशि के जातकों को इस महीने अपनी अधिक सोचने की आदत पर नियंत्रण रखना चाहिए। इस महीने, परिवार से लगाव आपको बहुत सम्मान देगा और आप जो भी कोशिश करेंगे, वे काम आएंगे। इस दौरान आप मानसिक रूप से शारीरिक रूप से अधिक मेहनत करेंगे। लेकिन इस मेहनत से आपको बेहतर परिणाम मिलने वाले हैं। इस महीने आपको संतान की ओर से कोई अच्छी खबर मिलेगी, लेकिन आपको संतान के स्वास्थ्य को लेकर थोड़ा गंभीर रहने की सलाह दी जाती है। तीसरे अर्थ में, सूर्य की उपस्थिति आपको सरकारी क्षेत्र में अच्छे परिणाम देगी। चौथे भाव में सूर्य के दिखने से माताजी का स्वास्थ्य कुछ हद तक प्रभावित हो सकता है। इस महीने छोटी यात्राएं आनंद का साधन बनेंगी। कुछ मीन राशि के लोग तीर्थ यात्रा पर भी जा सकते हैं।
उपाय - मंगलवार को छोटे बच्चों को गुड़ और चना बांटें और सोमवार को भगवान शिव और हनुमान की पूजा करें।
June 2020 Monthly Rashifal, (June Monthly Horoscope), मासिक राशिफल जून 2020 June 2020 Monthly Rashifal, (June Monthly Horoscope), मासिक राशिफल जून 2020 Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on मई 30, 2020 Rating: 5

क्या हैं षोडश मुहूर्त जानिए, क्या क्या कर सकतें हैं, इन मुहूर्तो में

तत्र तावत्सर्वकार्योपयोगिशिवद्विघटिका प्रारश्र्यते । अथावस्यके पंचांगशुद्धयभावे शिवमुहूर्त्तानि ।
ईश्वर उवाच ॥
श्रृणु देवि प्रवक्ष्यामि ज्ञानं त्रैलोक्यदीपकम्‌ ।
ज्योतिस्सारस्य यत्सारं देवानामपि दुर्लभम्‌ ॥१॥

न तिथिर्नच नक्षत्रं न योगकरणं तथा ।
कुलिकं यमयोगं च न भद्रा नच चंद्रमा : ॥२॥

न शूलं योगिनी राशिर्न होरा न तमोगुण : ।
व्यतिपाते च संक्रांतौ भद्रायामशुभे दिने ॥३॥

शिवालिखितमित्येतत्सर्वविघ्नोपशांतये ।
कदाचिच्चलते मेरु : सागराश्व महीच्युता : ॥४॥

सूर्य : पतति वा भूमौ वह्निर्वा याति शीतताम्‌ ।
निश्वलश्व भवेद्वायुर्नान्यथा मम भाषितम्‌ ॥५॥

तत्रादौ कथयिष्यामि मुहूर्त्तानि च षोडश ।
गुणत्रयप्रयोगेण चलंत्येव ह्यहर्निशम्‌ ॥६॥

अथ मिश्रप्रकरणं लिख्यते ॥ प्रथम संपूर्ण कार्योंके योग्य दो घडीका शिवलिखित मुहूर्त्त कहते हैं यह मुहूर्त्त पंचांगकी शुद्धि न होनेसे भी शुभ करता है और पंचांगकी शुद्धि सहित तो अतिही श्रेष्ठ है , पूर्वकालमें त्रिपुरासुरको मारनेके समयमें महादेवजीने पार्वतीको कहा था , महादेवजी बोले हे देवि ! त्रिलोकीमें दीपकरूपं ज्ञान और ज्योतिषका सार देवोंको भी दुर्लभ है सो तुमको कहते हैं ॥१॥
जिसमें तिथि , नक्षत्र , योग , करण , कुलिक , यमयोग , भद्रा , अशुभ चंद्रमा , दिशाशूल , योगिनी , राशि , होरा , तमोगुण , व्यतीपात , संक्रांति , अशुभदिन आदिका दोष नहीं लगता है . और संपूर्ण विघ्न शांत होते हैं सो " शिवालिखितनाम " मुहूर्त्त यह है ॥२॥३॥
समय पाकर मेरुपर्वत और समुद्रसहित पृथ्वी भी चल सकती है और सूर्य भी भूमिपर पड सकता है , अग्नि शांत हो सकती है वायु बंद हो सकता है , परन्तु मेरा कहा हुआ यह मुहूर्त्त निष्फल नहीं नाता है ॥४॥५॥
सो ही सोलह मुहूर्त्त तीन गुणोंके प्रयोग करके रातदिन चलते हैं ॥६॥

अथ मुहूर्त्तानि ।
रौद्रं १ श्वेतं २ तथा मैत्रं ३ चार्वटं च चतुर्थकम्‌ ४ ।
पंचमं जयदेवं च ५ षष्ठं वैरोचन ६ तथा ॥७॥

तुरगं सप्तम ७ चैव ह्यष्टमं ८ चाभिजित्तथा ॥
रावणं नवमं ९ प्रोक्तं वालवं दशमं १० तथा ॥८॥

विभीषणं रुद्रसंज्ञं ११ द्वादशं च १२ सुनंदनम्‌ ।
याम्यं त्रयोद्शं १३ ज्ञेयं सौम्यं प्रोक्तं चतुर्दशम्‌ १४ ॥९॥

भार्गवं तिथिसंज्ञं च १५ सविता षोडशं तथा १६ ।

एतानि प्रोक्तकार्येषु नियोज्यानि यथाक्रमात्‌ ॥१०॥


अथ मुहूर्त्तकर्माणि ।
रौद्रे रौद्रतरं कार्य्यं श्वेते कुंजरबंधनम्‌ ॥
स्नानदानादिकं मैत्रे चार्वठे स्तंभनं भवेत्‌ ॥११॥

कार्य्यं यज्जयदेवसंज्ञकवरे सर्वार्थकं साधयेत्तद्वैरोचनसंज्ञके भवति व पट्टाभिषेकं क्रमात्‌ ॥
ज्ञात्वैवं तुरगे च नाम्नि विदिते शस्त्रास्त्रकं साधयेत्स्यात्कार्यं ह्यभिजिन्मुहूर्त्तकवरे ग्रामप्रवेशं सदा ॥१२॥


रावणे साधयेद्वैरं युद्धकार्यं च वालवे ।
विभौषणे शुभं कार्यं यन्त्रकार्यं सुनंदने ॥१३॥


याम्ये भवेन्मारणकार्यमप्यसौ सौम्ये सभायामुपवेशनं स्यात्‌ ।

स्त्रीसेवनं भार्गवके मुहूर्त्ते सावित्रनाम्रि प्रपठेत्सुविद्याम्‌ ॥१४॥
( मुहूर्तोंके नाम ) रौद्र १ , श्वेत २ , मैत्र ३ , चार्वट ४ , जयदेव ५ , वैरोचन ६ , तुरग ७ , अभिजित्‌ ८ , रावण ९ , वालव १० , विभीषण ११ , सुनंदन १२ , याम्य १३ , सौम्य १४ , भार्गव १५ , सविता १६ , यह सोलह मुहूर्त्तोंके नाम हैं सो क्रमसे जुदे जुदे कामोंमें लेने चाहिये ॥७॥१०॥
( मुहूर्त्तोंके कार्य ) रौद्रमुहूर्त्तमें अतिही क्रूर काम करना शुभ है , श्वेतमुहूर्त्तमें हस्तीका बंधन शुभ है और मैत्रमें स्नान दान आदि करना , चार्वटमें स्तंभनकार्य जयदेवमें संपूर्ण शुभकार्य , वैरोचनमें राज्याभिषेक , तुरगमें शस्त्रअस्त्रका कार्य , अभिजित्‌में ग्राम आदिका प्रवेश करना शुभ है ॥११॥१२॥
रावणमें वैरका काम , वालवमें युद्धके कार्य ; विभीषणमें शुभ कार्य , सुनंदनमें यन्त्रोंका काय , याम्यमें मारणका कृत्य , सौम्यमें सभाआदिमें बैठना , भार्गवमें स्त्रीसेवन और सवितामुहूर्त्तमें विद्याका आरंभ करना श्रेष्ठ है ॥१३॥१४॥
क्या हैं षोडश मुहूर्त जानिए, क्या क्या कर सकतें हैं, इन मुहूर्तो में क्या हैं षोडश मुहूर्त जानिए, क्या क्या कर सकतें हैं, इन मुहूर्तो में Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on मई 21, 2020 Rating: 5

ज्योतिष आकलन, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा बेहद संवेदनशील


एक महीने के अंतराल में लगेंगे 3 बड़े ग्रहण, जानिए क्या पड़ेगा इसका असरएक महीने के अंतराल में लगेंगे 3 बड़े ग्रहण, जानिए क्या पड़ेगा इसका असर | ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि। शनि, मंगल और गुरु के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक बना रहेगा। भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा।
एक महीने में एक के बाद एक तीन ग्रहण से होगा सामना
जून, जुलाई के मध्य 2 चन्द्र ग्रहण तथा 1 सूर्य ग्रहण घटित होंगे। दोनों चन्द्र ग्रहण उपछाया (मान्द्य) होंगे जो क्रमशः 5-6 जून की दरमियानी रात और 5 जुलाई को होंगे, वही कंकणाकृति सूर्य ग्रहण 21 जून को होगा। 21 जून को आषाढ़ मास की अमावस्या, मृगशीर्ष नक्षत्र, मिथुन राशि में होने वाले इस सूर्य ग्रहण 12 मिनिट से अधिक नहीं दिखाई देगा। भारत, बांग्लादेश, भूटान, श्रीलंका के कुछ शहरो में दिखाई देगा यह ग्रहण।
अगले महीने जून में सूर्य और चंद्र ग्रहण होगा। इस साल 2020 में कुल 6 ग्रहण लगेंगे, जिनमें से एक 10 जनवरी को लग चुका है, ये चंद्र ग्रहण था। धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों ही नजर से ग्रहण का बहुत अधिक महत्व होता है। आइए, आज जानते हैं अगले महीने जून में लगने वाले ग्रहण के बारे में....
अगले महीने जून में सूर्य और चंद्र ग्रहण

5 जून चंद्र ग्रहण
साल 2020 का दूसरा चंद्र ग्रहण 5 जून, शुक्रवार को है। ये चंद्र ग्रहण 5 जून में रात्रि 11 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा और 6 जून की रात्रि 2 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। भारत में ये चंद्र ग्रहण दिखाई देगा। भारत के अलावा ये यूरोप, अफ्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा।

21 जून सूर्य ग्रहण
अगले महीने जून में ही सूर्य ग्रहण भी है। 21 जून, रविवार को सूर्य ग्रहण लगेगा। ये ग्रहण सुबह 9 बजकर 15 मिनट से शुरू हो जाएगा और दिन में 3 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। भारत में ये सूर्य ग्रहण दिखाई देगा। भारत के अलावा अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में भी दिखाई देगा।
चंद्र ग्रहण
5 जुलाई: 5 जुलाई को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। भारत के समयानुसार ये सुबह 8 बजकर 37 मिनट से शुरु होकर सुबह 11 बजकर 22 मिनट तक रहेगा। ये चंद्र ग्रहण अमेरिका, दक्षिण पूर्व यूरोप और अफ्रीका में दिखाई देगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार इस चंद्र ग्रहण का प्रभाव भारत पर नहीं पड़ेगा।
30 नवंबर:30 नवबंर को लगने वाला चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, प्रशांत महासागर, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में दिखाई देगा।

सार
जनजीवन होगा अस्तव्यस्त
पश्चिमी देशों में मचेगी उथल-पुथल, 
क्या तीसरे विश्व युद्ध की नींव रखी जा सकेगी?
अर्थव्यवस्था अस्त-व्यस्त, स्टॉक मार्केट होगा धड़ाम,

प्राकृतिक आपदाओं व नए-नए संक्रामक रोगों से भयावहता बढ़ेगी, जून-जुलाई देश-दुनिया के लिए रहेंगे भारीवैश्विक महामारी कोरोना अभी अपने शीर्ष की और बढ़ रही है, मंगल के मकर से कुम्भ राशि में प्रवेश के साथ ही मकर राशि में मंगल-शनि-गुरु की युति भंग हुई, इस युति के भंग होने के साथ ही राहत, उम्मीद का आकलन करना शुरू हो गया। लेकिन यह राहत इतनी बड़ी भी नहीं की कोरोना का पतन हो जाए। ग्रह गोचर कुछ अलग ही इशारा कर रहे हैं। 21 जून को सूर्य ग्रहण लगेगा जो वलयाकार होगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। जिस कारण इसका सूतक काल मान्य होगा। इस ग्रहण की शुरुआत सुबह 9 बजकर 15 मिनट से हो जायेगी जिसका अंत दोपहर 02 बजकर 2 मिनट पर होगा। ग्रहण लगने से ठीक 12 घंटे पहले सूतक शुरू हो जायेगा।
भारत समेत इस ग्रहण को दक्षिण-पूर्व यूरोप, हिन्द महासागर, प्रशांत महासागर, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका और दक्षिण अमेरिका में देखा जा सकेगा। ज्योतिष अनुसार ये ग्रहण आषाढ़ कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मिथुन राशि और मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। इसलिए मिथुन वालों पर इस ग्रहण का सबसे ज्यादा प्रभाव देखने को मिलेगा। इस ग्रहण के समय कुल 6 ग्रह वक्री होंगे जो अच्छा संकेत नहीं है। कहा जा रहा है ये ग्रहण पूरे विश्व के लिए चिंताजनक रहने वाला है।
21 जून को लगने जा रहे सूर्य ग्रहण के समय मंगल जलीय राशि मीन में स्थित होकर सूर्य, बुध, चंद्रमा और राहु को देखेंगे जिससे अशुभ स्थिति का निर्माण होगा। इसके अलावा शनि, गुरु, शुक्र, बुध, राहु, केतु वक्री अवस्था में होंगे। इसे भी अशुभ माना जा रहा है। ग्रहण के समय इन बड़े ग्रहों के वक्री होने से प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ सकता है। जैसे अत्याधिक वर्षा, समुद्री चक्रवात, तूफान, महामारी आदि। शनि, मंगल और गुरु के प्रभाव से विश्व में आर्थिक मंदी का असर एक वर्ष तक बना रहेगा।
कैसे लगता है सूर्य ग्रहण? ग्रहण लगने के वैज्ञानिक के साथ धार्मिक कारण भी माने जाते हैं। विज्ञान अनुसार सूर्य ग्रहण एक खगोलीय घटना है। जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के मध्य में आ जाता है तब सूर्य की किरणें पृथ्वी तक नहीं पहुँच पातीं इस घटना को ही सूर्य ग्रहण कहा जाता है। तो वहीं धार्मिक दृष्टि से देखा जाये तो ग्रहण पापी ग्रहों राहु और केतु के कारण लगता है। एक कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब भगवान विष्णु देवताओं को अमृत पिलाने के उदेश्य से मोहिनी रूप लेते हैं तब सभी देवता और दानव उनकी बात मानकर एक लाइन में बैठ जाते हैं। विष्णु जी देवताओं को अमृत पिलाना शुरू करते हैं तभी एक राक्षस तो भगवान विष्णु पर शक होता है जिस कारण वह दानव देवताओं के बीच में आकर बैठ जाता है। इस बात की जानकारी सूर्य और चंद्र देव भगवान विष्णु को देते हैं। तभी भगवान विष्ण अपने सुदर्शन चक्र से उस राक्षक का सिर धड़ अलग कर देते हैं। लेकिन उस राक्षस के मुंह में अमृत की कुछ बूंदे चली गईं थीं। जिस कारण वह अमर हो गया। उसका एक हिस्सा राहु तो दूसरा हिस्सा केतु कहलाया। तभी से राहु केतु सूर्य और चंद्र को अपना दुश्मन मानते हैं और अमावस्या के दिन वह सूर्य का तो पूर्णिमा के दिन चंद्रमा का ग्रास कर लेते हैं। लेकिन ये जरूरी नहीं कि हर अमावस्या या पूर्णिमा को ऐसा हो।
 शास्त्रों के अनुसार एक माह के मध्य दो या दो से अधिक ग्रहण पड़ जाए तो राजा को कष्ट, सेना में विद्रोह, गम्भीर आर्थिक समस्या, जैसी स्थिति निर्मित होती है। संहिता ग्रंथो में स्पष्ट उल्लेख है की यदि यह स्थिति आषाढ़ माह में बने तो आजीविका पर मार तथा चीन आदि देशों को नुक्सान के योग बनते हैं। तीनों ग्रहण का प्रभाव विश्व के लिए नुक्सान दायक रहेगा। चीन को लेकर वैश्विक स्तर पर कोई कठोर निर्णय पूरे विश्व को शीत युद्ध की और ले जा सकता है। कुल मिलाकर जून-जुलाई वायरस से अधिक अर्थव्यवस्था को लेकर चिंता, अमेरिका-चीन के मध्य मतभेदों को लेकर परेशानी का कारण बन सकता है।

कब होगा कंकणाकृति सूर्य ग्रहण का स्पर्श-मध्य और मोक्ष
आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक के अनुसार यह ग्रहण उत्तरी राजस्थान, पंजाब, उत्तरी हरियाणा, उत्तराखंड के कुछ भागों में कंकणाकृति तथा शेष भारत में खंड ग्रास के रूप में दिखाई देगा, इंदौर तथा उज्जैन में ग्रहण का स्पर्श (प्रारंभ) प्रातः 10.10., मध्य 11.51 और मोक्ष (समाप्ति) दोपहर 01.42 पर होगा। ग्रहण का सूतक दिनांक 20 जून को रात्री 10.10. पर प्रारंभ होगा। 
विभिन्न राशियों पर ग्रहण का प्रभाव
मेष, सिंह, कन्या और मकर राशि हेतु यह ग्रहण शुभ है।
वहीं मिथुन, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लिए यह ग्रहण अशुभ है।
वृषभ, तुला, धनु और कुम्भ राशि हेतु मिश्रित रहेगा यह ग्रहण।
एक के बाद एक ग्रह होंगे वक्री
ग्रह वक्री दिनांक राशि
गुरु 14 मई से 12 सितम्बर मकर
शनि 11 मई  से 29 सितम्बर मकर
बुध 18 जून से 11 जुलाई मिथुन
शुक्र 13 मई से 24 जून वृष
राहु-केतु यह वक्री ही रहते हैं मिथुन तथा धनु
आने वाले कुछ समय में एक के बाद एक पांच ग्रह अपनी चाल बदल कर वक्री होकर देश-विदेश में अपना कहर बरपा सकते हैं। राहू मिथुन राशि में वक्री है, वही 11 मई को शनि तथा 14 मई को गुरु मकर राशि में वक्री होंगे। वही 13 मई से शुक्र भी इन वृषभ राशि में वक्री होंगे वही इन चारो वक्री ग्रहों के साथ आग में घी का कार्य करने के लिए बुध 18 जून से मिथुन राशि में वक्री होंगे।
क्या होता है वक्री ग्रहों का प्रभाव
भारद्वाज ज्योतिष एवं आध्यात्मिक शोध संस्थान के प्रमुख आचार्य पंडित रामचंद्र शर्मा वैदिक ने बताया की संहिता ग्रंथानुसार यदि कोई ग्रह अपनी नैसर्गिक गति से विपरीत उल्टी तरफ बड़ते है तो उसे वक्री कहा जाता है। हालांकि राहू केतू की नैसर्गिक चाल वक्र ही है। पंडित शर्मा ने बताया की आने वाले जून-जुलाई काफी कष्टकारी हो सकते है। पांच ग्रहों का वक्री होना जनजीवन को अस्तव्यस्त कर सकता है। दो प्रमुख ग्रह शनि और गुरु का एक साथ मकर राशि में वक्री होना, पश्चिमी देशो में उथल पुथल मचा सकता है। मकर राशि शनि की स्वराशी है और गुरु की नीच राशि है। दोनों ग्रहों की आपसी द्वन्द की भेट चढ़ सकती है विश्व की अर्थ व्यवस्था। स्टॉक मार्केट में रिकार्ड गिरावट देखने को मिल सकती हैं। पांचो ग्रह तीन राशि को प्रभावित कर सकते है, वृषभ, मिथुन और मकर राशि होंगी प्रभावित। जिसमें सबसे महत्वपूर्ण है वर्षेश बुध का अपनी राशि मिथुन में वक्री होना, वायु तत्व राशि मिथुन में बुध का वक्री होने से संक्रामकता अपने चरम स्तर पर पहुंच सकती है। प्राकृतिक आपदा और संक्रामक बिमारी के बढ़ने के संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं।

ज्योतिष आकलन, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा बेहद संवेदनशील ज्योतिष आकलन, 21 जून को लगने वाला सूर्य ग्रहण होगा बेहद संवेदनशील Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on मई 21, 2020 Rating: 5

नारायण कवच | Narayan Kavach | श्री नारायणकवचम् | Most Powerful Narayan Kavach |


श्रीमद्भागवत के आठवे अध्याय में नारायण कवच के संबंध में न्यास व कवच पाठ बताया गया है.

नारायण कवच पाठ के लाभ

भय का अवसर उपस्थित होने पर नारायण कवच धारण करके अपने शरीर की रक्षा कर सकते है. नारायण कवच सही विधि से धारण करके व्यक्ति अगर किसी को छू ले तो असका भी मंगल हो जाता है, नारायण कवच की ऐसी महिमा है .

नारायण कवच पाठ विधि

पहले हाँथ-पैर धोकर आचमन करे, फिर हाथ में कुश की पवित्री धारण करके उत्तर मुख करके बैठ जाय इसके बाद कवच धारण पर्यंत और कुछ न बोलने का निश्चय करके पवित्रता से “ॐ नमो नारायणाय” और “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इन मंत्रों के द्वारा हृदयादि अङ्गन्यास तथा अङ्गुष्ठादि करन्यास करे पहले “ॐ नमो नारायणाय” इस अष्टाक्षर मन्त्र के ॐ आदि आठ अक्षरों का क्रमशः पैरों, घुटनों, जाँघों, पेट, हृदय, वक्षःस्थल, मुख और सिर में न्यास करे अथवा पूर्वोक्त मन्त्र के यकार से लेकर ॐ कार तक आठ अक्षरों का सिर से आरम्भ कर उन्हीं आठ अङ्गों में विपरित क्रम से न्यास करे.
तदनन्तर “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय” इस द्वादशाक्षर -मन्त्र के ॐ आदि बारह अक्षरों का दायीं तर्जनी से बाँयीं तर्जनी तक दोनों हाँथ की आठ अँगुलियों और दोनों अँगुठों की दो-दो गाठों में न्यास करे.
फिर “ॐ विष्णवे नमः” इस मन्त्र के पहले के पहले अक्षर ‘ॐ’ का हृदय में, ‘वि’ का ब्रह्मरन्ध्र , में ‘ष’ का भौहों के बीच में, ‘ण’ का चोटी में, ‘वे’ का दोनों नेत्रों और ‘न’ का शरीर की सब गाँठों में न्यास करे तदनन्तर ‘ॐ मः अस्त्राय फट्’ कहकर दिग्बन्ध करे इस प्रकर न्यास करने से इस विधि को जानने वाला पुरूष मन्त्रमय हो जाता है.
इसके बाद समग्र ऐश्वर्य, धर्म, यश, लक्ष्मी, ज्ञान और वैराग्य से परिपूर्ण इष्टदेव भगवान् का ध्यान करे और अपने को भी तद् रूप ही चिन्तन करे तत्पश्चात् विद्या, तेज, और तपः स्वरूप नारायण कवच का पाठ करे.

श्रीराजोवाच
यया गुप्तः सहस्राक्षः
सवाहान्रिपुसैनिकान्
क्रीडन्निव विनिर्जित्य
त्रिलोक्या बुभुजे श्रियम् १
भगवंस्तन्ममाख्याहि
वर्म नारायणात्मकम्
यथाततायिनः शत्रून्
येन गुप्तोऽजयन्मृधे २
श्रीबादरायणिरुवाच
वृतः पुरोहितस्त्वाष्ट्रो
महेन्द्रायानुपृच्छते
नारायणाख्यं वर्माह
तदिहैकमनाः शृणु ३
श्रीविश्वरूप उवाच
धौताङ्घ्रिपाणिराचम्य
सपवित्र उदङ्मुखः
कृतस्वाङ्गकरन्यासो
मन्त्राभ्यां वाग्यतः शुचिः ४
नारायणपरं वर्म
सन्नह्येद्भय आगते
पादयोर्जानुनोरूर्वो-
रुदरे हृद्यथोरसि ५
मुखे शिरस्यानुपूर्व्या-
दोङ्कारादीनि विन्यसेत्
ॐ नमो नारायणायेति
विपर्ययमथापि वा ६
करन्यासं ततः कुर्याद्
द्वादशाक्षरविद्यया
प्रणवादियकारान्त-
मङ्गुल्यङ्गुष्ठपर्वसु ७
न्यसेद्धृदय ॐकारं
विकारमनु मूर्धनि
षकारं तु भ्रुवोर्मध्ये
णकारं शिखया न्यसेत् ८
वेकारं नेत्रयोर्युञ्ज्यान्
नकारं सर्वसन्धिषु
मकारमस्त्रमुद्दिश्य
मन्त्रमूर्तिर्भवेद्बुधः ९
सविसर्गं फडन्तं तत्
सर्वदिक्षु विनिर्दिशेत्
ॐ विष्णवे नम इति १०
आत्मानं परमं ध्यायेद्
ध्येयं षट्शक्तिभिर्युतम्
विद्यातेजस्तपोमूर्ति-
मिमं मन्त्रमुदाहरेत् ११
ॐ हरिर्विदध्यान्मम सर्वरक्षां
न्यस्ताङ्घ्रिपद्मः पतगेन्द्र पृष्ठे
दरारिचर्मासिगदेषुचाप
पाशान्दधानोऽष्टगुणोऽष्टबाहुः १२
जलेषु मां रक्षतु मत्स्यमूर्तिर्
यादोगणेभ्यो वरुणस्य पाशात्
स्थलेषु मायावटुवामनोऽव्यात्
त्रिविक्रमः खेऽवतु विश्वरूपः १३
दुर्गेष्वटव्याजिमुखादिषु प्रभुः
पायान्नृसिंहोऽसुरयूथपारिः
विमुञ्चतो यस्य महाट्टहासं
दिशो विनेदुर्न्यपतंश्च गर्भाः १४
रक्षत्वसौ माध्वनि यज्ञकल्पः
स्वदंष्ट्रयोन्नीतधरो वराहः
रामोऽद्रिकूटेष्वथ विप्रवासे
सलक्ष्मणोऽव्याद्भरताग्रजोऽस्मान् १५
मामुग्रधर्मादखिलात्प्रमादान्
नारायणः पातु नरश्च हासात्
दत्तस्त्वयोगादथ योगनाथः
पायाद्गुणेशः कपिलः कर्मबन्धात् १६
सनत्कुमारोऽवतु कामदेवाद्
धयशीर्षा मां पथि देवहेलनात्
देवर्षिवर्यः पुरुषार्चनान्तरात्
कूर्मो हरिर्मां निरयादशेषात् १७
धन्वन्तरिर्भगवान्पात्वपथ्याद्
द्वन्द्वाद्भयादृषभो निर्जितात्मा
यज्ञश्च लोकादवताज्जनान्ताद्
बलो गणात्क्रोधवशादहीन्द्रः १८
द्वैपायनो भगवानप्रबोधाद्
बुद्धस्तु पाषण्डगणप्रमादात्
कल्किः कलेः कालमलात्प्रपातु
धर्मावनायोरुकृतावतारः १९
मां केशवो गदया प्रातरव्याद्
गोविन्द आसङ्गवमात्तवेणुः
नारायणः प्राह्ण उदात्तशक्तिर्
मध्यन्दिने विष्णुररीन्द्र पाणिः २०
देवोऽपराह्णे मधुहोग्रधन्वा
सायं त्रिधामावतु माधवो माम्
दोषे हृषीकेश उतार्धरात्रे
निशीथ एकोऽवतु पद्मनाभः २१
श्रीवत्सधामापररात्र ईशः
प्रत्यूष ईशोऽसिधरो जनार्दनः
दामोदरोऽव्यादनुसन्ध्यं प्रभाते
विश्वेश्वरो भगवान्कालमूर्तिः २२
चक्रं युगान्तानलतिग्मनेमि
भ्रमत्समन्ताद्भगवत्प्रयुक्तम्
दन्दग्धि दन्दग्ध्यरिसैन्यमाशु
कक्षं यथा वातसखो हुताशः २३
गदेऽशनिस्पर्शनविस्फुलिङ्गे
निष्पिण्ढि निष्पिण्ढ्यजितप्रियासि
कुष्माण्डवैनायकयक्षरक्षो
भूतग्रहांश्चूर्णय चूर्णयारीन् २४
त्वं यातुधानप्रमथप्रेतमातृ
पिशाचविप्रग्रहघोरदृष्टीन्
दरेन्द्र विद्रावय कृष्णपूरितो
भीमस्वनोऽरेर्हृदयानि कम्पयन् २५
त्वं तिग्मधारासिवरारिसैन्य-
मीशप्रयुक्तो मम छिन्धि छिन्धि
चक्षूंषि चर्मन्छतचन्द्र छादय
द्विषामघोनां हर पापचक्षुषाम् २६
यन्नो भयं ग्रहेभ्योऽभूत्
केतुभ्यो नृभ्य एव च
सरीसृपेभ्यो दंष्ट्रिभ्यो
भूतेभ्योंऽहोभ्य एव च २७
सर्वाण्येतानि भगवन्
नामरूपानुकीर्तनात्
प्रयान्तु सङ्क्षयं सद्यो
ये नः श्रेयःप्रतीपकाः २८
गरुडो भगवान्स्तोत्र
स्तोभश्छन्दोमयः प्रभुः
रक्षत्वशेषकृच्छ्रेभ्यो
विष्वक्सेनः स्वनामभिः २९
सर्वापद्भ्यो हरेर्नाम
रूपयानायुधानि नः
बुद्धीन्द्रियमनःप्राणान्
पान्तु पार्षदभूषणाः ३०
यथा हि भगवानेव
वस्तुतः सदसच्च यत्
सत्येनानेन नः सर्वे
यान्तु नाशमुपद्रवाः ३१
यथैकात्म्यानुभावानां
विकल्परहितः स्वयम्
भूषणायुधलिङ्गाख्या
धत्ते शक्तीः स्वमायया ३२
तेनैव सत्यमानेन
सर्वज्ञो भगवान्हरिः
पातु सर्वैः स्वरूपैर्नः
सदा सर्वत्र सर्वगः ३३
विदिक्षु दिक्षूर्ध्वमधः समन्ता-
दन्तर्बहिर्भगवान्नारसिंहः
प्रहापयँल्लोकभयं स्वनेन
स्वतेजसा ग्रस्तसमस्ततेजाः ३४
मघवन्निदमाख्यातं
वर्म नारायणात्मकम्
विजेष्यसेऽञ्जसा येन
दंशितोऽसुरयूथपान् ३५
एतद्धारयमाणस्तु
यं यं पश्यति चक्षुषा
पदा वा संस्पृशेत्सद्यः
साध्वसात्स विमुच्यते ३६
न कुतश्चिद्भयं तस्य
विद्यां धारयतो भवेत्
राजदस्युग्रहादिभ्यो
व्याध्यादिभ्यश्च कर्हिचित् ३७
इमां विद्यां पुरा कश्चित्
कौशिको धारयन्द्विजः
योगधारणया स्वाङ्गं
जहौ स मरुधन्वनि ३८
तस्योपरि विमानेन
गन्धर्वपतिरेकदा
ययौ चित्ररथः स्त्रीभिर्
वृतो यत्र द्विजक्षयः ३९
गगनान्न्यपतत्सद्यः
सविमानो ह्यवाक्शिराः
स वालखिल्यवचना-
दस्थीन्यादाय विस्मितः
प्रास्य प्राचीसरस्वत्यां
स्नात्वा धाम स्वमन्वगात् ४०
श्रीशुक उवाच
य इदं शृणुयात्काले
यो धारयति चादृतः
तं नमस्यन्ति भूतानि
मुच्यते सर्वतो भयात् ४१
एतां विद्यामधिगतो
विश्वरूपाच्छतक्रतुः
त्रैलोक्यलक्ष्मीं बुभुजे
विनिर्जित्य मृधेऽसुरान् ४२

इति श्रीमद्भागवते
महापुराणे पारमहंस्यां
संहितायां षष्ठस्कन्धे
नारायणवर्मकथनं 
नामाष्टमोऽध्यायः

नारायण कवच | Narayan Kavach | श्री नारायणकवचम् | Most Powerful Narayan Kavach | नारायण कवच | Narayan Kavach | श्री नारायणकवचम् | Most Powerful Narayan Kavach | Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on मई 04, 2020 Rating: 5

स्तोत्र सङ्ग्रह

॥ श्री गणेश स्तोत्र ॥
॥ Shri Ganesh Stotra ॥


॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
ॐ कारमाद्यं प्रवदन्ति सन्तो वाचः श्रुतिनामपि ये गृणन्ति ।
गजाननं देवगणानतांघ्रिं भजेऽहमर्द्धेन्दुकृतावतंसम् ॥ १॥
पादारविन्दार्चनतत्पराणां संसारदावानलभङ्गदक्षम् ।
निरन्तरं निर्गतदानतोयैस्तं नौमि विघ्नेश्वरमम्बुजाभम् ॥ २॥
कृताङ्गरागं नवकुंकुमेन, मत्तालिमालां मदपङ्कलग्नाम् ।
निवारयन्तं निजकर्णतालैः, को विस्मरेत् पुत्रमनङ्गशत्रोः ॥ ३॥
शम्भोर्जटाजूटनिवासिगङ्गाजलं समानीय कराम्बुजेन ।
लीलाभिराराच्छिवमर्चयन्तं, गजाननं भक्तियुता भजन्ति ॥ ४॥
कुमारभुक्तौ पुनरात्महेतोः, पयोधरौ पर्वतराजपुत्र्याः ।
प्रक्षालयन्तं करशीकरेण, मौग्ध्येन तं नागमुखं भजामि ॥ ५॥
त्वया समुद्धृत्य गजास्यहस्तं, शीकराः पुष्कररन्ध्रमुक्ताः ।
व्योमाङ्गने ते विचरन्ति ताराः, कालात्मना मौक्तिकतुल्यभासः ॥ ६॥
क्रीडारते वारिनिधौ गजास्ये, वेलामतिक्रामति वारिपूरे ।
कल्पावसानं परिचिन्त्य देवाः, कैलासनाथं श्रुतिभिः स्तुवन्ति ॥ ७॥
नागानने नागकृतोत्तरीये, क्रीडारते देवकुमारसङ्घैः ।
त्वयि क्षणं कालगतिं विहाय, तौ प्रापतुः कन्दुकतामिनेन्दु ॥ ८॥
मदोल्लसत्पञ्चमुखैरजस्रमध्यापयन्तं सकलागमार्थान् ।
देवान् ऋषीन् भक्तजनैकमित्रं, हेरम्बमर्कारुणमाश्रयामि ॥ ९॥
पादाम्बुजाभ्यामतिकोमलाभ्यां, कृतार्थयन्तं कृपया धरित्रीम् ।
अकारणं कारणमाप्तवाचां, तन्नागवक्त्रं न जहाति चेतः ॥ १०॥
येनार्पितं सत्यवतीसुताय, पुराणमालिख्य विषाणकोट्या ।
तं चन्द्रमौलेस्तनयं तपोभिराराध्यमानन्दघनं भजामि ॥ ११॥
पदं श्रुतीनामपदं स्तुतीनां, लीलावतारं परमात्ममूर्तेः ।
नागात्मको वा पुरुषात्मको वेत्यभेद्यमाद्यं भज विघ्नराजम् ॥ १२॥
पाशांकुशौ भग्नरदं त्वभीष्टं, करैर्दधानं कररन्ध्रमुक्तैः ।
मुक्ताफलाभैः पृथुशीकरौघैः, सिञ्चन्तमङ्गं शिवयोर्भजामि ॥ १३॥
अनेकमेकं गजमेकदन्तं, चैतन्यरूपं जगदादिबीजम् ।
ब्रह्मेति यं ब्रह्मविदो वदन्ति, तं शम्भुसूनुं सततं भजामि ॥ १४॥
अङ्के स्थिताया निजवल्लभाया, मुखाम्बुजालोकनलोलनेत्रम् ।
स्मेराननाब्जं मदवैभवेन, रुद्धं भजे विश्वविमोहनं तम् ॥ १५॥
ये पूर्वमाराध्य गजानन! त्वां, सर्वाणि शास्त्राणि पठन्ति तेषाम् ।
त्वत्तो न चान्यत् प्रतिपाद्यमस्ति, तदस्ति चेत् सत्यमसत्यकल्पम् ॥ १६॥
हिरण्यवर्णं जगदीशितारं, कविं पुराणं रविमण्डलस्थम् ।
गजाननं यं प्रवदन्ति सन्तस्तत् कालयोगैस्तमहं प्रपद्ये ॥ १७॥
वेदान्त गीतं पुरुषं भजेऽहमात्मानमानन्दघनं हृदिस्थम् ।
गजाननं यन्महसा जनानां, विघ्नान्धकारो विलयं प्रयाति ॥ १८॥
शम्भोः समालोक्य जटाकलापे, शशाङ्कखण्डं निजपुष्करेण ।
स्वभग्नदन्तं प्रविचिन्त्य मौग्ध्यादाकर्ष्टुकामः श्रियमातनोतु ॥ १९॥
विघ्नार्गलानां विनिपातनार्थं, यं नारिकेलैः कदलीफलाद्यैः ।
प्रभावयन्तो मदवारणास्यं, प्रभुं सदाऽभीष्टमहं भजे तम् ॥ २०॥

॥ फलश्रुति ॥

यज्ञैरनेकैर्बहुभिस्तपोभिराराध्यमाद्यं गजराजवक्त्रम् ।
स्तुत्याऽनया ये विधिना स्तुवन्ति, ते सर्वलक्ष्मीनिधयो भवन्ति ॥ १॥

॥ इति श्री गणेश स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥


॥ श्री गजानन स्तोत्र ॥
॥ Shri Gajanan Stotra ॥


॥ ॐ गण गणपतये नमः ॥
जय देव गजानन प्रभो जय सर्वासुरगर्वभेदक ।
जय सङ्कटपाशमोचन प्रणवाकार विनायकाऽव माम् ॥ १॥
तव देव जयन्ति मूर्तयः कलितागण्यसुपुण्यकीर्तयः ।
मनसा भजतां हतार्तयः कृतशीघ्राधिककामपूर्तयः ॥ २॥
तव रम्यकथास्वनादरः स नरो जन्मलयैकमन्दिरम् ।
न परत्र न चेह सौख्यभाङ् निजदुष्कर्मवशाद्विमोहभाक् ॥ ३॥
गजवक्त्र तवाङ्घ्रिपङ्कजे ध्वजवज्राङ्कयुते सदा भजे ।
तव मूर्तिमहं परिष्वजे त्वयि हृन्मेऽस्तु सुमूषकध्वजे ॥ ४॥
त्वदृते हि गजानन प्रभो न हि भक्तौघसुखौघदायकः ।
सुदृढा मम भक्तिरस्तु ते चरणाब्जे विबुधेश विश्वपाः ॥ ५॥
फलपूरगदेक्षुकार्मुकैर्युत रुक्चक्रधराब्जपाशधृक् ।
अव वारिजशालिमञ्जरीरदधृग्रत्नघटाढ्यशुण्ड माम् ॥ ६॥
करयुग्मसुहेमशृङ्खल द्विजराजाढ्यक तुन्दिलोदर ।
शशिसुप्रभ विद्यया युत स्तनभारानमितेड्य रक्ष माम् ॥ ७॥
शशिभास्करवीतिहोत्रदृक् शुभसिन्दूररुचे विनायक ।
द्विपवक्त्र महाहिभूषण त्रिदिवेशासुरवन्द्य पाहि माम् ॥ ८॥
सृणिपाशवरद्विजैर्युत द्विजराजार्धक मूषकध्वज ।
शुभलोहितचन्दनोक्षित श्रुतिवेद्याभयदायकाऽव माम् ॥ ९॥
स्मरणात्तव शम्भुविध्यजेन्द्विनशक्रादिसुराः कृतार्थताम् ।
गणपाऽऽपुरघौघभञ्जन द्विपराजास्य सदैव पाहि माम् ॥ १०॥
शरणं भगवान्विनायकः शरणं मे सततं च सिद्धिका ।
शरणं पुनरेव तावुभौ शरणं नान्यदुपैमि दैवतम् ॥ ११॥
गलद्दानगण्डं महाहस्तितुण्डं सुपर्वप्रचण्डं धृतार्धेन्दुखण्डम् ।
करास्फोटिताण्डं महाहस्तदण्डं हृताढ्यारिमुण्डं भजे वक्रतुण्डम् ॥ १२॥
गणनाथ निबन्धसंस्तवं कृपयाङ्गीकुरु मत्कृतं ह्यमुम् ।
इदमेव सदा प्रदीयतां करुणा मय्यतुलाऽस्तु सर्वदा ॥ १३॥

॥ इति श्री गजानन स्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥

स्तोत्र सङ्ग्रह स्तोत्र सङ्ग्रह Reviewed by कृष्णप्रसाद कोइराला on अप्रैल 19, 2020 Rating: 5
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